वन विभाग:प्रदेश में 5000 फीट ऊंची पहाड़ियों पर अब ड्रोन से बीज गिरा कर बढ़ाएंगे हरियाली, क्योंकि 4 साल पहले वाले 70% पौधे जीवित रहे

वन विभाग:प्रदेश में 5000 फीट ऊंची पहाड़ियों पर अब ड्रोन से बीज गिरा कर बढ़ाएंगे हरियाली, क्योंकि 4 साल पहले वाले 70% पौधे जीवित रहे
राजस्थान-मध्यप्रदेश के सीमावर्ती वन क्षेत्र में चार साल पहले ड्रोन से बीज गिराते हुए सफल प्रयोग किया गया था। इसे आगे बढ़ाते हुए इस बार मानसून के दौरान वन विभाग प्रदेश की 5000 फीट ऊंचाई वाली सैकड़ों पहाड़ियों पर ड्रोन से बीज गिराकर हरियाली बढ़ाएगा। इसके लिए विभाग पहाड़ियों का सर्वे कर रहा है। प्रदेश में बारिश शुरू हाे गई है, कुछ ही दिनों में जब पहाड़ियों में घास उग जाएगी तो अगस्त में ड्रोन से बीज गिराए जाएंगे, क्योंकि घास की वजह से बीज पानी के बहाव के साथ बहेंगे नहीं। जयपुर संभाग में अलवर, दौसा, जयपुर नॉर्थ व झुंझुनूं जिले की एक दर्जन से ज्यादा पहाड़ियां इस प्रोजेक्ट में हैं। पहले चरण में प्रत्येक जिले में तीन से पांच लाख रुपए खर्च हाेंगे। सीकर के हर्ष व शाकंभरी की पहाड़ियों के करीब 100 हैक्टेयर में ड्रोन से बीज गिराए जाएंगे। इसी तरह भरतपुर, बांसवाड़ा, जोधपुर, अजमेर सहित अन्य संभागों में ऊंची पहाड़ियों का सर्वे किया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार कम पानी और शुष्क जलवायु में पनपने वाले पौधों पर विशेष फोकस रहेगा। पहाड़ियों पर बीज गिराने के लिए ड्रोन कंपनियों से अनुबंध किया है। इसके लिए वे ही ड्रोन लिए जाएंगे, जिनमें सीड बॉक्स लगा होगा। ड्रोन के कैमरे से पहाड़ी की खाली जगह तलाश कर पायलट वहीं बीज छोड़ेगा, जहां पौधे नहीं हैं। इसके लिए शुष्क जलवायु में उगने वाले पौधों की करीब एक दर्जन प्रजाति के बीज चिह्नित किए गए हैं। इनमें सीता फल, इमली, अमलतास, पलास, धोक, वला, खैर, रोंज, कुमठा के बीज गिराए जाएंगे। इन प्रजाति के पौधों काे मवेशी भी नहीं खाते हैं। ये पौधे शुष्क जलवायु में बिना सिंचाई के लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। बता दें कि वन विभाग को 4 साल पहले राजस्थान-मप्र सीमा पर ड्रोन से गिराए गए बीज से 70 प्रतिशत तक पौधे उगाने में सफलता मिली थी। विभाग के अनुसार इस तकनीक से गिराए गए बीजों से उस इलाके की पहाड़ी अब हरी दिखने लगी है। गड्‌ढे खोदकर पौधे रोपने से ज्यादा आसान सीकर के उप वन संरक्षक गुलजारी लाल ने बताया कि विभाग ने पहाड़ियों का चयन कर जानकारी मुख्यालय को भिजवा दी है। साथ ही बीजों को ड्रोन की मदद से गिराने की तैयारियां कर रहे हैं। गड्ढे खोदकर पौधे रोपने के बजाय ड्रोन तकनीक से पौधारोपण आसान होगा। इसमें रखरखाव का न के बराबर है। ड्रोन से बीज गिराने के लिए फर्मों के साथ अनुबंध किया जा रहा है।