सिंगर बोले- पहले रियलिटी शो रियल थे,डबिंग नहीं होती थी:हम वन टेक में स्टेज पर गाते थे, अब थोड़े करेक्शंस और ड्रामा होने लगा है

सिंगर बोले- पहले रियलिटी शो रियल थे,डबिंग नहीं होती थी:हम वन टेक में स्टेज पर गाते थे, अब थोड़े करेक्शंस और ड्रामा होने लगा है
बॉलीवुड फिल्म राज में 'माही-माही' गाने से चर्चाओं में आए सूफी सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर तोशी सबरी जयपुर में हैं। इस दौरान उन्होंने बॉलीवुड में आ रहे गानों और रियलिटी शोज पर खुलकर बात की। तोशी ने कहा- उस जमाने में जो रियलिटी शो होते थे, वो बहुत रियल थे। उस जमाने में हमारे शोज में डबिंग नहीं हुआ करती थी। उस जमाने में हम वन टेक स्टेज पर गाते थे। वही टेलीकास्ट होता था। उसमें करेक्शन नहीं किए जाते थे। अब थोड़े करेक्शंस, थोड़ा सा ड्रामा, थोड़ी सी चीजें होने लगी हैं। उन्होंने कहा- शोज में ड्रामा दिखाना और ड्रामा बनाना क्योंकि जनता की डिमांड है। आजकल बड़ा आम हो गया है। जो जनता देखना और सुनना चाहती है। जनता को वैसा ही दिखाना और सुनाना एक आर्टिस्ट की मजबूरी भी होती है। आगे पढ़िए तोशी से खास बातचीत... सवाल- जयपुर ने एक से एक कलाकार दिए हैं। बॉलीवुड इंडस्ट्री में इरफान खान का नाम आज भी याद किया जाता है। लेकिन जब म्यूजिक इंडस्ट्री की बात आती है तो काफी छोटा शहर माना जाता है। वह जगह आज तक नहीं मिल पाई जो म्यूजिक इंडस्ट्री में जयपुर को मिलनी चाहिए थी। तोशी: नहीं यह बिल्कुल गलत सोच है। जयपुर ने म्यूजिक इंडस्ट्री को बहुत बड़े आर्टिस्ट दिए हैं। मैं अगर अपने अलावा भी नाम लूं तो जयपुर शहर की लोक गायिका बतूल बेगम साहब को पद्मश्री अवॉर्ड मिला है। दुनिया में सबने शारिब और तोशी यानी हम दोनों भाइयों को बहुत इज्जत और बहुत प्यार दिया है। हमने बॉलीवुड में पचास से ज्यादा फिल्मों का म्यूजिक दिया है। 200 से ज्यादा गाने किए हैं। आई थिंक जयपुर शहर किसी नाम का मोहताज नहीं है। सवाल- आप सूफी सिंगर हो, लेकिन बॉलीवुड में आजकल आइटम और मसालेदार गानों की डिमांड है। ऐसा कोई गाना है, जिसमें तोशी का मन नहीं था लेकिन गाया हो? तोशी: ऐसा कोई गाना नहीं है, जिसको गाने का मेरा मन न हो। म्यूजिक मेरी जिंदगी है। मैं गानों को जीता हूं। इसलिए मेरा पॉइंट ऑफ व्यू अलग है। जो काम करता हूं, उसे करते वक्त एन्जॉय करता हूं। मैं गाने से संबंधित कोई भी काम करता हूं। उसमें मैं बहुत इंजॉय करता हूं। बहुत सारे गाने ऐसे आते हैं लोग चाहते हैं कि मैं गाऊं। मैं उन गानों को सुनता हूं। जब मुझे गाने को सुनकर अच्छा लगता है, मैं तभी उसे गाने के लिए हां करता हूं। संगीत कैसा भी हो, खराब नहीं हो सकता। संगीत कभी बुरा नहीं हो सकता। आइटम और