चंदला में धर्म उपदेशक बजिंदर की ब्रांच:महिला पादरी कराती है प्रार्थना, बीमारियां ठीक होने का दावा; पिता ने बागेश्वर धाम को कहे अपशब्द

चंदला में धर्म उपदेशक बजिंदर की ब्रांच:महिला पादरी कराती है प्रार्थना, बीमारियां ठीक होने का दावा; पिता ने बागेश्वर धाम को कहे अपशब्द
छतरपुर में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह चंदला थाना क्षेत्र का बताया जा रहा है। वीडियो में एक व्यक्ति कुछ महिलाओं से बात कर रहा है। हिंदू सरनेम वाली महिलाएं कह रही हैं कि हम हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानते हैं। अगरबत्ती नहीं लगाते, बाइबल पढ़ते हैं। परमेश्वर एक है, सबके शरीर में एक ही खून बह रहा है। जो हमें जीवन दान दे रहा है, हम उसी को मानते हैं। वे महिलाएं बाइबल के साथ यीशू की प्रार्थना की एक किताब निकालती हैं और उस व्यक्ति को देती हैं। कहती हैं कि इसे इधर-उधर मत रखना। अच्छी साफ-सुथरी जगह पर संभालकर रखना। करीब 6 मिनट का वीडियो समाप्त हो जाता है। मामला समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम चंदला पहुंची। थाने में कुछ पुलिसकर्मियों से बात की और पूछा कि यहां जो धर्मांतरण का मामला चर्चा में है, वह कहां का है? एक बुजुर्ग ने बताया कि थाने से कुछ ही दूरी पर एक वार्ड में ये सबकुछ चल रहा है। बजिंदर सिंह की तस्वीर के साथ बैनर लगे दैनिक भास्कर की टीम वार्ड में पहुंची। टीम के वार्ड में एंट्री लेने के कुछ देर में ही पीछे से एक बुजुर्ग आए। उन्होंने पूछा कि आप कहां जा रहे हैं, किससे मिलना है? हमने कहा- तुलसा देवी अहिरवार कहां मिलेंगी? उनका घर कहां है? बुजुर्ग ने कहा- मैं ही हूं उनका पति दयाराम। आइए मेरे साथ। वो हमें घर ले गए। घर के पास जाते ही हमने देखा कि वहां घर की एक दीवार पर धर्म उपदेशक बजिंदर सिंह और पादरी सीमा चंदला की तस्वीर के साथ दो बड़े बैनर लगे नजर आए। बैनर में समाजसेवा का काम दिखाती हुई तस्वीरें और बड़े अक्षरों में CHARITY (दान) लिखा है। साथ ही P.B.S.M. मध्य प्रदेश सेकेंड ब्रांच लिखा है। हम बैनर देख ही रहे थे कि तभी एक व्यक्ति ने हमसे पूछा कि आप कहां से और किसलिए आए हैं? हमने बताया कि कांग्रेस की नेता पूर्व जनपद अध्यक्ष तुलसा देवी अहिरवार पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने यहां अहिरवार समाज के कई लोगों का धर्मांतरण कराया है। उन्हें क्रिश्चियन बनाया है। लोगों के घरों से देवी-देवताओं की तस्वीरें हटवाई हैं। उन्हें पूजने से मना किया है। वे यहां चंगाई सभा चलाती हैं। तुलसा देवी ने कहा- बेटियां चलाती हैं चंगाई सभा उस व्यक्ति ने अपनी पत्नी तुलसा देवी अहिरवार को बुलाया। तुलसा देवी से सवाल पूछने पर उन्होंने कहा- हमारा इससे कोई संबंध नहीं है। ये मेरी बेटियां चलाती हैं। उनकी मेन ब्रांच चंडीगढ़ में है, वो यहां बस दूसरी ब्रांच चला रही हैं। हम उससे कोई मतलब नहीं रखते, हमें उसका ज्ञान भी नहीं है। धर्मांतरण के इल्जाम गलत हैं। मैं राजनीति में हूं। खास तौर पर कांग्रेस पार्टी से हूं, इसीलिए लोग जबरदस्ती मेरे पीछे पड़े हैं। मेरी बेटियों को तो कोई जनता नहीं है और वो कोई गलत काम भी नहीं कर रही हैं। राजनीति में होने के चलते ही जलने वाले लोग मुझे घेर रहे हैं। बजिंदर सिंह के संपर्क में कैसे आईं बेटियां? तुलसा देवी ने कहा- 14 साल पहले हमारी पूरी फैमिली की बहुत ज्यादा तबीयत खराब होने लगी थी। साल 2010 में मैं जैसे ही चुनाव जीती, पता नहीं मुझ पर और मेरे परिवार पर किसने क्या कर दिया? हमें पागलपन के दौरे पड़ने लगे थे। 