गुजरात से कांच मंगवा ठीकरी वर्क सिखाना शुरू किया

सिटी पैलेस में चल रहे महीने सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर के तहत गुरुवार को पारंपरिक ठीकरी (मिरर वर्क) कला की शुरुआत हुई। यह 15 दिन तक सिखाई जाएगी। प्रतिभागियों को कांच के टुकड़ों पर कलम चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। इसके लिए विशेष तरह की कलम का उपयोग किया गया, जिसमें हीरे की शेप में एक पॉइंट बना होता है। उससे कांच को काटा जाता है। इस कला में प्रयोग होने वाला कांच मुख्य रूप से लाल, हरा और नीला होता है। इसका उदाहरण आमेर का शीश महल है, जहां दीवारों और छतों पर यह कला है। सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण एक्सपर्ट्स ने कलम पकड़ना, कांच की कटिंग, कांच पर दबाव देना सिखाया शिविर के समन्वयक और सिटी पैलेस के कला एवं संस्कृति ओएसडी चित्रकार रामू रामदेव ने बताया कि यह विशेष सत्र, पूर्व राजपरिवार की पहल पर लुप्तप्राय ठीकरी कला को पुनर्जीवित करने और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। प्रतिभागियों को सिखाने के इस कला की मुख्य एलिमेंट कांच को विशेष रूप से गुजरात से मंगवाया गया है। रामू रामदेव प्रतिभागियों को चित्रकारी और कंपोजिशन की बारीकियां सिखा रहे हैं। वहीं, जयपुर के वरिष्ठ ठीकरी कलाकार शंकर लाल कुमावत और बद्री नारायण कुमावत तकनीकी प्रशिक्षण दे रहे हैं। सत्र के पहले दिन विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को कलम पकड़ना, कांच की कटिंग करना, कांच पर दबाव देना, पैटर्न, डिजाइन और इसके ऐतिहासिक संदर्भ से परिचित कराया।