NEET-UG के 75 छात्रों का रिजल्ट जारी:हाईकोर्ट ने दोबारा परीक्षा कराने की याचिकाएं की थी खारिज; NTA ने स्टूडेंट्स को मेल पर दी सूचना
NEET UG के दौरान बिजली गुल होने के मामले में सोमवार को इंदौर हाईकोर्ट ने प्रभावित 75 से ज्यादा स्टूडेंट्स की दोबारा परीक्षा कराने संबंधी याचिकाएं खारिज कर दीं। हाईकोर्ट ने परीक्षा कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी NTA की रिट अपील मंजूर करते हुए अपना फैसला सुनाया। हाई कोर्ट द्वारा NTA की रिट अपील मंजूर करने के बाद शाम को ऑर्डर वेबसाइट पर लोड कर दिया गया। इसके बाद शाम 6 बजे NTA ने उन 75 स्टूडेंट्स, जिनके रिजल्ट पर स्टे था, उसे घोषित कर दिया। इसकी सूचना हर स्टूडेंट को उनके मेल पर दी गई। अब काउंसिल 21 जुलाई को संभावित है। छात्र करेंगे सुप्रीम कोर्ट में अपील
बता दें कि इस मामले में NTA की अपील पर 10 जुलाई को सुनवाई हुई थी, तब कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। इंदौर और उज्जैन के प्रभावित 75 से ज्यादा छात्र हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। याचिकाकर्ता छात्रों के वकील मृदुल भटनागर ने बताया कि हाईकोर्ट ने आदेश में सख्ती के साथ कहा है कि भविष्य में इस तरह की परीक्षाओं के दौरान बिजली गुल होने की स्थिति में हर जिले में स्थानीय प्रशासन और NTA द्वारा वैकल्पिक इंतजाम अनिवार्य रूप से किए जाएं। कोर्ट ने कहा- विशेषज्ञों की समिति ने जांच की
कोर्ट ने कहा, सॉलिसिटर जनरल मेहता ने बताया कि एनटीए इस मामले को एक विरोधी वादी के रूप में नहीं ले रहा है। छात्र के खिलाफ कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञों की एक समिति गठित करके मामले की जांच की गई थी। समिति की राय के अनुसार पुनः परीक्षा के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था। इसके मद्देनजर, हमें नहीं लगता कि यह नीट (यूजी) 2025 की पुनः परीक्षा के लिए उपयुक्त मामला है। अतः एनटीए की रिट अपीलें स्वीकार की जाती हैं। स्टूडेंट्स बोले- कई सवाल छूटे, कम मार्क्स मिले
नीट-यूजी परीक्षा में बिजली गुल होने प्रभावित होने वाले 75 स्टूडेंट्स में तनिष्का गर्ग भी शामिल है। उसने बताया कि शाम को मेल पर रिजल्ट आया तो स्कोर कम था, जबकि तैयारी पूरी थी। पिता सचिन गर्ग ने बताया कि, उसका सेंटर पीएम सेंट्रल स्कूल था। परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने के दौरान वह कई सवाल अटैंड नहीं कर पाई। सेंटर पर विजिबिलिटी भी ऐसी नहीं थी कि वह पढ़कर उसे सॉल्व कर पाए। अगर विजिबिलिटी अच्छी होती और पावर बैकअप होता तो और अच्छे नंबर आते। यही बात आरिफ लखनवी ने अपनी बेटी अरयना को लेकर कही। ऐसी अन्य पीड़ा दूसरे स्टूडेंट्स की भी है। पढ़िए, सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में किसने क्या कहा 10 जुलाई को करीब दो घंटे सुनवाई चली थी
इंदौर हाईकोर्ट में 10 जुलाई को करीब दो घंटे सुनवाई चली थी। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला रिजर्व फॉर ऑर्डर रखा था। बता दें, 4 मई को NEET-UG की परीक्षा के दौरान इंदौर और उज्जैन के कई एग्जाम सेंटर पर बिजली गुल हो गई थी। पिछली सुनवाई में 75 याचिकाकर्ता छात्रों की ओर से एडवोकेट मृदुल भटनागर ने यह तर्क दोहरा दिया था कि यदि इन छात्रों को रि-एग्जाम का मौका नहीं दिया गया, तो उनका भविष्य प्रभावित होगा। 3 मई के बाद याचिकाएं लगाने वाले 20 से अधिक छात्रों की ओर से एडवोकेट विवेक शरण ने अपने तर्क रखे थे। उन्होंने कहा था कि इन छात्रों की याचिकाएं भी शामिल की जानी चाहिए। सॉलिसिटर जनरल ने कहा था- माकूल व्यवस्था थी
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा था। उन्होंने कहा था कि 22 लाख स्टूडेंट्स ने एग्जाम दिया है। सभी सेंटर पर माकूल व्यवस्था थी। जिन सेंटरों पर बिजली गुल होने की बात कही जा रही है, वहां भी पावर बैकअप था। मामले में स्टूडेंट्स के एडवोकेट मृदुल भटनागर ने कहा था कि NTA ने जो रिपोर्ट पेश की है, उसमें तथ्य सही नहीं है। NTA ने फीस के नाम 350 करोड़ रुपए लिए हैं। इन सेंटर पर बिजली की पर्याप्त वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी। मौके पर जाकर फिजिकल वेरिफिकेशन भी नहीं किया गया। लंबी बहस में वे सारे तर्क रखे गए, जो पहले भी दोहराए जा चुके हैं। मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला रिजर्व फॉर ऑर्डर रखा है। एडवोकेट बोले- एसी बंद होने पर लोग परेशान हो जाते हैं
