संपर्क पोर्टल प्रकरणों का निस्तारण करने में अधिकारी लापरवाही नहीं बरतें: कलेक्टर

संपर्क पोर्टल प्रकरणों का निस्तारण करने में अधिकारी लापरवाही नहीं बरतें: कलेक्टर
भास्कर संवाददाता|दौसा कलेक्टर देवेन्द्र कुमार ने कहा कि विभागीय अधिकारी संपर्क पोर्टल पर प्राप्त होने वाले प्रकरणों का त्वरित निस्तारण कर आमजन की समस्याओं का समाधान करें। सोमवार को यहां कलेक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय अधिकारियों की साप्ताहिक समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देशित कर रहे थे। कलेक्टर देवेन्द्र कुमार ने संपर्क पोर्टल एवं सीएमआईएस संबंधित प्रकरणों की विभागवार समीक्षा करते हुए पुराने प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण करने के निर्देश दिए। उन्होंने सांसद एवं विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपी-एमएलए लेड) कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा मिलते ही शीघ्र प्रशासनिक एवं तकनीकी स्वीकृतियां जारी करें और जो कार्य पूर्ण हो गए हैं, उनके पूर्णता प्रमाण पत्र (सीसी) समय पर भिजवाएं। जिला परिषद के सीईओ नरेंद्र कुमार मीणा ने प्रधानमंत्री धरती आबा योजना के लिए कार्ययोजना बनाकर भिजवाने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत चयनित गांवों में जनजाति वर्ग के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए 15 से 30 जून तक शिविर लगाए जाएंगे। बैठक में एडीएम लालसोट मनमोहन मीणा, एएसपी अशोक बुटोलिया, एसडीएम मूलचंद लूणिया सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। शिशु जन्म के 21 दिन में जन्म प्रमाण पत्र जारी कराएं कलेक्टर ने जिले में जन्म-मृत्यु एवं विवाह रजिस्ट्रेशन की प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि जन्म या मृत्यु होने पर उसका रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है और यह प्रमाण पत्र विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवश्यक है। उन्होंने सीएमएचओ को अस्पतालों में शिशु का जन्म होने के 21 दिन के भीतर जन्म प्रमाण पत्र जारी कराना के निर्देश दिए। साथ ही, इस कार्य में ग्राम पंचायत एवं नगरीय निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए संबंधित अधिकारियों को निरन्तर समीक्षा करने के निर्देश दिए। बच्चों को पर्याप्त पोषण देना सुनिश्चित करें कलेक्टर ने जिला पोषण अभिसरण योजना की समीक्षा करते हुए बच्चों को पर्याप्त पोषण देना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उम्र के हिसाब से कम वजन वाले बच्चों पर विशेष ध्यान देते हुए पोषण स्तर सुधारें। चिह्नित अति कुपोषित बच्चों को तुरंत कुपोषण उपचार केन्द्र (एमटीसी) में भर्ती कराएं, ताकि गहन देखभाल एवं पोषक आहार मिलने से वह स्वस्थ और विकसित हो सकें। उन्होंने आंगनबाड़ी भवनों एवं उनमें उपलब्ध भौतिक सुविधाओं की समीक्षा करते हुए पानी एवं बिजली की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।