स्कूल के प्रिंसिपल-लेक्चरर को कॉलेज में दिखाया असिस्टेंट प्रोफेसर:भास्कर ने पूछा तो वेबसाइट से पेज हटा दिया,  800 स्टूडेंट्स वाले 2 कॉलेजों की मान्यता रद्द

स्कूल के प्रिंसिपल-लेक्चरर को कॉलेज में दिखाया असिस्टेंट प्रोफेसर:भास्कर ने पूछा तो वेबसाइट से पेज हटा दिया,  800 स्टूडेंट्स वाले 2 कॉलेजों की मान्यता रद्द
नाम : ममता उडेनिया, अजमेर के जडाना गवर्नमेंट सीसै स्कूल में प्रिंसिपल और आईएएसई अजमेर की वेबसाइट पर असिस्टेंट प्रोफेसर। नाम : रंजना नांबियार, नागौर के पुंदलोता के राउमावि में प्रधानाचार्य और आईएएसई अजमेर की वेबसाइट पर असिस्टेंट प्रोफेसर। नाम : मदन लाल गोदारा, बीकानेर के फूलदेसर के महात्मा गांधी गवर्नमेंट स्कूल में पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर और आईएएसई की वेबसाइट पर असिस्टेंट प्रोफेसर। ये तो सिर्फ 3 उदाहरण भर हैं। हकीकत में ऐसे कई नाम हैं, जो शिक्षा विभाग के शाला दर्पण पोर्टल पर स्कूलों में कार्यरत दिखाए जा रहे हैं और वही नाम शिक्षा विभाग की उच्च शिक्षण संस्थान (टीटी कॉलेज) की वेबसाइट पर भी दर्शाए जा रहे हैं। कॉलेज के 34 में से 28 का स्टाफ शाला दर्पण व काॅलेज की वेबसाइट दोनों पर नजर आ रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… भास्कर ने मामले में अजमेर टीटी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. रणवीर सिंह से सवाल किया कि एक ही व्यक्ति एक वक्त में दो स्थानों पर कैसे पोस्टेड हो सकता है तो उन्होंने वेबसाइट से स्टाफ की जानकारी वाला पेज ही हटवा दिया। भास्कर ने मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि ये सब राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCET) की आंख में धूल झोंकने के लिए किया जा रहा है। एनसीईटी ने उच्च शिक्षण संस्थान के नियम के अनुसार स्टाफ नहीं होने के चलते बीकानेर और अजमेर कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी थी। शिक्षा विभाग ने इस आदेश के खिलाफ अपील की, जिसकी सुनवाई के बाद एनसीईटी ने 5 जून को अपील खारिज करते हुए बीकानेर कॉलेज की मान्यता रद्द के आदेश को यथावत रखा। वहीं अजमेर कॉलेज की सुनवाई बाकी है। 800 स्टूडेंट का भविष्य दांव पर इस फर्जीवाड़े की वजह से इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज इन एजुकेशन (IASE) बीकानेर व अजमेर में बीएड व एमएड कर रहे करीब 800 स्टूडेंट्स का भविष्य दांव पर लगा हुआ हैं। मान्यता रद्द के बावजूद दोनों कॉलेज में पढ़ाई चल रही है। एग्जाम भी हो रहे हैं। एनसीईटी के मान्यता रद्द के आदेश के बाद भी दोनों कॉलेज में 2022,2023, 2024 में स्टूडेंट को प्रवेश दिया गया। बीकानेर और अजमेर में बीएड की 150-150 सीटें हैं यानि फर्स्ट ईयर में एक कॉलेज में 150 व सेकेंड ईयर में 150 सीटें। इस हिसाब एक कॉलेज में बीएड के 300 स्टूडेंट्स हैं। इसी तरह एमएड के एक कॉलेज में 100 स्टूडेंट्स हैं। 2012 के बाद सभी कॉलेज उच्च शिक्षा के अधीन राजस्थान में 941 बीएड कॉलेज में से दो ही सरकारी बीएड व एमएड कॉलेज इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज इन एजुकेशन (IASE) बीकानेर व अजमेर हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग इन दोनों राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षा संस्थान (टी टी कॉलेज) को संचालित कर रही हैं। पीटीईटी में टॉपर स्टूडेंट्स को इन कॉलेजों में दाखिला मिलता है। 