हवेली में रहने वाले लोग जब गालिब को जिन्नसमझने लगे तो लिया खुद को बेचने का फैसला

गुलाबीनगरी के मंच पर दिल्ली के प्रसिद्ध नाटक ‘गालिब इन न्यू देल्ही’ का मंचन हुआ। वैशाली कल्चरल कारवां और सोशल संपर्क संस्था की ओर से यह नाटक नर्सरी सर्किल स्थित भारतम ऑडिटोरियम में खेला गया। इसका लेखन और निर्देशन नाटककार डॉ. सईद आलम ने किया। नाटक में गालिब की भूमिका खुद डॉ. आलम ने निभाई। अन्य किरदारों में अंजू छाबड़ा, आरिफा, हिमांशु श्रीवास्तव, हरीश छाबड़ा, राघव नागपाल व तनुल भारतीय रहे। इस नाटक के नाम 580 से ज्यादा शो हैं। यह सदाबहार नाटक 1997 से चल रहा है। पीरोज नाटक मंडली की प्रस्तुति ‘गालिब इन न्यू देल्ही’ बेहद लोकप्रिय, अत्यधिक प्रशंसित और भारत के साथ-साथ विदेशों में भी व्यापक रूप से खेला जाने वाला नाटक है। इसकी पूरी कहानी गालिब की अपनी पहचान के संकट से जूझने के इर्द-गिर्द घूमती है। शुरुआत उनकी हवेली में रहने वालों लोगों के उन्हें गालिब का जिन्न समझ लेने से होती है। इसके कारण उन्हें बिहार के रहने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र जय हिंद के साथ एक सर्वेंट क्वार्टर में रहना पड़ता है। उनका आत्मविश्वास तब और टूट जाता है, जब जय हिंद और उनकी मकान मालकिन श्रीमती चड्ढा केवल गायकों की आवाज और उनके ऑन-स्क्रीन चित्रण के माध्यम से उनकी कीमत पहचानती हैं। दोनों के बहकावे में आकर और पहचान की सख्त जरूरत में गालिब खुद को बेचने का फैसला करते हैं। इसके बाद वे लोगों के मन में अपनी मौजूदगी को बनाए रखने के लिए एक विज्ञापन एजेंसी का विकल्प चुनते हैं। आज के समय में गालिब जैसे व्यक्ति का क्या भाग्य है? इसका उत्तर ‘गालिब इन न्यू डेल्ही’ देखने पर मिलता है। यह एक हंसी का दरिया है, जो स्थिर नियमों के बारे में कुछ गंभीर सवाल उठाता है। रवींद्र मंच के मुख्य सभागार में नाटक ‘द माउस ट्रैप' का मंचन हुआ। यह सस्पेंस थ्रिलर नाटक रस रंग मंच संस्था ने पेश किया। इसमें एक दंपती अपने पुराने मकान को गेस्ट हाउस का रूप देता है। गेस्ट हाउस में मालिक और उसकी प|ी मेहमानों का स्वागत करने की तैयारी करते हैं। इसी बीच रेडियो पर एक खबर आती है, जिसमें एक महिला का कत्ल होने के बारे में बताया जाता है। गेस्ट हाउस में धीरे-धीरे गेस्ट आना शुरू होते हैं। फिर गेस्ट हाउस में पुलिस थाने से फोन आता है। एक पुलिस अधिकारी उस रहस्य को सुलझाने के लिए भेजा जाता है। जांच अधिकारी के मौजूद होने के बाद एक कत्ल और हो जाता है। गेस्ट हाउस में डर का माहौल बन जाता है। यह सस्पेंस अंत तक बना रहता है। नाटक के अंत में हत्यारे का पता चलता है। नाटक का अनुवाद, नाट्य रूपांतरण और निर्देशन हिमांशु झांकल ने किया। प्रकाश परिकल्पना शहजोर अली की रही। मंच परिकल्पना व निर्माण नरेंद्र सिंह बबल ने संभाला। "द माउस ट्रेप’ का मंचन सिटी प्ले }भारतम ऑडिटोरियम में डॉ. सईद के निर्देशन में खेला ‘गालिब इन न्यू देल्ही’