BRICS ने पहलगाम हमले की निंदा की:मोदी बोले- अटैक इंसानियत पर चोट; ट्रम्प की धमकी- नए देश BRICS से जुड़े तो उन पर एक्स्ट्रा टैरिफ

BRICS ने पहलगाम हमले की निंदा की:मोदी बोले- अटैक इंसानियत पर चोट; ट्रम्प की धमकी- नए देश BRICS से जुड़े तो उन पर एक्स्ट्रा टैरिफ
ब्राजील के रियो डी जनेरियो में रविवार को हुए 17वें BRICS सम्मेलन में सदस्य देशों ने 31 पेज और 126 पॉइंट वाला एक जॉइंट घोषणा पत्र जारी किया। इसमें पहलगाम आतंकी हमले और ईरान पर इजराइली हमले की निंदा की गई। इससे पहले 1 जुलाई को भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की मेंबरशिप वाले QUAD (क्वाड) ग्रुप के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी पहलगाम हमले की निंदा की गई थी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समिट में कहा कि पहलगाम आतंकी हमला सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत पर चोट है। आतंकवाद की निंदा हमारा सिद्धांत होना चाहिए, सुविधा नहीं। इसके साथ ही उन्होंने एक नई विश्व व्यवस्था की मांग उठाई। PM ने कहा, '20वीं सदी में बनाई गईं वैश्विक संस्थाएं 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में नाकाम हैं। AI के दौर में तकनीक हर हफ्ते अपडेट होती है, लेकिन एक वैश्विक संस्थान 80 सालों में एक बार भी अपडेट नहीं होता। 20वीं सदी के टाइपराइटर 21वीं सदी के सॉफ्टवेयर को नहीं चला सकते।' वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने BRICS से जुड़ने की इच्छा रखने वाले नए देशों पर एक्स्ट्रा 10% टैरिफ का ऐलान किया है। BRICS में PM मोदी के संबोधन की अहम बातें 1. BRICS की असली ताकत है इसकी विविधता PM मोदी ने कहा कि BRICS देशों की अलग-अलग सोच और बहुध्रुवीय दुनिया में भरोसा ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। 2. न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) को सोच-समझकर निवेश करना चाहिए उन्होंने कहा कि बैंक को सिर्फ उन्हीं प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाना चाहिए जो जरूरी हों, लंबे समय तक फायदे वाले हों और जिससे बैंक की साख बनी रहे। 3. विज्ञान और रिसर्च के लिए साझा प्लेटफॉर्म बनाने का सुझाव PM मोदी ने एक ऐसा BRICS रिसर्च सेंटर बनाने का प्रस्ताव रखा, जहां सब देश मिलकर विज्ञान और टेक्नोलॉजी पर काम कर सकें। 4. संसाधनों का गलत इस्तेमाल न हो मोदी ने कहा कि किसी देश को यह हक नहीं कि वो किसी भी संसाधन को सिर्फ अपने फायदे के लिए या हथियार की तरह इस्तेमाल करे। 5. डिजिटल कंटेंट पर कंट्रोल जरूरी उन्होंने कहा कि हमें ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जिससे पता चले कि कोई डिजिटल जानकारी असली है या नहीं, वो कहां से आई, और उसका गलत इस्तेमाल न हो। 6. भारत में होगा AI इम्पैक्ट समिट PM मोदी ने बताया कि भारत जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर एक बड़ा सम्मेलन करेगा, जिसमें इसकी चुनौतियों और अच्छे उपयोग पर चर्चा होगी। ट्रम्प की BRICS से जुड़ने वाले देशों पर 10% एक्स्ट्रा टैरिफ की धमकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने BRICS से जुड़ने वाले देशों को धमकी दी। उन्होंने रविवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि जो भी देश अमेरिका विरोधी BRICS नीतियों के साथ खुद को जोड़ेंगे, उन पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इसमें किसी को भी छूट नहीं मिलेगी। दरअसल, BRICS घोषणा पत्र में विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के खिलाफ बढ़ते टैरिफ पर चिंता जताई गई। इन टैरिफ को वैश्विक व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला के लिए खतरा बताया गया। हालांकि में सीधे तौर पर अमेरिका का नाम नहीं लिया गया। PM मोदी के ब्राजील दौरे की तस्वीरें... चीन ने BRICS देशों से ग्लोबल ऑर्डर सुधारने की अपील की चीनी ने BRICS देशों से ग्लोबल ऑर्डर (वैश्विक शासन) में सुधार के लिए अपील की है। चीनी प्रधानमंत्री ली क्यांग ने रविवार को 17वें BRICS सम्मेलन के दौरान कहा कि ब्रिक्स देशों को एक बेहतर दुनिया के निर्माण के लिए वैश्विक शासन में सुधार की दिशा में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन बाकी BRICS देशों के साथ मिलकर एक न्यायपूर्ण, बराबरी वाला, प्रभावी और व्यवस्थित वैश्विक शासन स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। ब्रिक्स देशों के जॉइंट घोषणा पत्र की प्रमुख बातें... PM मोदी के भाषण की अन्य प्रमुख बातें... ग्लोबल साउथ के साथ भेदभाव: ब्रिक्स का विस्तार और सुधार: आतंकवाद पर कड़ा रुख: आतंकवाद पर सख्ती की मांग: शांति और सहयोग पर जोर: PM मोदी रियो के बाद ब्रासीलिया जाएंगे ब्राजील के रियो डी जनेरियो शहर में 17वीं BRICS समिट हो रही है। रविवार को PM मोदी इसमें शामिल हुए हैं। वे ब्राजील के 3 दिनों के दौरे पर हैं। सोमवार यानी आज शाम वे BRICS के पर्यावरण से जुड़े फोरम में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वे राजकीय दौरे पर राजधानी ब्रासीलिया भी जाएंगे। ब्रासीलिया में PM मोदी राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा से द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत और ब्राजील आज चार समझौतों पर साइन करेंगे। BRICS क्या है? BRICS की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक वह 11 प्रमुख उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का एक समूह है। इनमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब और इंडोनेशिया शामिल हैं। इसका मकसद इन देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इसमें शुरुआत में 4 देश थे, जिसे BRIC कहा जाता था। यह नाम 2001 में गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ'नील ने दिया था। तब उन्होंने कहा था कि ब्राजील, रूस, भारत और चीन आने वाले दशकों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएंगे। बाद में ये देश एक साथ आए और इस नाम को अपनाया। BRICS को बनाने की जरूरत और आगे का सफर सोवियत संघ के पतन के बाद और 2000 के शुरुआती सालों में दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पश्चिमी देशों का दबदबा था। अमेरिका का डॉलर और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) फैसले करती थीं। इस अमेरिकी दबदबे को कम करने के लिए रूस, भारत, चीन और ब्राजील BRIC के तौर पर साथ आए, जो बाद में BRICS हो गया। इन देशों का मकसद ग्लोबल साउथ यानी विकासशील और गरीब देशों की आवाज को मजबूती देना था। 2008-2009 में जब पश्चिमी देश आर्थिक संकट से गुजर रहे थे। तब BRICS देशों की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही थी। आर्थिक संकट से पहले पश्चिमी देश दुनिया की 60% से 80% अर्थव्यवस्था को कंट्रोल कर रहे थे, लेकिन मंदी के दौर में BRICS देशों की इकोनॉमिक ग्रोथ से पता चला कि इनमें तेजी से बढ़ने और पश्चिमी देशों को टक्कर देने की क्षमता है। 2009 में रूस के येकातेरिनबर्ग में हुई बैठक में BRICS देशों ने मल्टीपोलर वर्ल्ड यानी बहुध्रुवीय दुनिया की कल्पना की गई, जहां पश्चिमी देशों की आर्थिक पकड़ कमज़ोर हो और सभी देशों को बराबरी का हक मिले। 