24 अप्रैल 2012 से राजस्थान कार्यविधि नियम के अनुसार, सभी बीएड व एमएड कॉलेजों को उच्च शिक्षा की श्रेणी में लिया गया। 2012 से पहले सभी एमएड बीएड कॉलेज माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन थे। ऐसे में सभी प्राइवेट कॉलेज उच्च शिक्षा के अधीन हो गए, लेकिन ये सरकारी कॉलेज माध्यमिक शिक्षा के अधीन ही संचालित हो रहे हैं। 2022 में कर दी थी मान्यता समाप्त 2019 में राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जोधपुर में एक याचिका दायर की गई। इस याचिका में बताया गया कि इन कॉलेजों में पढ़ा रहे शिक्षक उच्च शिक्षा के नहीं होने के कारण अनुपयुक्त हैं। इसका यह परिणाम हुआ कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की वेस्टर्न रीजनल कमेटी ने 10 नवंबर 2022 को जारी आदेशों से इन दोनों संस्थानों के बीएड व एमएड पाठ्यक्रमों की मान्यता समाप्त कर दी। यह आदेश 2023–24 के सत्र के प्रारंभ से प्रभाव में आ गया। विभाग ने दोनों कॉलेज की मान्यता की बहाली के लिए अपील की। एनसीटीई को गुमराह कर रहे शिक्षा विभाग इन दोनों कॉलेज की मान्यता को बहाल करवाने के लिए एनसीटीई को गुमराह कर रहा है। दोनों कॉलेज का स्टाफ पहले से ही स्कूल में कार्यरत है। यह स्टाफ माध्यमिक शिक्षा के पोर्टल शाला दर्पण और आईएएसई की वेबसाइट पर भी नजर आ रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि एक ही समय में एक ही व्यक्ति दो अलग-अलग जगह नौकरी कैसे कर सकता है? शाला दर्पण शिक्षा विभाग की वह वेबसाइट है, जिसमें राजस्थान के सभी सरकारी विद्यालयों में कार्यरत सभी स्तरों के शिक्षकों का संपूर्ण विवरण उपलब्ध होता है। आम नागरिक कभी भी ये वेबसाइट खोलकर देख सकता है। शिक्षा विभाग द्वारा दावा भी किया जाता है कि किसी भी स्टाफ का स्थानांतरण होते ही शाला दर्पण में तुरंत अपडेट होता है, क्योंकि शिक्षक का वेतन, रिलीव, जॉइनिंग आदि शाला दर्पण पर ही हाेता है। स्कूल लेक्चरर को असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया इन कॉलेजों में स्टाफ को एनसीटी के नियमों के अनुसार दिखाने के लिए स्कूली शिक्षकों व शिक्षा अधिकारियों के मूल पदनामों को समकक्ष कर पदनाम बदले गए जिसमें स्कूल व्याख्याता को असिस्टेंट प्रोफेसर, प्रधानाचार्य को एसोसिएट प्रोफेसर व जिला शिक्षा अधिकारी को प्रोफेसर के पदनाम दे दिए गए। स्कूली स्टाफ को योग्य दर्शाने के लिए 10 मार्च को शिक्षा सचिव की ओर से मंत्री मदन दिलावर को भेजा गया था, जिसे मंत्री ने अप्रूव (अनुमोदित) कर दिया। इसमें राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षा संस्थान में पोस्टेड स्कूल के प्राचार्य को एसोसिएट प्रोफेसर व प्राध्यापक को असिस्टेंट प्रोफेसर का पद के समकक्ष किया गया। इस तरह शिक्षा विभाग ने दोनों कॉलेज में पदनाम बदल कर नया स्टाफ एक वर्ष के लिए पोस्टेड किया, लेकिन यह स्कूल शिक्षा विभाग का स्टाफ अनिवार्य शर्तों को पूरा नहीं कर रहा है। एनसीटीई के मापदंड के अनुसार, शिक्षकों के पद प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर के होने चाहिए। उनका चयन भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग व उसके