3-3 दिन तक होश नहीं आता था। हमने बहुत जगह दिखवाया। जहां जिसने बताया, वहां गए। मंदिर बनवाए, पूजा कराई। फिर 7 साल पहले एक दिन सोशल मीडिया पर हमने जालंधर का एक वीडियो देखा। वहां लोग सभी तरह की बीमारियों से ठीक हो रहे थे। हम जालंधर चले गए। वहां चर्च में पादरी जी ने हमारी प्रार्थना की। प्रोफेट (धर्म उपदेशक) बिजेंद्र सिंह ने हमारी प्रार्थना की। एक बार की प्रार्थना से ही हम पूरी तरह ठीक हो गए। ठीक होने के बाद हम उनसे जुड़ गए थे। इसके बाद हम अपनी बेटियों को लेकर दोबारा वहां गए। बेटियों को वहां शांति मिली। बाद में उन्होंने वहां लगातार जाना शुरू कर दिया। इसके बाद से वो यहां गांव में प्रार्थना करने लगी हैं। उनकी प्रार्थना से लोगों की तकलीफें दूर होने लगीं। यहां हर संडे को लोग आने लगे हैं। बेटियां पिछले 2 साल से यहां प्रार्थना कर रही हैं। यहां लोगों को तकलीफ, परेशानी से चंगाई मिलती है। इसी को चंगाई सभा कहते हैं। धर्मांतरण का आरोप गलत है। बजिंदर ने हमारा धर्मांतरण नहीं कराया है तो हम किसी का क्यों कराएंगे? हम किसी से नहीं कहते। बजिंदर के पास तो 2-3 लाख लोग जाते हैं। हम यहां किसी को बुलाते नहीं हैं। बेटी बोली- प्रभु यीशु का शुभ समाचार देकर प्रचार करते हैं हम तुलसा देवी से बात कर रहे थे कि तभी उनकी छोटी बेटी पूनम घर से बाहर आई। पूनम ने कहा- संडे को हम जो आराधना करते हैं, इसमें हम किसी धर्म को ठेस पहुंचाने का काम नहीं करते हैं। ये हम सबके लिए करते हैं। हम प्रभु यीशु मसीह का प्रचार करते हैं और उनका शुभ समाचार लोगों तक पहुंचाते हैं। प्रभु यीशु यहां लोगों के पापों को काटने के लिए आए, उन्होंने पापी लोगों से प्रेम किया। उसने किसी में भेदभाव नहीं किया। इसलिए हम भी किसी जाति, धर्म में भेदभाव नहीं कर सकते। जो उसकी आराधना, महिमा करने के लिए आते हैं, उनमें भेदभाव नहीं होता। जो लोग इकट्ठे होकर प्रभु की प्रार्थना में इकट्ठे होते हैं। वो एक ही परिवार होते हैं, उनमें भाईचारा होता है। मन और हृदय का परिवर्तन करने आते हैं लोग पूनम ने कहा- यहां की पादरी मेरी बहन सीमा हैं। अभी बाहर गई हैं। अगले संडे आ जाएंगी। PBSM का फुल फॉर्म है- प्रोफेट बजिंदर सिंह मिनिस्ट्री। मध्यप्रदेश में इसकी पहली ब्रांच सीधी में खुली है। यहां दूसरी ब्रांच में हम अनाथों, बीमार, मजबूर, लाचारों के लिए दुआएं करते हैं। जिसका कोई नहीं होता, हम उसकी मदद करते हैं। चंगाई का काम करते हैं। हमें ये तो नहीं पता कि लोग कहां-कहां से आते हैं, लेकिन यहां हर संडे दो-तीन सौ लोग आते हैं। यहां उद्धार का काम हो रहा है। यहां जितने भी लोग आते हैं, वो अपने मन का परिवर्तन करते हैं। दयाराम ने कहा- बागेश्वर बाबा अमीरों की सुनता है दयाराम अहिरवार ने कहा- मैं बहुत परेशान था। सिंचाई विभाग में नौकरी न होती तो बर्बाद हो जाता। हमारा पूरा परिवार पागल हो जाता। मध्यप्रदेश के दस से ज्यादा जिलों के अस्पतालों में मैंने इलाज कराया। पता चला कि मेरी पत्नी की ब्लीडिंग शुरू हुई तो कई दिनों तक बंद ही नहीं हो रही है। मेरी बच्चियां अचानक से पागल हो गईं। मैं पागल होने लगा। मैंने झांसी और दिल्ली एम्स तक इलाज कराया। कहीं आराम नहीं लगा। जिसने जहां बताया वहां गया, वो किया। मैंने मंदिर भी बनवाए। बंजारी रोड किनारे मेरे बनवाए दो मंदिर हैं। एक हरदौल का मंदिर है और एक देवी का स्थान है। इसके बाद मैंने बांसिया गांव में मंदिर बनवाया। इसके बाद भी उद्धार नहीं हुआ तो फिर मैं सेजवाह के भैरव बाबा के मंदिर में गया। वहां 12 फीट का मंदिर