पंचायतनामा:कांच की चूड़ियों से मिली ऊंच गांव को नई पहचान कई राज्यों में डिमांड, 15 दिन पहले होती है बुकिंग

पंचायतनामा:कांच की चूड़ियों से मिली ऊंच गांव को नई पहचान कई राज्यों में डिमांड, 15 दिन पहले होती है बुकिंग
भरतपुर जिले में नदबई क्षेत्र का गांव ऊॅच...जिले ही नही बल्कि, अन्य प्रदेश में कांच से बनी सुहाग चूडियों को लेकर पहचान बनाए हुए है। प्रदेश के कई जिलों सहित यूपी, दिल्ली, हरियाणा व प्रदेश के अलग-अलग धार्मिक स्थानों पर आयोजित धार्मिक मेलों में ऊंच में बनी कांच की चूडियों की इतनी डिमांड है कि, दुकानदारों को कांच की चूडियों के लिए करीब 15 से 20 दिन पहले बुकिंग कराना पड़ती है। ऊंच में कचेरा समाज के परिवार, विगत सौ साल से सुहाग (हरी) चूडिय़ां बनाने का कार्य कर रहे। खास बात है कि, मशीनी युग होने के बावजूद, आज भी कचेरा समाज के लोग मिट्टी से बनी भट्टी पर पहले कांच पिघलाते है। बाद में घरेलू औजार से कांच की चूड़ियां बनाते है। हालांकि, आधुनिकता के युग में धीरे-धीरे चूडी व्यवसाय कम होता भी नजर आ रहा। ऊंच में बनी सुहाग की चूडी भरतपुर, जयपुर, फिरोजाबाद, हरियाणा, दिल्ली तक डिमांड की जाती है। इतना ही नही कई परिवार के लोग, ऊंच में बनी चूडियों को झील का बाडा, कैलादेवी मेला, खाटूश्याम मेला सहित अन्य धार्मिक मेलों में बिक्री करने जाते। लकडी के बुरादे से मिट्टी की भट्टी पर गर्म करते कांच... ऊंच निवासी श्रमिक भूरा कचेरा ने बताया कि पहले लकड़ी के बुरादे से मिट्टी की भट्टी में कांच को पिघलाया जाता। बाद में तपती गर्मी के बावजूद, गर्म भट्टी के समीप घरेलू औजार से कांच की चूड़ियां बनाई जाती। एक भट्टी पर करीब दस से बारह श्रमिक एक साथ कांच की चूड़ियां बनाते। एक श्रमिक करीब आठ घंटे में एक हजार चूडी बना कर प्रतिदिन करीब पांच सौ रुपए की मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण कर रहा। श्रमिक रामसिंह कचेरा ने आठ से दस भट्टी पर चूडी बनाने के बारे में बताया कि चूडी व्यवसाय में आर्थिक सहयोग नही मिलने से फिलहाल तीन से चार भट्टी संचालन हो रही है। पूर्व सरपंच श्याम सिंह ने बताया कि ऊंच को कांच की चूडियों के नाम से पहचान मिली हुई। मशीनी युग के बावजूद हाथ से बनी उच्च क्वालिटी की चूडी निर्माण के साथ ही श्रमिकों के रोजगार को लेकर प्रदेश सरकार को भी पीएम विश्वकर्मा सहित अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं से श्रमिकों को लाभान्वित करना होगा। श्रमिकों को लाभान्वित करने पर ही ऊंच की पहचान बनी चूडी व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा। पंचायत का लेखा-जोखा जनसंख्या : 5500 साक्षरता दर : 75% जिला मुख्यालय से दूरी : 42 किमी कनेक्टिविटी : सड़क से जुड़ा हुआ प्रमुख उत्पादन : गेहूं, सरसों और बाजरा आय का स्त्रोत: कृषि व पशुपालन पहचान : कांच चूडी व्यवसाय