समकक्ष विश्वविद्यालय के नियमानुसार गठित चयन समिति द्वारा होना चाहिए। विभाग इस अनिवार्य शर्त की पूर्ति नहीं कर रहा है। भास्कर ने मामले में मंत्री मदन दिलावर से बात कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। एक कर्मचारी दो जगह पर पोस्टेड अजमेर टीटी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर रणवीर सिंह से सवाल सवाल : दोनों कॉलेज में अध्ययनरत छात्राें के भविष्य का क्या होगा? जवाब : जब तक अपील होती है तब तक मान्यता रिस्टोर होती है यह कोर्ट का भी निर्णय है और एनसीटीई में भी है। ऐसे में दोनों कॉलेज की मान्यता के रद्द के आदेश को निरस्त करने के लिए अपील की गई थी। दोनों कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट के दो निर्णयों में अपील पर होने पर मान्यता री स्टोर समझी जाएगी यह पहले ही लिखित में है। जब तक अपील चल रही है, कोर्ट में मामला है तब तक यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को कोई परेशानी नहीं होगी। सवाल : अजमेर कॉलेज की अपील की क्या स्थिति है? जवाब : अजमेर कॉलेज को लेकर इस वर्ष 9 जनवरी को एक सुनवाई हो चुकी। इसके बाद पेपर्स मांगे गए थे। फैकल्टी लगाने के संबंध में दस मार्च 2025 को राजस्थान सरकार द्वारा दोनों कॉलेज में फैकल्टी डिप्लॉय की गई। जॉयनिंग के बाद पेपर्स सब्मिट किए गए और दूसरी सुनवाई के लिए मौका दिया है लेकिन डेट नहीं दी। सुनवाई के बाद जो भी निर्णय देंगे वह मंजूर होगा। सवाल : कई स्टाफ शाला दर्पण व कॉलेज की वेबसाइट दोनों पर है, वह कैसे ? जवाब : प्राइवेट में एक-एक फैकल्टी पांच-पांच कॉलेज में सेवाएं दे रहे हैं। उन पर कोई उंगली नहीं उठाता। एक मंत्री पांच मंत्रालय का काम कर सकता है तो एक आदमी एक समय में दो-दो जगह सरकार में काम क्यों नहीं कर सकता? जहां ऐसी स्थिति बनती है वहां गवर्नमेंट संसाधनों का प्रीमियम यूज करती है यहां भी ऐसा ही है। (इस जवाब के बाद पोर्टल से स्टाफ का पेज ही हटा दिया गया।) सवाल : कॉलेज की वेबसाइट पर जो स्टाफ दर्शाया गया उसने पीएचडी किस सबजेक्ट में की वह नहीं मेंशन किया गया, ऐसा क्यों? जवाब : जो लोग एजुकेशन में पीएचडी है, वह मेंशन हैं, बाकी स्टाफ भी नेट, स्लेट व पीएचडी डिग्री धारी है। हो सकता है कि वह किस सबजेक्ट में पीएचडी है वह अब अपडेट किया जा रहा हो। एनसीटी के नॉर्म्स के तहत नेट स्लेट आदि होना जरूरी है। ऐसे में हमारे स्कूल में क्वॉलिफाइड स्टाफ को डिप्लॉय किया गया है। एक्सपर्ट बोले– प्रिंसिपल ध्यान से पढ़ें हाईकोर्ट के निर्णय भास्कर ने मामले में एक्सपर्ट डॉ. जितेंद्र शर्मा से बात की। उन्होंने कहा- 12 सितंबर 2022 को मान्यता रद्द होने के निर्णय के बाद मान्यता कभी बहाल नहीं हुई। ये दिल्ली उच्च न्यायालय के दो निर्णयों की बात कर रहे हैं उनको इनको ध्यान से पढ़ना व समझना चाहिए। मान्यता रद्द करने के आदेश के सेट असाइड होने का अर्थ यह नहीं है कि संस्थान का सिलेबस मान्यता वाला हो गया। सेट असाइड होने का अर्थ केवल इतना है कि मान्यता रद्द रखनी है या जारी रखनी है का निर्णय नए सिरे से लेना है। यही हुआ। नए सिरे से निर्णय हुए व 09 सितंबर 2024 को मान्यता समाप्ति के आदेश दोबारा जारी हो गए। प्रिंसिपल को दिल्ली उच्च न्यायालय की डबल बेंच का निर्णय जो LPA 376/2021 में हुआ, उसे पढ़ना चाहिए।