बनवाया। दिल्ली से ढाई फीट की पीतल की मूर्ति बनवाकर रखवाई। कुछ भी करने से आराम नहीं लगा। इसके बाद मेरी बेटियों ने यूट्यूब पर यीशु की प्रार्थना का वीडियो देखा। हम धर्म उपदेशक बजिंदर से मिले। हमने उनसे आग्रह किया तो उन्होंने हमारे लिए प्रार्थना की। उसी दिन से हमें आराम मिल गया। इसके बाद मैं दोबारा अपनी बेटियों को लेकर गया। उन्होंने बेटियों के लिए प्रार्थना की और उन्हें प्रार्थना की विधि भी बताई। तब से बेटियां यहां गांव में प्रार्थना कर रही हैं। यहां सिर्फ चंगाई होती है। बजिंदर से मिलने के बाद मूर्ति पूजा बंद कर दी दयाराम ने कहा- जिस दिन से हम बजिंदर से मिले हैं, उसी दिन से कसम खा ली है कि अब मूर्ति पूजा नहीं करेंगे। ये सब पत्थर हैं। सीधी बात है। न ही हम पंडितों से ब्याह कराते हैं, न ही बच्चे होने पर पूजा कराते हैं। हमें उनसे कोई मतलब नहीं है। मैंने अभी अपनी बेटी की सगाई की है। हमने उनसे कहा है कि बौद्ध धर्म से शादी कर लीजिए। हम बाबासाहब अंबेडकर को भी मानते हैं। ये आरएसएस वाले मेरे और मेरे परिवार के पीछे पड़े हैं। धर्मांतरण के झूठे आरोप लगा रहे हैं। उनके चक्कर में यहां 10 बार पुलिस आ चुकी है। संडे को मेरी बेटियों ने खुद पुलिस और तहसीलदार को कॉल किया था और कहा था कि यहां आ कर देख लीजिए कि क्या हो रहा है। मैं सिंचाई विभाग में काम करता हूं। 75 हजार सैलरी है। 10 हजार हर महीने चंगाई के लिए देता हूं। पंडाल कुर्सियों का खर्च भी मैंने ही किया है। यहां किसी से पैसे नहीं मांगे जाते। प्रार्थना से जिसको फायदा मिलता है, उसका खुद कुछ मन करे तो दान कर जाता है। इसके बाद दयाराम हमें उस जगह ले गए, जहां हर संडे उनकी बेटियां यीशु की प्रार्थना करती हैं और लोग इकट्ठे होते हैं। लोग खुद आते हैं, बेटियां प्रार्थना करती हैं दयाराम के घर से पीछे की तरफ करीब 200 मीटर दूर उनके खेत में ही एक बड़ा सा पंडाल लगा दिखा। यहीं चर्च है, जहां हर रविवार को यीशु की प्रार्थना होती है। करीब जाने पर दिखा कि अंदर एक क्रॉस लटका हुआ है, जिसमें चमकदार लाइट जल रही है। दयाराम ने कहा- यहां हम किसी को बुलाते नहीं हैं। लोग खुद आते हैं। बेटियां उनकी प्रार्थना करती हैं। लोगों की चंगाई हो जाती है। यहां बागेश्वर वाले बाबा के यहां से लौटे हुए 20 पीड़ित ठीक होकर गए हैं। जो चार साल से वहां के चक्कर लगाते रहे हैं। अगले संडे आइएगा, मैं उन लोगों से मिलवा दूंगा। इसके बाद उन्होंने कहा- मैं कभी वहां नहीं गया। वो गुमराह करता है। सिर्फ पैसे वाले लोगों की सुनता है। ग्रामीण बोले- हम सब धर्मों को मानते हैं इसके बाद हमने वार्ड में रहने वाले तमाम लोगों से बातचीत की। बातचीत के दौरान दयाराम हमारे साथ ही रहे। धर्मांतरण वाले सवाल पर गांव के ही राम खिलावन ने कहा- ये हम नहीं बता सकते हैं। कुछ नहीं कह सकते हैं। हम सब धर्मों को मानते हैं। कोई यीशु कहेगा तो यीशु कहेंगे। कोई राम राम कहेगा तो राम-राम कह देंगे। रविवार को माइक लगाकर प्रार्थना करते हैं हमने बाइक से निकल रहे सुरिंदर से बात की। सुरिंदर ने कहा- हम भी यीशु की पूजा को मानते हैं। इसके बाद सुरिंदर किसी को आवाज लगाकर वहां से चले गए। मनोज प्रजापति ने कहा- जैसे हिंदुओं का दरबार चलता है, वैसे ही इनका चलता है। यहां उन्हीं के परिवार के लोग धर्मांतरित हैं। लोगों को ईसाई बना रहे हैं। लोगों की जाति बदल रहे हैं। वो लोग अपनी पूजा करते हैं, हम अपनी पूजा करते हैं। हलेलुया की आवाज आती है रविवार के दिन। वो माइक लगाकर प्रार्थना करते हैं। हम वहां जाते नहीं हैं, इसलिए ज्यादा