बॉलीवुड हीरोइन बनना चाहती थी घोटालेबाज बैंक मैनेजर:लग्जरी लाइफ की शौकीन, रंग पसंद नहीं आया तो खरीदी दूसरी महंगी कार, लव मैरिज टूटी

बॉलीवुड हीरोइन बनना चाहती थी घोटालेबाज बैंक मैनेजर:लग्जरी लाइफ की शौकीन, रंग पसंद नहीं आया तो खरीदी दूसरी महंगी कार, लव मैरिज टूटी
ग्राहकों के खाते से करोड़ों रुपए की सेंध लगाने वाली ICICI बैंक की मैनेजर साक्षी गुप्ता लग्जरी लाइफ जीने की शौकीन थी। शॉपिंग करने कोटा से जयपुर जाती थी। हर वीकेंड पर मूवी देखती। उसने ग्राहकों के खाते से 4 करोड़ 58 लाख रुपए निकाले थे। उन पैसों से लग्जरी गाड़ियां मेंटेन करने लगी थी। एक बार तो गाड़ी का रंग पसंद नहीं आया तो 15-20 दिन में ही 30 लाख रुपए में नई लग्जरी कार खरीद डाली। परिवार के नजदीकी लोगों के मुताबिक, साक्षी फिल्मों में हीरोइन बनना चाहती थी। घरवालों को यह मंजूर नहीं था। बैंक में नौकरी लगी, लेकिन सैलरी से यह सब संभव नहीं था। इसलिए शेयर मार्केट से पैसा कमाने के लिए उसने यू-ट्यूब पर क्लास जॉइन कर ट्रेडिंग सीखी। मोटा मुनाफा कमाने के लिए उसने बैंक ग्राहकों के खातों से पैसे निकाल शेयर मार्केट में दांव पर लगा दिए। सारा पैसा शेयर बाजार में डुबो दिया। साक्षी ने लव मैरिज की थी, लेकिन इसी घोटाले के चलते उनका यह रिश्ता टिक नहीं पाया। भास्कर ने साक्षी के इस पूरे घोटाले की पड़ताल की। पढ़िए ये रिपोर्ट... घोटाले का पता चलते ही पति ने साथ छोड़ा कोटा के उद्योग नगर थाने एसआई इब्राहिम ने बताया कि साक्षी गुप्ता की 2015 में आईसीआईसीआई बैंक में नौकरी लगी थी। वह श्रीराम नगर शाखा में रिलेशनशिप मैनेजर थी। उसके खिलाफ 18 फरवरी को एफआईआर दर्ज हुई थी। इसके बाद 31 मई को जांच के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। साक्षी ने कोटा के ही शरद गुप्ता से 2 साल पहले लव मैरिज की थी। शरद गुप्ता एचडीएफसी बैंक में काम करते थे। जैसे ही फरवरी 2025 में अपनी पत्नी के इस घोटाले का पता चला तो साक्षी को उसके पीहर रावतभाटा छोड़ दिया। साथ ही परिजनों को भी पूरे मामले की जानकारी दी। इसके बाद से दोनों अलग-अलग रहने लगे थे। पति शरद गुप्ता ने भी मामले के खुलासे के बाद से बैंक जाना छोड़ दिया है। मामले को लेकर भास्कर ने शरद गुप्ता से बात करने की कोशिश की मगर उनसे संपर्क नहीं हो पाया। रंग पसंद नहीं आया तो ले आई नई कार साक्षी के साथ काम करने वाले एक बैंक कर्मचारी ने भास्कर को बताया कि साल 2023 और साल 2024 में साक्षी लग्जरी गाड़ियां मेंटेन करने लगी थी। साक्षी ने एक कार खरीदी, लेकिन उसका रंग पसंद नहीं आया। उसने साथी बैंक कर्मचारी को कहा- कलर पसंद नहीं आ रहा, यह गाड़ी बेच कर नई लाऊंगी। तब बैंक कर्मचारी ने कहा कि इससे उसे बड़ा नुकसान होगा। तब साक्षी का जवाब था कि जिंदगी एक बार