कलेक्ट्रेट के बाहर किसानों का दर्द छलका:बैंक से स्वीकृत लोन की राशि नहीं मिली, अब भूमि नीलामी की नौबत

राजसमंद में किसानों ने आज स्वीकृत लोन की राशि नहीं मिलने पर कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर निष्पक्ष जांच की मांग की है। 16 किसानों ने आज कलेक्ट्री के बाहर पहुंच कर प्रदर्शन करते हुए बैंक कर्मचारियों व दलालों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। ज्ञापन में बताया कि कुछ सालों पूर्व किसानों को भूमि विकास बैंक द्वारा लोन स्वीकृत किया गया लेकिन दुर्भाग्य से लोन की वास्तविक राशि किसानों को प्राप्त नहीं हुई। जिस पर संदेह है कि बैंक की मिलीभगत से दलालों के माध्यम से योजना बद्ध तरीके से किसानों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी की गई ओर किसानों को कुछ नहीं मिला। अब बैंक रिकवरी के नाम पर भूमि मालिकों को नोटिस धमा रही है। इस संदर्भ में 2018 से बैंक अधिकारियों सहित प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी सहित मुख्यमंत्री तक कई पत्र लिखे गए लेकिन अभी तक किसी भी दोषी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई जिससे पीड़ित किसानों को न्याय नहीं मिला। ज्ञापन के माध्यम से संघर्ष समिति के संरक्षक दिनेश सनाढ्य ने मांग की कि बैंक अधिकारियों, संदिग्ध दलालों, विक्रेता व पीड़ित किसानों एंव संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के बीच सीधी वार्ता करवाई जाए। वार्ता किसी सक्षम प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति में कराई जाए जिससे न्यायसंगत वार्ता हो। साथ ही पूरी प्रक्रिया की रिकार्डिग की जाए और जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए जिससे कि इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो। आज प्रदर्शन करने पहुंचे 16 किसानों में से 15 किसान कुंभलगढ़ क्षेत्र के हैं जबकि एक किसान नाथद्वारा उपखण्ड क्षेत्र का है। सभी किसानों का बैंक द्वारा करीब डेढ़ करोड़ बकाया निकाला गया है। किसानों ने बुधवार को मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के दौरे के दौरान उनके निजी सचिव को भी ज्ञापन सौंपा। वहीं आज सभी पीड़ित किसानों ने कलेक्ट्रेट में आयोजित जन सुनवाई के दौरान सतर्कता में भी अपनी पीड़ा दर्ज कराई। किसानों ने बताया कि सब्सिडी के नाम पर उनको लोन देने के लिए उनके अंगूठे के निशान व हस्ताक्षर करवा दिए गए लेकिन जब लोन स्वीकृत हुआ तो उनको लोन की राशि नहीं मिली। जिसकी गहन स्तर पर जांच की जाए। मोर्चा गांव के किसान ने बताया कि भेरूसिंह ने उनके नाम से 4 लोन कर स्वीकृत कर रखें हैं। जिसके बदले कोई राशि नहीं मिली ओर अब उनके घर खेत नीलाम होने पर हैं।