जानकारी नहीं है। मोहल्ले में हमारी जितने भी लोगों से बात की उनमें से ज्यादातर लोगों ने एक ही लाइन में जवाब दिया कि भगवान एक हैं। आरएसएस लगा रहा धर्मांतरण का आरोप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक योगी डॉ. राघव ने कहा- चंदला क्षेत्र में सोची समझी साजिश के तहत एक समुदाय विशेष को टारगेट का लालच देकर, बहला फुसला कर धर्मांतरण किया जा रहा है। भीड़ अपने आप नहीं जा रही है, लालच दिया जा रहा है। चंगाई सभा में लोगों का दु:ख-दर्द दूर करने का झांसा दिया जा रहा है। ये ईसाई मिशनरी का पुराना मॉडल है। दिव्य जल के नाम पर उसमें दवाएं मिलाकर लोगों को दी जाती हैं। तफ्तीश की, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा चंदला टीआई उदयवीर सिंह ने कहा- मुझे भी मामले की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए लगी थी। धर्मांतरण की बात सामने आने के बाद मैंने मामले की तफ्तीश की थी। मौके पर जाकर लोगों से पूछताछ की थी, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। अगर कुछ गलत मिलेगा तो कार्रवाई करेंगे। बजिंदर पर लगा रेप का आरोप बजिंदर सिंह हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं। उम्र 42 साल है। उनके ही एक वीडियो के अनुसार, 20 साल की उम्र में वो हत्या के मामले में फंसे थे और उन्हें जेल जाना पड़ा था। जेल में रहते हुए ही उनका जुड़ाव ईसाई धर्म से हुआ और वो क्रिश्चियन बन गए। 2012 के बाद से बजिंदर सिंह ने जालंधर के ताजपुर गांव से अपनी शुरुआत की थी, जहां वो अपनी चमत्कारिक शक्तियों से गंभीर रोगों को ठीक करने का दावा करते थे। बजिंदर सिंह की वेबसाइट के मुताबिक, साल 2016 में चंडीगढ़ के चर्च में पहली सभा का आयोजन किया गया था। सोशल मीडिया पर भी 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स बजिंदर सिंह मिनिस्ट्री के नाम से मौजूद वेबसाइट के पन्ने पर देश के कोने-कोने में, फरीदाबाद से लेकर शिमला तक और कर्नाटक, छत्तीसगढ़ से लेकर ओडिशा तक के पते मौजूद हैं। विदेश में भी बजिंदर सिंह की शाखाएं हैं, जिसमें अमेरिका से लेकर इजराइल और मॉरिशस से लेकर मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया तक का नाम है। बजिंदर सिंह की प्रार्थना वाली सभाओं में लाखों की भीड़ जुटती है। सोशल मीडिया पर भी 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। मार्च 2025 में एक महिला ने कपूरथला थाने में बजिंदर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था। एफआईआर में महिला ने लिखवाया था कि उसने 2017 में ताजपुर चर्च में जाना शुरू किया। इसके बाद 2020 में वो चर्च की टीम में शामिल हो गई। इसके बाद वो बजिंदर की नजर में आई। उसने महिला का नंबर लिया और चैटिंग शुरू की। फिर अनुचित मैसेज भेजने शुरू कर दिए। विरोध करने पर बजिंदर ने उसे धमकाया था। किसी से कुछ न कहने और शिकायत न करने की बात कही थी। ऐसा करने पर महिला और उसके परिवार की हत्या करने की धमकी दी थी। (इनपुट सहयोग: गौरव मिश्रा, रामेश्वर निरंजन) ये खबर भी पढ़ें... येशु-येशु वाले बजिंदर सिंह को रेप केस में उम्रकैद येशु-येशु वाले बाबा के नाम से पहचाने जाने वाले पादरी बजिंदर सिंह को मोहाली कोर्ट ने 7 साल पुराने रेप केस में उम्रकैद की सजा सुनाई है। सजा से बचने के लिए पादरी बजिंदर कोर्ट में गिड़गिड़ाने लगा- मेरे बच्चे छोटे हैं। पत्नी बीमार है। मैं सोशल आदमी हूं। मेरी टांग में रॉड डली हुई है, मुझ पर रहम किया जाए। मगर कोर्ट ने उसकी दलीलों को खारिज कर दिया। पढे़ं पूरी खबर...