एडवोकेट विवेक शरण ने स्टूडेंट्स की पीड़ा को बयां करते हुए बताया था कि हम एसी बंद होने पर परेशान हो जाते हैं। ऐसे में परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने पर स्टूडेंट्स की क्या स्थिति बनी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। मामले में NTA को सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने को कहा था लेकिन नहीं कराए। NTA का कहना था कि जब बिजली गुल हुई तो फिर सीसीटीवी फुटेज कैसे? इस पर एडवोकेट शरण का कहना था कि इसका मतलब बिजली गुल हुई थी, लेकिन NTA इसे दरकिनार कर रही है। 22 लाख स्टूडेंट्स से प्रभावित स्टूडेंट्स की तुलना करना न्यायसंगत नहीं है। याचिकाकर्ता स्टूडेंट्स के एडवोकेट की ओर से ये भी तर्क दिए गए कि पिछले साल NEET की रि-एग्जाम की अपील मंजूर की गई थी। जिसमें 1543 स्टूडेंट्स थे। ऐसे में NTA का आधार ठीक नहीं है। सभी प्रभावित स्टूडेंट्स जिन्होंने याचिकाएं लगाई हैं उन्हें रि-एग्जाम का मौका देना चाहिए। हाईकोर्ट ने रि-एग्जाम कराने के आदेश पर स्टे दिया था
इसके पूर्व हाईकोर्ट ने ही इन स्टूडेंट्स का रि-एग्जाम कराने के आदेश दिए थे, जिसके खिलाफ NTA ने अपील की है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने रि-एग्जाम कराने के आदेश पर स्टे दे दिया था। छात्रों ने अदालत से कहा था कि बिजली गुल होने से परीक्षा पर असर पड़ा है। यह परीक्षा केवल उन 75 स्टूडेंट्स के लिए आयोजित की जानी है, जिन्होंने 3 जून के पहले याचिका दायर की थी। NTA ने कहा- रि-एग्जाम कराना व्यावहारिक नहीं
भारत सरकार की ओर से पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता वर्चुअल उपस्थित हुए थे। उन्होंने तर्क दिए थे कि परीक्षा में इस बार 22 लाख स्टूडेंट्स शामिल हुए थे। 14 जून को रिजल्ट भी घोषित हो चुका है। पहले भी इसमें NTA की ओर से सीसीटीवी फुटेज सहित संबंधित सेंटरों की रिपोर्ट पेश की जा चुकी है। 75 स्टूडेंट्स के दोबारा एग्जाम कराना व्यावहारिक नहीं है। छात्रों के वकील ने कहा- और छात्रों को भी लाभ मिले
याचिकाकर्ता स्टूडेंट्स की ओर से एडवोकेट मृदुल भटनागर ने कोर्ट को बताया कि अभी 25 से ज्यादा वे याचिकाकर्ता स्टूडेंट्स हैं, जिन्हें रि-एग्जाम का लाभ नहीं मिल रहा है। इन स्टूडेंट्स ने 3 मई के बाद याचिका लगाई थीं। इन पर विचार किया जाना चाहिए।। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने शेष याचिकाओं सहित इस मुद्दे पर सुनवाई 10 जुलाई की थी। जज ने कोर्ट रूम की बिजली बंद कराई थी, फिर पेपर देखा
पिछले दिनों हुई सुनवाई में हाईकोर्ट के जज ने कोर्ट रूम की बिजली बंद कराकर परीक्षा का पेपर पढ़ा था। जज ने ऐसा इसलिए किया ताकि उस वास्तविक स्थिति का अंदाजा लगा सके, जिसमें छात्रों को परीक्षा देनी पड़ी। आदेश में कोर्ट ने कहा, 'परीक्षा में शामिल हुए छात्रों की कोई गलती न होने के बावजूद, उन्हें बिजली कटौती के कारण असुविधाजनक स्थिति में डाल दिया गया था।' NTA ने दलील दी थी- सेंटर्स पर पॉवर बैकअप था
9 जून को NTA की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, पैनल वकील रूपेश कुमार और डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रोमेश दवे वर्चुअल कोर्ट में पेश हुए थे। उन्होंने कहा कि जिन केंद्रों पर बिजली गई थी, वहां पावर बैकअप की व्यवस्था थी। स्टूडेंट की ओर से वकील मृदुल भटनागर ने इसका खंडन किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि खुद NTA के एक सेंटर ऑब्जर्वर ने रिपोर्ट में लिखा है कि कई परीक्षा केंद्रों पर जनरेटर नहीं थे और वहां पर्याप्त रोशनी भी नहीं थी। उन्होंने उज्जैन के उन 6 केंद्रों की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश करने की मांग की, जहां बिजली कटौती से परीक्षा बाधित हुई थी।
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