महिला स्वास्थ्यकर्मियों से 26 साल पुरानी वसूली करेगा चिकित्सा विभाग:मोपेड के लिए 15 हजार का ब्याजमुक्त लोन दिया था; 1692 ANM के 2.53 करोड़ बकाया

साल 1999 में केंद्र की यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (UNFPA) योजना में 1692 महिला स्वास्थ्यकर्मियों (ANM) को मोपेड खरीदने के लिए बिना ब्याज का लोन दिया गया था। लोन नहीं चुकाने पर अब 26 साल के ब्याज सहित वसूला जाएगा। इन ANM को 15 हजार के लोन के 65 हजार 693 रुपए चुकाने होंगे। इसके लिए जिलों के CMHO ने आदेश जारी कर वसूली के निर्देश दिए हैं। 2024-25 की ऑडिट में मामले का खुलासा हुआ था। अब इसकी वसूली 18 जिलों की ANM से करने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें कई तो अब तक रिटायर्ड हो चुकी हैं। वहीं कई को याद ही नहीं की उन्होंने कोई लोन भी लिया था। दरअसल, 1999 में केंद्र की भाजपा सरकार ने ANM को UNFPA योजना में मोपेड खरीदने के लिए 15 हजार रुपए का ब्याज मुक्त लोन दिया गया था। इसका मकसद ANM को सशक्त बनाने और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना था। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं, परिवार कल्याण सेवाओं और टीकाकरण की पहुंच को बढ़ाने के लिए महिला स्वास्थ्यकर्मी अपने वाहन से जल्दी और सुगम रूप से पहुंच सकें। 18 जिलों की 1692 ANM से होगी वसूली
मामले को लेकर झुंझुनूं के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. छोटेलाल गुर्जर से बात की। उन्होंने बताया- झुंझुनूं सहित 18 जिलों में कुल 1692 एएनएम को यह सुविधा दी गई थी। अकेले झुंझुनूं में 26 साल बाद 65 ANM से 9.75 लाख की मूल राशि पर 13% सालाना ब्याज के हिसाब से कुल 42.70 लाख से अधिक की वसूली के आदेश हैं। यानी एक ANM को करीब 65,693 रुपए चुकाने होंगे। उन्होंने कहा- यह लोन योजना बहुत पुरानी है और ब्याज मुक्त थी। लेकिन, अब निदेशालय से हमें निर्देश मिला है कि बकाया राशि ब्याज सहित वसूल की जाए। हमने सभी बीसीएमओ को पत्र भेजे हैं, लेकिन अब तक जवाब नहीं आया है। हम पत्रावलियां और सेवा पुस्तिकाएं खंगाल रहे हैं। जिन पर वाकई बकाया होगा, उनसे नियमानुसार वसूली की जाएगी। बोले- न रसीद न कोई रिकॉर्ड
CMHO डॉ. छोटेलाल गुर्जर ने बताया- इस लोन के संबंध में विभाग के पास किसी भी प्रकार का कोई ठोस रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। न तो एएनएम द्वारा मोपेड खरीद की कोई रसीद है, न वाहन का रजिस्ट्रेशन दस्तावेज, न ही किसी बिल की कॉपी। सबसे अहम बात यह है कि सेवा पुस्तिकाओं में भी इस लोन की एंट्री नहीं की गई। यहां तक कि अधिकांश लाभार्थी एएनएम को भी यह तक याद नहीं कि उन्होंने कोई लोन भी लिया था। पहले एक-दो किस्त कटी थी
CMHO ने बताया- कुछ मामलों में एक-दो किस्त जरूर कटी थीं, लेकिन उसके बाद यह प्रक्रिया पूरी तरह ठप हो गई। अब अचानक 26 साल बाद ब्याज सहित लाखों रुपए की वसूली की खबर जब संबंधित कर्मचारियों तक पहुंची, तो सभी हैरान रह गए हैं। झुंझुनूं जिले की जिन 65 एएनएम से यह वसूली की जानी है, उनमें से किसी एक को भी व्यक्तिगत रूप से अब तक नोटिस नहीं दिया गया है। बीसीएमओ कार्यालय से कोई सूचना नहीं आई
CMHO ने बताया- संबंधित बीसीएमओ (ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी) कार्यालयों को दो बार पत्र भेजे हैं। जिसमें सूचीबद्ध एएनएम के नाम, लोन की राशि और वसूली के निर्देश स्पष्ट रूप से दर्ज थे। पत्रों में बीसीएमओ से यह अपेक्षा की गई थी कि वे संबंधित कर्मचारियों को नोटिस थमा कर उनकी प्रतिक्रिया लें और सेवा पुस्तिकाओं से मिलान कर विवरण सीएमएचओ को भेजें। लेकिन, बीसीएमओ कार्यालय से आज तक न तो कोई सूचना आई और न ही परिवार कल्याण शाखा को कोई जवाब मिला। नतीजा ये कि जिनसे लाखों की वसूली की जानी है, वे अभी तक स्थिति से पूरी तरह अनजान हैं। किस्तों में कटने थे 15 हजार
CMHO ने बताया- वर्ष 1999-2000 में जब यह योजना लागू हुई थी, उस वक्त लाभार्थी महिला स्वास्थ्यकर्मियों को 15,000 का लोन दिया गया था। लोन की शर्तें बेहद सरल थीं- ब्याज मुक्त राशि, जिसका भुगतान मासिक किस्तों में वेतन से कटकर होना था। इसके लिए सेवा पुस्तिका में प्रविष्टि करना और संबंधित कर्मचारी से मोपेड खरीद की रसीद लेकर उसे संलग्न करना अनिवार्य था। लेकिन, अधिकांश मामलों में न वेतन से कटौती की गई, न सेवा पुस्तिका में कोई एंट्री की गई, न ही किसी प्रकार का अनुगमन या सत्यापन हुआ। अब जब 2024-25 में हुए विभागीय ऑडिट में यह मामला उजागर हुआ, तो स्वास्थ्य निदेशालय, जयपुर ने संबंधित जिलों को पत्र भेजकर तुरंत वसूली शुरू करने के निर्देश दिए हैं। फाइलें खुलीं, पुराने रिकॉर्ड ढूंढे जा रहे
CMHO ने बताया- झुंझुनूं सीएमएचओ कार्यालय को जैसे ही यह निर्देश मिला, तत्काल कार्रवाई करते हुए परिवार कल्याण शाखा से जुड़ी पुरानी फाइलें खोली गईं। लोन प्राप्त करने वालों की सूची निकाली गई और संबंधित बीसीएमओ को दो बार लिखित पत्र भेजे गए। लेकिन, बीसीएमओ कार्यालयों से जवाब न आने के कारण सीएमएचओ कार्यालय व परिवार कल्याण शाखा को न तो एएनएम की सेवा पुस्तिकाओं में जानकारी मिल पाई और न ही किसी तरह का प्रामाणिक सबूत। विभाग के सामने यह भी स्पष्ट नहीं है कि सभी 65 एएनएम में से किसने वाकई मोपेड खरीदी और किसने नहीं। सेवानिवृत्त ANM से NOC के बदले वसूली शुरू
CMHO ने बताया- जिन एएनएम ने सेवानिवृत्ति ले ली है, उनसे विभाग ने NOC जारी करने के बदले यह पूरी राशि वसूलना शुरू कर दिया है, वो भी ब्याज सहित। रिटायरमेंट के वक्त अंतिम वेतन व ग्रेच्युटी आदि को रोककर यह राशि वसूली जा रही है। वहीं जो कर्मचारी अभी सेवा में हैं, उन्हें नोटिस भी नहीं थमाया गया है।