सरकार गिराने की साजिश को लेकर बोले पूर्व मुख्यमंत्री:गहलोत ने कहा मोदी अमित शाह और शेखावत ने रची साजिश, पैसे बांटे इसके भी प्रूफ

सरकार गिराने की साजिश को लेकर बोले पूर्व मुख्यमंत्री:गहलोत ने कहा मोदी अमित शाह और शेखावत ने रची साजिश, पैसे बांटे इसके भी प्रूफ
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर दौरे पर है इस दौरान उन्होंने गुरुवार को अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान सरकार गिराने की साजिश को लेकर जवाब दिया। कहा मेरी सरकार को गिराने का षड्यंत्र नरेंद्र मोदी की सरकार में अमित शाह धर्मेंद्र प्रधान, गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया। इन सबने मिलाकर सरकार गिराने का षड्यंत्र किया जिसको हमने फेल कर दिया हिंदुस्तान में एकमात्र सरकार रही। इन्होंने मध्यप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र में सरकार बदल दी लेकिन राजस्थान में बदल नहीं पाए। इन सब ने मिलकर यह षडयंत्र किया था जिसको हमने फेल कर दिया। गहलोत यही नहीं रुके उन्होंने कहा कि यही वह लोग थे जिन्होंने हमारी पार्टी के अंदर पैसे बांटे। यह प्रूफ है मेरे पास और क्या-क्या बताएं आपको क्या-क्या नहीं हुआ है। जिस प्रकार के हालात उन्होंने बनाए हैं लेकिन यह संविधान के माफिक है क्या। आज यह संविधान दिवस मना रहे हैं। इनको पूछो तुम सरकार जो गिरा रहे थे हॉर्स ट्रेडिंग से महाराष्ट्र में, कर्नाटक में और मध्यप्रदेश में कितना पैसा बांटा होगा कल्पना नहीं कर सकते आप लोग,कोई पच्चीस करोड़ कह रहा है कोई पैंतीस करोड़ कह रहा है कोई पचास करोड़ कह रहा है महाराष्ट्र के लिए कोई सोच नहीं सकता है कहां जा रहा है मुल्क, डेमोक्रेसी रहेगी ऐसे डेमोक्रेसी कैसे बचेगी बताइए । देश हो जाएगा बर्बाद गहलोत ने कहा हर नागरिक का कर्तव्य है, हमारे बोलने से काम नहीं चलेगा। खाली हिंदू हिंदू की बात करके राजनीति करोगे तो देश बर्बाद हो जाएगा। आज सवाल ये है कि आपकी डेमोक्रेसी खत्म हो गई, तो क्या होगा देश के अंदर ? ये हॉर्स ट्रेडिंग कर रहे हैं सब जगह, हॉर्स ट्रेडिंग करके सरकारें गिरा रहे हैं डेमोक्रेसी कैसे बचेगी ? और ये दिवस मना रहे हैं । इमरजेंसी लगाई कुछ गलतियां हुईं माफी मांग ली कांग्रेस ने। सजा मिल गई हम लोगों को, हमारी पार्टी सरकार नहीं बना पाई हार गई इंदिरा जी खुद चुनाव हार गई, दो साल में उनकी आंधी चली वापस कुछ तो कारण होगा। कुछ कारण होगा कि इंदिरा गांधी की आंधी कैसे चली दो साल के अंदर, जो आदमी बुरी तरह हरवा दिया उत्तर भारत के अंदर, दक्षिण भारत में हम जीत गए थे उत्तर भारत में हम हार गए बुरी तरह से इंदिरा गांधी जी खुद हार गई चुनाव। मैं भी चुनाव लड़ा था मैं भी हार गया 77 के अंदर। ठीक है, आंधी चलना दो साल के अंदर इतनी भयंकर कि भारी मेजॉरिटी से हम जीत कर वापस आए, मैं भी एमपी बना उस के बाद में, पचास साल हो गए , आप मुझे बताइए आंधी क्यों चली वापस, इमरजेंसी की गलती हुई , सॉरी फील कर लिया, खेद प्रकट कर लिया। कुछ गलती हुई होगी, पर उसमें लोग तारीफ भी करते हैं इतना अनुशासन आ गया टाइम पर लोग ऑफिस जाते थे,। मिलावटखोरी बंद हो गई, करप्शन बंद हो गया, आप खुद पता कर लीजिए सोशल मीडिया में या आपके सीनियर जर्नलिस्ट को, कि उस वक्त में जो जो पेड़ लगाओ अभियान चल गए पांच सूत्री कार्यक्रम हो गए। संजय गांधी के, इंदिरा गांधी का ट्वेंटी फाइव प्रोग्राम आ गया,। लोग उनकी तारीफ भी करते हैं पर फिर भी क्योंकि इमरजेंसी लग गई थी उस वक्त तो घोषित इमरजेंसी थी, अब अघोषित इमरजेंसी है अभी। अभी पत्रकारों को साहित्यकारों को लेखकों को, कितने लोग तो जेल में बंद हैं आपको हमको मालूम ही नहीं है, ये तो आंकड़े छिपाते हैं, अभी जब आपका इलाहाबाद के अंदर कुंभ के अंदर जो है लोग मारे गए पैंतीस के आंकड़े दिए। बीबीसी ने 85 के आंकड़े दे दिए हैं विद प्रूफ। जो सरकार मृतकों के आंकड़े छिपा सकती है उससे हम क्या उम्मीद करें ? और ये संविधान बचाओ का दिवस मना रहे हैं इनको शर्म आनी चाहिए। सरकार पर साधा निशाना सब जगह हो रहा है, दुखी है पब्लिक बहुत दुखी है ये मुख्यमंत्री समझ नहीं पा रहे हैं। पब्लिक बहुत दुखी है, उनको कंट्रोल करना चाहिए पूरे अपने जो ऑथोरिटी है मुख्यमंत्री की, उसको उनको पूरी तरह पकड़ करनी चाहिए जिससे की ये जो नीचे हो रहा है वो बंद हो जाए, पब्लिक को राहत मिले, पब्लिक को राहत नहीं मिल रही है पब्लिक इतनी दुखी है कि उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है, तहसीलदार हो या कोई दूसरा अधिकारी हो, ऐसे जवाब देते हैं जाइए कह दीजिए, ट्रांसफर करवा दीजिए हमारा , आपके एमएलए की स्थिति ये है, एमएलए को अधिकारी ने कह दिया ऐसे चलेगा आप मेरी ट्रांसफर करवा दीजिए ,इतनी हिम्मत होना बहुत बड़ी बात है, पहले क्या था इतना भय था अधिकारियों में, अगर ढंग से बात नहीं करी, तो ये रात को ट्रेन में बैठेगा, जाएगा 8 सिविल लाइन्स और मेरी शिकायत कर देगा ये भय था , अब किसके पास जाए ? जयपुर में तो दरवाजे बंद हैं सबके, मुख्यमंत्री की बात छोड़ो, मंत्री तक नहीं मिलते हैं, स्थितियां बहुत नाजुक हो गईं मैं मानता हूं।