रेंज स्पेशल टीम ने पकड़े 65 हजार के दो इनामी:एक कपड़े की दुकान में सेल्समैन बनकर रहा, दूसरा खाटूश्याम के दर्शन कर लौटते पकड़ा गया

रेंज स्पेशल टीम ने पकड़े 65 हजार के दो इनामी:एक कपड़े की दुकान में सेल्समैन बनकर रहा, दूसरा खाटूश्याम के दर्शन कर लौटते पकड़ा गया
जोधपुर रेंज की स्पेशल साइक्लोनर टीम ने 65 हजार के दो फरारी इनामी आरोपियों को गिरफ्तार किया है। एक आरोपी के खिलाफ 40 हजार और दूसरे पर 25000 का इनाम घोषित था। जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार ने बताया- टीम ने 40 हजार के इनामी विष्णु उर्फ ठेकेदार पुत्र पपाराम निवासी चिरढाणी पीपाड़ को ऑपरेशन अस्तिभ्रम चलाकर पकड़ा। आरोपी हत्या के मामले में फरार था। दूसरा आरोपी भेरूलाल देवासी पुत्र मांगीलाल निवासी निंबाहेड़ा चित्तौड़गढ़ मादक पदार्थ तस्करी के मामले में फरार था, जिसे ऑपरेशन भल्लालदेव चला कर पकड़ा गया। उसकी गिरफ्तारी पर 25 हजार का इनाम घोषित था। इसमें से विष्णु को साइक्लोनर टीम ने कपड़े के शोरूम में ग्राहक बनकर पकड़ा। वहीं दूसरा आरोपी भेरूलाल को खाटूश्याम बाबा के दर्शन कर लौटते समय जयपुर जिले के फुलेरा जंक्शन से पकड़ा गया। दोनों ऑपरेशन के अलग-अलग नाम विष्णु को पकड़ने के लिए आईजी की स्पेशल साइक्लोनर टीम ने ऑपरेशन अस्थिभ्रम चलाया। बता दे कि विष्णु और उसके साथियों ने पहचान के भ्रम में किसी और के स्थान पर श्याम पालीवाल की हत्या कर दी थी। उसके बाद पिछले दो वर्षों से अपनी पहचान बदलकर जयपुर में बैठकर पुलिस को भ्रम में डाले हुए बैठा हुआ था पुलिस को उसकी पहचान का पता नहीं चलता था उसके चलते पुलिस ने ऑपरेशन का नाम अस्थिभ्रम रखा। आरोपी विष्णु के पिता ट्रक ड्राइवर थे और बचपन से ही विष्णु पढ़ाई में होशियार था। विष्णु सरकारी नौकरी में जाना चाहता था इसके लिए उसके पिता ने शारीरिक शिक्षा में बैचलर की डिग्री दिलवाई और पढ़ने के लिए सूरतगढ़ भेज गया। यहां पर सूरतगढ़ में बदमाशों की संगत में आ गया उसके बाद खुद अपराध की दुनिया में आगया। आवारा मित्र मंडली की गलत संगति में विष्णु ने चिराई गांव में अपने एक ऐसे ही दोस्त के तथाकथित दुश्मन एक स्टोन कटर के मालिक को सबक सीखने के लिए गया, लेकिन पहचान के भ्रम का शिकार हो गया और वहां पर किसी और अन्य व्यक्ति श्याम पालीवाल की हत्या कर दी। उसके बाद अपने साथियों के साथ फरार हो गया। वहीं उसके साथी पिछले 3 सालों में बारी बारी से पकड़े गए, लेकिन विष्णु अपनी पहचान छुपा कर फरार चल रहा था। कभी कमठा मजदूर बना तो कभी कपड़े की दुकान पर सेल्समैन तो कभी स्टूडेंट बनाकर छुप रहा था। महीने के 10 दिन कमठा मजदूरी करता तो शेष 20 दिन परीक्षा की तैयारी कर विष्णु रह रहा था इसके चलते तीन बार पुलिस की गिरफ्तारी से भी बच गया। इधर