प्रगतिशील किसान का हौसला:जहां काले गेहूं को कोई जानता नहीं था, वहां खेती की अलख जगा रहे

प्रगतिशील किसान का हौसला:जहां काले गेहूं को कोई जानता नहीं था, वहां खेती की अलख जगा रहे
अलवर जिले का खेड़ली क्षेत्र सरसों मंडी के कारण प्रसिद्ध है लेकिन अब यहां काले गेहूं का उत्पादन भी होने लगा है। कारण- प्रधानाध्यापक पद से रिटायर होने के बाद सौंखरी गांव निवासी किसान शिवप्रसाद तिवाड़ी काले गेहूं की खेती के प्रति किसानों को जागरूक करने में जुटे हैं। तिवाड़ी ने बताया- रिटायर के बाद पूरी तरह खेती में जुट गया। पत्नी डायबिटीज से पीड़ित थी। रोजाना दवाएं लेने पर भी ठीक नहीं हो रही थी। शुगर लेवल ज्यादा आ रहा था। इस बीच किसी ने मुझे बताया कि काला गेहूं डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट और हड्‌डी संबंधी रोगों में बहुत फायदेमंद रहता है। यह शुगर रहित होता है। लेकिन समस्या यह थी बाजार में काला गेहूं नहीं मिला। मैंने निश्चय किया कि काला गेहूं मैं खुद उगाऊंगा। मैंने ऑनलाइन खंगाला, जानकारों से मिला। पंजाब से बीज मंगवाए। मैंने एक बीघा खेत तैयार कर नवंबर के पहले सप्ताह में काला गेहूं बोया। सामान्य गेहूं में 4 सिंचाई पर्याप्त रहती है लेकिन मैंने जानकारी पहले से जुटा ली थी कि इस गेहूं को नमी ज्यादा चाहिए। इसलिए फसल में 5 बार सिंचाई दी। नमी बनाए रखने के देशी उपाय किए। उर्वरक सहित कोई भी रासायनिक चीज काम में नहीं ली। बाकी ज्यादातर प्रक्रिया सामान्य गेहूं उगाने की तरह ही की। तिवाड़ी ने बताया- काले गेहूं की रोटी सबसे पहले परिवार में इस्तेमाल की। डेढ़ महीने में ही पत्नी का शुगर, ब्लडप्रेशर कंट्रोल हो गया। अब मैं दूसरे किसानों को भी औषधीय गुणों वाला काला गेहूं उगाने के लिए प्रेरित करता हूं। बीज उपलब्ध कराता हूं, विधि बताता हूं। हालांकि इस बार मार्च में मौसम के चलते थोड़ा नुकसान हुआ लेकिन तब भी करीब 40 मन उत्पादन हुआ है। यह गेहूं बाजार में सामान्य गेहूं के मुकाबले तीन गुना अधिक कीमत में बिकता है। आप भी किसान हैं और खेती में ऐसे नवाचार किए हैं जो सभी किसान भाइयों के लिए उपयोगी हैं, तो डिटेल व फोटो-वीडियो हमें अपने नाम-पते के साथ 9509056878 पर सिर्फ वॉट्सएप करें। ध्यान रखें, ये नवाचार किसी भी मीडिया में न आए हों।