फार्मासिस्ट की नौकरी के लिए हाईकोर्ट में फर्जी डॉक्यूमेंट लगाए:जज ने कहा- विभाग और कोर्ट दोनों से धोखाधड़ी की, अब जुर्माना भरना होगा

राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने फार्मासिस्ट भर्ती प्रक्रिया में फर्जी दस्तावेज और झूठा हलफनामा पेश करने वाले याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया। फर्जी दस्तावेज लगाने पर याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया। साथ ही फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन, 2015 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मामले में चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग की ओर से अतिरिक्त राजकीय वकील (एजीसी) मुकेश दवे ने पैरवी की। दवे ने बताया कि मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 22 मई को आदेश दिए थे। दवे ने बताया- जोधपुर की मिल्कमैन कॉलोनी निवासी केदार रूप परिहार ने 25 अप्रैल 2023 को जारी विज्ञापन के आधार पर ओबीसी-एनसीएल श्रेणी में फार्मासिस्ट पद के लिए आवेदन किया था। याचिकाकर्ता का दावा था कि उसके 67.43% अंक थे, जो कट-ऑफ से अधिक थे। इसके बाद भी उसका नाम अंतिम चयन सूची में नहीं आया। जवाब में विभाग ने बताया कि कोविड-19 की अवधि में सरकारी अस्पताल में कार्य अनुभव के लिए बोनस अंक नहीं दिए गए थे, क्योंकि उसी अवधि में याचिकाकर्ता निजी मेडिकल शॉप पर भी फार्मासिस्ट के रूप में कार्यरत था, जो नियमों के खिलाफ है। बोनस अंक के लिए झूठा हलफनामा दिया
सुनवाई के दौरान स्पष्ट हुआ कि याचिकाकर्ता ने बोनस अंक पाने के लिए न केवल झूठा हलफनामा दिया, बल्कि दस्तावेज सत्यापन के समय फर्जी डॉक्यूमेंट भी पेश किए। याचिकाकर्ता ने अपने पंजीकरण प्रमाण पत्र पर ड्रग लाइसेंस की समाप्ति तिथि 30 मार्च 2018 दर्शाई, जबकि लाइसेंस 24 जनवरी 2023 तक सक्रिय था। कोर्ट में प्रस्तुत असली प्रमाण पत्र पर 30 मार्च 2018 की कोई प्रविष्टि नहीं थी, जिससे स्पष्ट हुआ कि दस्तावेज में सील और हस्ताक्षर फर्जी थे। हलफनामे में भी याचिकाकर्ता ने गलत जानकारी दी कि उसने अनुभव अवधि में किसी निजी मेडिकल शॉप पर कार्य नहीं किया, जबकि रिकॉर्ड में विपरीत तथ्य सामने आए। जज बोलीं- कोर्ट से भी फर्जीवाड़ा किया
सुनवाई करते हुए जस्टिस रेखा बोराणा ने टिप्पणी करते हुए कहा- यह मामला न केवल सरकारी विभाग के साथ, बल्कि कोर्ट के साथ भी फर्जीवाड़े का है। याचिकाकर्ता ने अनुचित लाभ के लिए न केवल फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए, बल्कि कोर्ट में भी झूठे तथ्य पेश किए। 8 सप्ताह में कार्रवाई की मांगी रिपोर्ट
कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया, जिसे एक माह के भीतर Litigants Welfare Fund में जमा कराने के आदेश दिए गए। साथ ही, कोर्ट ने फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन एक्ट 2015 की धारा 14 के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं। मामले में संबंधित प्राधिकरण को 8 सप्ताह में कार्रवाई कर इसकी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा गया है। ........................... कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें...
फार्मासिस्ट भर्ती-2023 की चयन-सूची जारी करने पर लगी रोक हटी:हाई कोर्ट ने रोक हटाते हुए याचिकाकर्ता के लिए पद सुरक्षित रखने के दिए निर्देश
राजस्थान हाईकोर्ट ने फार्मासिस्ट भर्ती-2023 की चयन सूची जारी करने पर लगी रोक को हटा लिया है। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने रोक हटाते हुए याचिकाकर्ता के लिए पद सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने यह आदेश दीपू श्री की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। पूरी खबर पढ़िए