ट्रांसफर की आस लगाए बैठे थर्ड ग्रेड शिक्षक मायूस:ग्रेड थर्ड के ना तबादले ना प्रमोशन, 2 सरकारें मिलकर नीति नहीं बना पाई

ट्रांसफर की आस लगाए बैठे थर्ड ग्रेड शिक्षक मायूस है। गर्मी की छुट्टियां खत्म होने को है। सात दिन बाद नया शिक्षा सत्र शुरू हो जाएगा। लेकिन तृतीय श्रेणी शिक्षकों के ना तबादले हुए ना ही प्रमोशन। ये वो आबादी है जो शिक्षा विभाग की बड़ा हिस्सा है। प्रारंभिक-माध्यमिक शिक्षा विभाग में करीब पौने चार लाख शिक्षक हैं। इसमें से थर्ड ग्रेड शिक्षकों की तादाद एक लाख 80 हजार के करीब हैं मगर सरकार के ट्रांसफर पॉलिसी में यही उपेक्षित हैं। प्रदेश में व्याख्याता करीब 55 हजार हैं। सैकंड ग्रेड के शिक्षक करीब 1 एक लाख के आसपास है। 19 हजार के करीब प्रिंसिपल हैं। 12 हजार के करीब वाइस प्रिंसिपल हैं। इनके इतर 7 लाख सरकारी कर्मचारियों को ट्रांसफर के लिए भाजपा सरकार ने आते ही ट्रांसफर का मौका दे दिया मगर शिक्षा विभाग तक ट्रांसफर खुलने वाली गाइड लाइन मान्य नहीं हुई। ऐसे में खबर चली कि मई-जून में सरकार अन्य कर्मचारियों के साथ शिक्षा विभाग में भी ट्रांसफर खोलेगी मगर अब स्कूल खुलने में सिर्फ 7 दिन ही शेष रहे। ऐसे में अब शिक्षकों के चेहरे पर मायूसी छा गई। थर्ड ग्रेड शिक्षकों की परेशानी इसलिए सबसे ज्यादा है क्योंकि इनके ट्रांसफर पर बैन 7 साल पहले खुला था। उसके बाद प्रदेश के तमाम सरकारी कार्मिकों को कई बार मनचाही पोस्टिंग का मौका मिला मगर सबसे बड़ा शिक्षकों का वर्ग अभी भी एच्छिक पोस्टिंग नहीं ले पा रहा। इनकी परेशानी सिर्फ ट्रांसफर नहीं बल्कि पदोन्नति की भी है। प्रदेश में तबादला नीति एक बड़ा मुद्दा है। गहलोत शासन में अनेक बार शिक्षक तबादला नीति को लेकर घोषणा हुई, लेकिन नीति नहीं बन सकी। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 28 अक्टूबर 2024 को शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल की अध्यक्षता में जयपुर में शिक्षक तथा कर्मचारी संगठनों की बैठक में स्थानांनता नीति का डेमो दिखाया गया। लेकिन शिक्षक स्थानांतरण नीति अभी तक नहीं बनाई जा सकी है। नीति नहीं होने से शिक्षा के साथ ही चिकित्सा, विद्युत, जलदाय व पंचायतीराज सहित अन्य विभागों के कर्मचारी पारदर्शी तबादलों का इंतजार कर रहे हैं। राज्य में स्पष्ट नीति के अभाव में कभी भी तबादलों का दौर शुरू शुरू हो जाता है और कभी भी लॉक हो जाता है। जबकि पंजाब, हरियाणा, केरल, दिल्ली सहित कई राज्यों में शिक्षा सहित अन्य विभागों के कर्मचारियों के तबादलों के लिए नीति बनी हुई है। जानकारी के अनुसार राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण सहित अन्य न्यायालयों में हर साल औसतन 15 हजार मामले अधिकारी और कर्मचारियों के तबादले के पहुंचे रहे हैं।