उसे पकड़ने के लिए पिछले 3 सालों से पुलिस लगी हुई थी, लेकिन आखिरकार उस पर 40000 का इनाम घोषित किया गया। इसके बाद उसे पकड़ने के लिए साइक्लोनर टीम ने अभियान चलाया। पुलिस ने मुखबीर के जरिए जानकारी जुटाई तो पता चला कि आरोपी जयपुर के जोहरी बाजार इलाके में कपड़े की दुकान पर नौकरी करता है। इस पर सिविल कपड़ों में टीम ग्राहक बनकर पहुंची और उसकी दुकान से उसे दबोच लिया। दुकान मालिक को भी नहीं था पता जब दुकान से आरोपी विष्णु को टीम ने पकड़ा तो एक बार सभी चौंक गए। दुकान मालिक को भी नहीं पता था कि जो उसके यहां नौकरी कर रहा है वो हत्या का आरोपी है। उसने पुलिस को बताया कि लंबे समय से विष्णु ने अपने मधुर व्यवहार की वजह से सबका दिल जीत रखा था। उसने यहां खुद को गरीब परिवार का बताया था। पढ़ाई में होशियार होने के चलते उसकी सब मदद भी करते थे। दूसरे साथी से हाथ मिलाना पड़ा भारी जबकि भेरूलाल देवासीके नाम भेरू से भ और देवासी से देव निकालकर भल्लालदेव रखा गया। भेरूलाल देवासी पढ़ाई में मन नहीं लगने पर पढ़ाई छोड़कर सीमेंट की फैक्ट्री में ट्रैक्टर चलाने लगा था और वहीं पर मजदूरों को आसपास के अड्डों से डोडा लाकर आपूर्ति करता था जिसे थोड़े पैसे कमाने लगा। इसके बाद एक दिन वह निंबाहेड़ा सदर पुलिस के हफ्ते चढ़ गया। उस समय ट्रैक्टर पर 2 क्विंटल डोडा लेकर आ रहा था। जब जेल गया तो वहां पर एक मजदूर के रिश्तेदार हनुमान से परिचय हुआ तो बड़े पैमाने पर डोडे की आपूर्ति का धंधा शुरू कर दिया और जेल से ही अपना नेटवर्क चलाने लगा। इसके बाद जब जेल से बाहर आया तो फुल टाइम नशीले पदार्थों का सप्लायर बन गया। बाड़मेर में रहने वाले हनुमान के साथ भेरूलाल ने अवैध धंधा करना शुरू कर दिया उसके बाद अधिक फायदा देखकर हनुमान नाम के दूसरे तस्कर के साथ हाथ मिला लिया। जब दोनों का धंधा जमकर चल निकला तो पहले वाले हनुमान को यह बात नागवार गुजरी और उन्होंने ईर्ष्या के तहत दोनों की एक बड़ी मादक पदार्थ की खेप को बाड़मेर के आरजीटी थाना क्षेत्र में पुलिस के हाथों पकड़वा दिया। खास बात यह है कि चित्तौड़गढ़ का रहने वाला भेरूलाल कभी बाड़मेर नहीं गया लेकिन बाड़मेर की पुलिस के लिए मुलजिम बन गया। इसके चलते भेरूलाल पुलिस से बचने लगा ऐसे में बाड़मेर पुलिस ने उस पर 25000 का इनाम घोषित किया। इधर गिरफ्तारी के डर से बार-बार भाग रहा भेरूलाल थक गया और मानसिक शांति के लिए खाटू श्याम बाबा की शरण ली। यहां उसका पहले वाला साथी हनुमान उसकी पल-पल की खबरें ले रहा था और उसने अपने मुखबिरों से भेरू के घर से निकलकर खाटू वाले की सूचना दी। इस पर साइक्लोन टीम ने खाटू श्याम बाबा के दर्शन कर रिंगस से ट्रेन पड़कर घर लौटने की फिराक में लगे भेरू को फुलेरा जंक्शन पर ट्रेन का इंतजार करते हुए पकड़ लिया।