सील में डील!...:पहले अवैध निर्माण बता बिल्डिंगों को सील किया, फिर हलफनामे लेकर उन्हें हटवाना ही भूल गया निगम

सील में डील!...:पहले अवैध निर्माण बता बिल्डिंगों को सील किया, फिर हलफनामे लेकर उन्हें हटवाना ही भूल गया निगम
जिन अवैध निर्माणों पर नगर निगम बिल्डिंग सील कर देता है, सील खोलने के बाद उन्हीं अवैध निर्माणों की ओर उसकी नजर नहीं जाती। दरअसल सील खोलने के बाद 60 दिन में अवैध निर्माण हटाना जरूरी है, लेकिन सील खुलने के बाद कोई कार्रवाई नहीं होती। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि कार्रवाई का उद्देश्य अवैध निर्माण हटवाना होता ही नहीं तो फिर बिल्डिंगें सील की ही क्यों की जाती है? निर्माण करने वालों को बिल्डिंग बायलॉज की पालना करनी होती है। निर्धारित से ज्यादा मंजिलें बनाने या सैट बैक नहीं छोड़ने पर बिल्डिंग को सील करने का प्रावधान है। ऐसे में नगर निगम पहले इन्हें सील कर देता है। इसके बाद में निर्माणकर्ता द्वारा बिल्डिंग बायलॉज की पालना करने और अवैध निर्माण खुद हटवाने हलफनामा लेकर सील खोल दी जाती है। जिस निर्माण की स्वीकृति जारी ही नहीं की जा सकती, नियमानुसार 60 दिन के भीतर निर्माणकर्ता को वह अवैध निर्माण खुद हटवाना होता है। यदि वह ऐसा नहीं करता तो निगम को इसे तुड़वाना या फिर से सील करना होता है। लेकिन एक बार सील खोलने के बाद निगम ऐसी बिल्डिंगों की ओर झांकता तक नहीं। ना ही ऐसा करने वालों के खिलाफ कोर्ट में केस दर्ज कराने की कार्रवाई की जा रही है। केस-1 लक्ष्मण मंदिर : खाटू श्याम कॉप्लेक्स लक्ष्मण मंदिर बड़ा बाजार स्थित श्री खाटू श्याम कॉम्प्लेक्स बिना सेट बैक छोड़े बनाया गया। निर्माण से आस-पड़ौसियों के घर-दुकान क्षतिग्रस्त हो गए। शिकायतों पर निगम ने इसे 7 दिसंबर 20 को सील कर दिया। कॉम्प्लेक्स में रिटायर्ड आईपीएस का भी हिस्सा था। पूर्व आयुक्त राजेश गोयल ने निर्माण की स्वीकृति लेने पर ही सील खोल दी। आज तक बिल्डिंग बायलॉज की पालना कराने की सुध नहीं ली। केस-2 कोतवाली के सामने बनी तिमंजिला बिल्डिंग कोतवाली थाने के सामने मुख्य बाजार में तीन मंजिला व्यवसायिक बिल्डिंग बनाई गई। इसे बनाने के लिए आम रास्ते पर भी छत डाल दी गई। डीएलबी डायरेक्टर ने आम रास्ते की छत हटाने के बाद सील खोले जाने का आदेश दिया था। निर्माणकर्ता से एक हलफनामा लेकर 26 दिसंबर 21 को पूर्व आयुक्त कमल राम मीणा ने सील खोल दी। इसके बाद निगम ने ना आम रास्ते से निर्माण हटवाया ना ही सेटबैक के निर्माण पर कार्रवाई की जहमत तक उठाई। केस-3 सुभाष पार्क 5 मंजिला भवन जामा मस्जिद के पास पांच मंजिला व्यवसायिक बिल्डिंग पड़ौसियों के मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने पर 16 मई 22 को सील हुई। निर्माणकर्ता के 60 दिन में नियमों की पालना के आधार पर 27 दिसंबर 24 को आयुक्त श्रवण कुमार विश्नोई ने सील खोली। पांच महीने बीतने पर भी नगर निगम ने ना निर्माणकर्ता पर केस करने की कार्रवाई की, ना ही स्वीकृति के अयोग्य अवैध निर्माण हटवाया। कार्रवाई करेगा नगर निगम- आयुक्त "जिन मामलों में निर्माणकर्ता द्वारा हलफनामा देने के बाद भी बायलॉज की पालना नहीं की गई है। उन सभी के खिलाफ नगर निगम कार्रवाई करेगा।" - श्रवण कुमार विश्नोई, आयुक्त, नगर निगम