भिवानी गोल्ड मेडलिस्ट दर्शना घनघस का इंटरव्यू:वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स में अमेरिकी खिलाड़ी को हराया, बोलीं-सास का साथ मिला; अगला लक्ष्य ओलिंपिक

Jul 15, 2025 - 00:13
 0  0
भिवानी गोल्ड मेडलिस्ट दर्शना घनघस का इंटरव्यू:वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स में अमेरिकी खिलाड़ी को हराया, बोलीं-सास का साथ मिला; अगला लक्ष्य ओलिंपिक
भिवानी के गांव धनाना की बहू दर्शना घनघस ने अमेरिका में आयोजित वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स में दमदार प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल जीता। दैनिक भास्कर से बातचीत में दर्शना ने बताया कि उन्होंने वियतनाम और आयरलैंड की बॉक्सरों को 5-0 से और फाइनल में अमेरिका की खिलाड़ी को 3-2 से हराकर गोल्डन पंच लगाया। दर्शना ने कहा कि अब उनका फोकस ओलिंपिक की तैयारी पर है। इसके लिए वह पूरी मेहनत और जोश से जुटी हैं। इससे पहले वह आने वाली अन्य प्रतियोगिताओं में भी अच्छा प्रदर्शन करना चाहती हैं, ताकि ओलिंपिक से पहले खुद को और मजबूत बना सकें। करीब 12 साल पहले बॉक्सिंग की शुरुआत करने वाली दर्शना घनघस आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी हैं। उन्होंने कहा कि ये सफर आसान नहीं था, लेकिन मेहनत, आत्मविश्वास और गांव के लोगों के आशीर्वाद ने उन्हें यहां तक पहुंचाया। गोल्ड मेडलिस्ट दर्शना घनघस से बातचीत के अंश... सवाल: प्रतियोगिता का आपका सफर कैसा रहा? जवाब: ये वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स थे।अमेरिका में ये हुए। यहां बॉक्सिंग में हिस्सा लिया। सफर अच्छा रहा और गोल्ड मेडल भी मिला। सवाल: किस-किस देश के बॉक्सर के साथ आपका मुकाबला हुआ? जवाब: यूएसए के साथ फाइनल मुकाबला था। वियतनाम व आयरलैंड की खिलाड़ी उनकी श्रेणी में थी। सवाल: कितने अंतर से जीत हासिल की? जवाब: फाइनल मुकाबला 3-2 से जीता। बाकी दोनों मैच 5-0 से जीते। सवाल: बॉक्सिंग की शुरुआत कैसे व कब हुई? जवाब: मैंने 2013 में शुरुआत की। उस समय 10वीं कक्षा में थी। बॉक्सिंग को निखारने के लिए पिता ने एकेडमी ने एडमिशन करवाया। सवाल: बॉक्सिंग ही क्यों चुना? जवाब : मेरे पिता एथलीट रह चुके हैं और वॉलीबाल प्लेयर रहे। उनके मार्गदर्शन में ट्रेनिंग की। पहले वे एथलेटिक्स की प्रैक्टिस करवाते थे। 400 मीटर व 800 मीटर इवेंट करवाते रहे, बाद में बॉक्सिंग में डाला। सवाल: करीब 11-12 साल का सफर कैसा रहा? जवाब : कई दिक्कतें आईं और ये तो हर खिलाड़ी के जीवन में आती है। इनसे पार पाकर ही खिलाड़ी निखरता है। सवाल: आईटीबीपी पुलिस के साथ गेम कर रहे हैं, तो परिवार का कैसा सपोर्ट रहा? जवाब : परिवार की तरफ से पूरा सपोर्ट है। बीच में तबीयत भी खराब हुई तो बॉक्सिंग