मिली है, जीने दो सारे शौक पूरे करने दो। इसके बाद साक्षी ने उस कार को बेचकर करीब 30 लाख रुपए की नई लग्जरी कार शोरूम से खरीदी। जनवरी में पता चला, फरवरी में सेटलमेंट में जुट गया बैंक पहली बार बैंक को जनवरी माह में साक्षी की इस करतूत का पता लगा था। कोटा की डीसीएम फैक्ट्री में काम करने वाला एक कर्मचारी अपनी बैंक एफडी पूरी होने पर श्रीरामनगर स्थित आईसीआईसीआई बैंक पहुंचा। तब मैनेजर के पद पर तैनात तरुण दाधीच ने बैंक खाता देखा तो पता लगा कि एक साल पहले ही एफडी तुड़वा ली थी। जब बैंक ने पड़ताल की तो सामने आया कि साक्षी की आईडी से इस एफडी को तोड़ा गया है। तरुण ने जांच की तो साक्षी की आईडी से एक दो नहीं बल्कि 100 से ज्यादा बैंक खातों में छेड़छाड़ करना और पैसे निकालना सामने आया। तरुण दाधीच ने इसकी सूचना आईसीआईसीआई बैंक के रीजनल मैनेजर, स्टेट मैनेजर आदि को दी। इसके बाद जांच में सामने आए खाता धारकों से बैंक ने संपर्क कर उन्हें इस घोटाले की जानकारी दी। बैंक ने अपने स्तर पर ही ग्राहकों को उनके पैसे लौटाकर सेटलमेंट किया, ताकि ग्राहकों के पुलिस केस से उन्हें कानूनी पेच का सामना नहीं करना पड़े। हालांकि बैंक की ओर से 18 फरवरी 2025 को ही मुकदमा दर्ज करवा दिया गया था। कैसे अंजाम देती थी घोटाला? बैंक के प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों ने साक्षी के घोटाले की ऑडिट के लिए फरवरी माह से ही कोटा में डेरा डाल लिया था। शुरुआत में साक्षी से लगातार पूछताछ पड़ताल के बाद बैंक ने एफआईआर दर्ज करवाई। बैंक प्रबंधन से जुड़े एक अफसर ने बताया- चूंकि रिलेशनशिप मैनेजर होने के नाते साक्षी के पास बैंक के सिस्टम का लॉग-इन पासवर्ड रहता था। इससे वह किसी भी ग्राहक की बैंक डिटेल पता लगा सकती थी। इसलिए साक्षी ने ऐसे बैंक खातों को टारगेट किया, जिनमें लंबे समय से पैसा जमा पड़ा है, या लॉन्ग टर्म एफडी है और लेनदेन लंबे समय से नहीं हो रहा है। उसे सबसे पहले बैंक खातों से उनके फोन नंबर बदले, ज्यादातर खातों में अपने परिवार में से किसी का मोबाइल नंबर डालती, ताकि पैसा कटने का मैसेज ग्राहक को नहीं मिल पाए। फिर चालाकी से सिस्टम में जाकर उन खातों के मेल आईडी बदलकर अपने परिजनों के फोन नंबर और मेल आईडी डाल दिए। इसके बाद एफडी पर ओवर ड्राफ्ट लेकर पैसों को अपने और परिजनों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर लिए। इन पैसों का इस्तेमाल उसने मौज-मस्ती और शेयर मार्केट में किया। सैलरी शाखा की प्रमुख थी साक्षी साक्षी बैंक की डीसीएम फैक्ट्री ब्रांच में रिलेशनशिप मैनेजर थी। बैंक ने उसे करीब 12-13 प्रमुख ब्रांच में सैलरी विभाग का प्रमुख बनाया हुआ था। इसके चलते साक्षी सरकारी कर्मचारियों के संपर्क में आई। उसे एक-एक कर्मचारी की डिटेल पता रहती