मसालेदार गाने भी जनता सुनती है, उन्हें हिट बनाती है। उन्हें पॉपुलर करती है। एट द एंड ऑफ द डे, जो जनता चाहती है वही एक आर्टिस्ट को करना होता है। सवाल- तोशी आपके गाने आज भी दिल को छू जाते हैं। लेकिन ट्रेंडिंग बनने की दौड़ में कहीं न कहीं म्यूजिक अपनी आत्मा खोते जा रहा है। तोशी- ऐसा नहीं है। हर तरह के गाने चलते हैं। जो ट्रेंडिंग वाले गाने हैं, जिसको हम पॉपकॉर्न सॉन्ग बोलते हैं। एक ऐसा गाना जो लोगों को आसानी से समझ में आ जाए। लोगों को आसानी से गुनगुना सके, उसे गा सकें। वैसे गाने भी चलते हैं। डीप थॉट के गाने भी चलते हैं। डीप मीनिंग के गाने भी चलते हैं। लेटेस्ट उदाहरण एनिमल फिल्म का है। एनिमल फिल्म के सारे गाने ब्लॉकबस्टर हुए। सारे गाने डीप थॉट के गाने थे। सारे गाने मैलोडी से भरपूर थे। ऐसा कोई हल्का गाना नहीं था। म्यूजिक एक ऐसी चीज है कि आप जनता को जिस तरह का म्यूजिक परोसेंगे जनता उस तरह का म्यूजिक सुनेगी। बस शर्त है, उस म्यूजिक को जनता तक पहुंचाने वाला होना चाहिए। सवाल- आपने रियलिटी शो से शुरुआत की थी। रियलिटी शो के लिए माना जाता है कि स्क्रिप्टेड होते हैं। क्या लगता है। क्या म्यूजिक इंडस्ट्री में भी टैलेंट की जगह अब ड्रामा बिकने लगा है? तोशी- जब मैंने 2007-2008 में शुरू किया था, वो दौर अलग था। साल गुजर गए। उस जमाने में जो रियलिटी शो होते थे, वो बहुत रियल थे। उस जमाने में हमारे शोज में डबिंग नहीं हुआ करती थी। उस जमाने में हम वन टेक स्टेज पर गाते थे। वही टेलीकास्ट होता था। उसमें करेक्शन नहीं किए जाते थे। अब थोड़े करेक्शंस, थोड़ा सा ड्रामा, थोड़ी सी चीजें होने लगी हैं। मैं भी देख रहा हूं, कैसे रियलिटी शोज में हर एक परफॉर्मेंस पर जज खड़े होकर तालियां बजाते हैं। हमारे टाइम पर जज के खड़े होकर ताली बजाने का मतलब था कि डिक्टेशन मिली है। मतलब सुपीरियर गाया है। इससे बेहतर कोई नहीं गा सकता। स्टैंडिंग ओवेशन मिलता था। मतलब हमें रातों को नींद नहीं आती थी। हमें स्टैंडिंग ओवेशन दिया गया है। शोज में ड्रामा दिखाना और ड्रामा बनाना क्योंकि जनता की डिमांड है। आजकल बड़ा आम हो गया है। जो जनता देखना और सुनना चाहती है। जनता को वैसा ही दिखाना और सुनाना एक आर्टिस्ट की मजबूरी भी होती है। सवाल- तोशी बॉलीवुड में भाई भतीजावाद किसी से छुपा नहीं है। म्यूजिक इंडस्ट्री में आपने ऐसा महसूस किया? तोशी- प्योर टैलेंट की कदर है। प्योर टैलेंट अगर है तो वो कहीं न कहीं से सामने निकल कर आता ही है। उसे कोई दुनिया की दीवार नहीं रोक सकती। अगर प्योर टैलेंट है। सच में वो टैलेंटेड है। सच में वो ऐसा है कि सुपीरियर है। उस काम में उससे बेहतर कोई नहीं है। उसे कोई रोक नहीं सकता। वो जरूर आगे आता है।