भी छोड़नी पड़ी थी। सवाल: संदीप से मुलाकात कैसे हुई? जवाब : हम दोनों एक ही गेम में हैं। संदीप से मुलाकात बॉक्सिंग के दौरान हुई। इसके बाद शादी कर ली। सवाल: दोनों का एक फील्ड में होने का क्या फायदा है? जवाब : पहला फायदा तो यह है कि वे मेरी हर चीज को समझते हैं और डिसिजन को वेल्यू देते हैं। सवाल: शादी के बाद ससुराल का कैसा सहयोग रहा? जवाब : बहुत सहयोग रहा। मेरी गेम के लिए सपोर्ट मिला। हौसला दिया। मेरे ससुर खुद रेसलिंग कोच रहे हैं। इसलिए उनसे सीखने को बहुत मिला। कभी हार भी गई तो पति ने हौसला दिया कि चलो अगली बार सही। जीत-हार मिलती रहती है। सवाल: आगे का क्या लक्ष्य लेकर चल रही हैं? जवाब : लक्ष्य यह है कि आगे जो भी गेम होने हैं, उन पर फोकस रहेगा। सवाल: आपकी सास का कैसे सहयोग मिला? जवाब : मेरी सास कहती हैं कि बर्तन धोने, पौंछा-झाड़ू तो मैं पूरी उम्र करती आई हूं। यही तू भी करेगी तो यही करती रह जाएगी। इससे अच्छा तू गेम कर और कुछ बन। मेरी सास के विचार बहुत अच्छे हैं। सास ने सभी बच्चों को आगे बढ़ने के लिए सहयोग दिया। सवाल: बहार खेलने गए तो सबसे ज्यादा सहयोग किसका रहा और साथ कौन गया? जवाब: सबसे ज्यादा मेरी सास साथ गई हैं और दूसरे नंबर पर मेरे पति। मेरी सास ने मेरी आंखों में आंसू आने ही नहीं दिए। अगर मैं रोती तो मेरी सास भी रोने लग जाती। एक बार वे दिल्ली ट्रायल के लिए गए थे। वहां पर वे हार गईं। इस पर मेरी सास ने कहा कि चल बेटा एक जोड़ी जूते दिलाऊंगी और एक जोड़ी जूते मैं लूंगी। दोनों मां-बेटी चलेंगे स्टेडियम में और अगली बार तेरा सिलेक्शन हो जाएगा। इसके बाद मेरे पास कॉल आई कि आपका चयन हो गया। सवाल: आगे गेम के लिए कैसे तैयारी कर रहे हैं? जवाब : अभी करंट इवेंट के बाद अपने अभ्यास पर फोकस करूंगी। आने वाले जितने भी इवेंट हैं, उन पर मेरी नजर है। सबसे पहले ऑल इंडिया पुलिस गेम होगा। उसके बाद नेशनल व एक बॉक्सिंग कप भी होना है। उसके बाद एशियन व कॉमनवेल्थ गेम होने हैं। दर्शना घनघस के पति संदीप घनघस से बातचीत सवाल: दर्शना घनघस की जीत पर क्या कहना चाहेंगे? जवाब : दर्शना ने देश, पूरे परिवार, गांव-कस्बे व प्रदेश का नाम रोशन किया है। मुझे पत्नी पर गर्व है। सवाल: खुद भी स्पोर्ट्स पर्सन रहें हैं तो इसका कितना फायदा मिलता है? जवाब : जैसे हमारा जवान व किसान देश को समर्पित है, वैसे खिलाड़ी भी देश को समर्पित हैं। हमारे देश, प्रदेश व गांव का नाम रोशन हो उसके लिए मेहनत कर रहे हैं। सवाल: दर्शना ओलिंपिक तक खेले और मेडल लेकर आए, उसको लेकर क्या प्लान है? जवाब : मेरे पिता भी चीफ कोच रहे हैं। वे कमियां निकालकर उनको दूर करवाने में सहयोग करते हैं। काफी अच्छी टिप्स देते हैं। हम उनसे ही सीखते आ रहे हैं।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0