2014 में BRICS ने एक बड़ा कदम उठाते हुए न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया, जो इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए फंड देता है। इसके साथ-साथ एक रिजर्व फंड भी बनाया गया ताकि आर्थिक संकट के समय इन देशों को अमेरिकी डॉलर पर निर्भर न रहना पड़े। ब्राजील में हो रही BRICS समिट खास क्यों ब्राजील के रियो डी जनेरियो में BRICS समिट 2025 का आयोजन ‘ग्लोबल ऑर्डर के लिए ग्लोबल साउथ का सहयोग’ की थीम पर किया गया। इस बार होने वाली बैठक में पहली बार 10 सदस्य देश शामिल हुए। इसके अलावा 9 पार्टनर कंट्रीस ने भी हिस्सा लिया। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा BRICS को पश्चिमी देशों के विरोधी के बजाय समावेशी संगठन के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। जिसका मकसद समावेशी विकास, खाद्य सुरक्षा और क्लाइमेट जस्टिस जैसे मुद्दों पर बात करना है। पश्चिमी देशों के लिए BRICS एक चुनौती BRICS देशों में पिछले कई सालों से SWIFT पेमेंट सिस्टम की तर्ज पर अपना पेमेंट सिस्टम बनाने की चर्चा होती रही है। हालांकि, इसे लेकर अभी तक कोई सहमति बन नहीं पाई है और न ही कोई ठोस कदम उठाए गए हैं। 2023 में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने एक समिट के दौरान कहा था कि BRICS संगठन के देशों को व्यापार के लिए एक नई करेंसी बनाने की जरूरत है। उन्होंने सवाल उठाया था कि हम क्यों डॉलर में ट्रेड कर रहे हैं। BRICS देशों के पेमेंट सिस्टम और अपनी करेंसी बनाने का आइडिया हमेशा से पश्चिमी देशों खासतौर पर अमेरिका के लिए चिंता का विषय रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ने शपथ ग्रहण से पहले ही पिछले साल दिसंबर में चेतावनी दी थी कि अगर BRICS देश ऐसा करते हैं तो उन पर 100% टैरिफ लगेगा। ट्रम्प ने इसे अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की साजिश बताया था। हालांकि इस सब के बीच भारत अपना रुख साफ कर चुका है। दिसंबर 2024 में कतर की राजधानी दोहा में एक फोरम में बोलते हुए जयशंकर ने कहा था कि अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने में भारत की कोई रुचि नहीं है। .......................................... PM मोदी की विदेश यात्रा से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... अर्जेंटीना के राष्ट्रपति ने मोदी को गले लगाया: खनिज-व्यापार और निवेश पर बातचीत की; PM ने अर्जेंटीना के नेशनल हीरो को श्रद्धांजलि दी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलई से मुलाकात की। राष्ट्रपति जेवियर ने PM मोदी को गले लगाकर स्वागत किया। दोनों नेताओं ने ब्यूनस आयर्स में डेलिगेशन लेवल पर बातचीत की। मोदी और जेवियर के बीच जरूरी खनिजों, व्यापार-निवेश, ऊर्जा, कृषि सहित कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर बातचीत हुई। पूरी खबर पढ़ें... PM मोदी को त्रिनिदाद एंड टोबैगो का सर्वोच्च सम्मान: यह अवॉर्ड पाने वाले पहले विदेशी, 25 देश दे चुके हैं अपना सबसे बड़ा सम्मान त्रिनिदाद और टोबैगो के दौरे पर पहुंचे PM मोदी को राष्ट्रपति क्रिस्टीन कंगालू ने देश के सर्वोच्च पुरस्कार, ‘द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद और टोबैगो’ से नवाजा है। PM मोदी ने राष्ट्रपति क्रिस्टीन कंगालू और PM कमला परसाद बिसेसर को इसके लिए शुक्रिया कहा। PM मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो के ‘ऑर्डर ऑफ द ऑर्डर’ से सम्मानित होने वाले पहले विदेशी नेता बन गए हैं। पूरी खबर पढ़ें...