थी। इसलिए उन्हें विश्वास में लेकर उनके बैंक खातों में मोबाइल नंबर मेल आईडी और पते तक बदल दिए। साक्षी अपने अधीन आने वाली ब्रांचों का समय-समय पर दौरा भी करती थी। हालांकि पुलिस की जांच में अभी केवल एक ही ब्रांच के 41 ग्राहकों के 100 से ज्यादा खातों से छेड़छाड़ कर गबन का मामला सामने आया है। पीहर में मिली पोस्टिंग, लेकिन नहीं गई साक्षी जानकारी के मुताबिक, साक्षी गुप्ता को उसने गृहनगर रावतभाटा में ब्रांच खुलने पर बैंक प्रबंधन ने उसे वहां रिलेशनशिप मैनेजर की पोस्ट पर जाने का ऑफर दिया था। मगर उसने यह ऑफर ठुकरा दिया और कोटा में रहना ही पसंद किया। बैंक प्रबंधन और साथी कर्मचारी उस समय इस बात से हैरान थे कि साक्षी को घर से ज्यादा अपने काम से लगाव है। जबकि रावतभाटा ब्रांच में कोटा की श्रीरामनगर शाखा से ज्यादा काम था, जिससे साक्षी के सैलरी अकाउंट खुलवाने के टारगेट बिना ज्यादा मेहनत के पूरे हो सकते थे। पीड़ित किसान बोला- पासबुक में एंट्री करवाने जाता तो सर्वर डाउन का बहाना बनाती कोटा के श्रीराम नगर बैंक शाखा के ग्राहक रामलाल सुमन ने बताया कि वो खेती-किसानी करते हैं। उनका इस बैंक में खाता है, जिसमें उन्होंने एफडी करवा रखी थी। रामलाल ने बताया वह जब भी पासबुक में एंट्री करवाने आते तो साक्षी बोलती- सर्वर काम नहीं कर रहा। दो-तीन बार उसने ऐसे ही टरका दिया। पैन से कागज पर लिखकर बैंक बैलेंस बता देती थी। हकीकत में साक्षी ने छेड़छाड़ कर फोन नंबर बदला और फिर एफडी तोड़कर 10 लाख से ज्यादा रुपए निकाल लिए। इस बात की जानकारी मुझे बैंक के मैनेजर तरुण दाधीच ने दी। हालांकि उन्होंने मेरा पूरा पैसा रिकवर करवाया, साथ ही पुलिस केस नहीं करने को भी कहा। अब किस पर विश्वास करें। बैंक पर विश्वास था वो भी साक्षी गुप्ता ने तोड़ दिया। बैंक बचा रहा साथी बैंककर्मियों को आईसीआईसीआई बैंक में काम कर चुके एक अधिकारी ने बताया कि कोई भी बैंक खाते से रुपए निकालने और ओवर ड्राफ्ट बनाने सहित सभी बैकिंग कार्यों में बैंक के दो अफसर शामिल होते हैं। एक अफसर वो जिसने अपनी आईडी से पैसा निकलवाने की रिक्वेस्ट बनाई और एक वह जिसने उसे सही माना कि बैंक खातेदार सही है और हस्ताक्षर उसी ग्राहक के हैं। दूसरा अफसर मैनेजर लेवल का होता है। ऐसे में बैंक मैनेजर स्तर के अधिकारी के शामिल हुए बिना यह घोटाला नहीं हो सकता है। इसलिए बैंक ने पुलिस रिपोर्ट में सारे आरोप साक्षी व अन्य के खिलाफ बताए हैं। लेकिन वो अन्य कौन है, उसे पुलिस कब तक खोज पाती है यह बड़ा सवाल है। बैंक प्रबंधन से जुड़ा कोई भी अफसर इस मामले पर बोलने से बचता नजर आ रहा है। यह भी पढ़ेंः कोटा में महिला बैंक अधिकारी ने खातों से करोड़ों निकाले:शेयर मार्केट में डुबोए, धोखाधड़ी से ग्राहकों की FD बंद की, मोबाइल नंबर बदले