पुलिस की सुस्ती:हत्या व दुष्कर्म मामलों में पर्याप्त मुआवजा, पुलिस न पीड़ितों को स्कीम बता रही, न आवेदन करा रही

पुलिस की सुस्ती:हत्या व दुष्कर्म मामलों में पर्याप्त मुआवजा, पुलिस न पीड़ितों को स्कीम बता रही, न आवेदन करा रही
हत्या, दुष्कर्म, एसिड अटैक और बच्चों से जुड़े गंभीर अपराध के पीड़ितों को राहत देने की योजना पुलिस की सुस्ती के कारण दम तोड़ रही है। सरकार ऐसे लोगों को ‘पीड़ित प्रतिकर स्कीम’ में 5 लाख रुपए तक मुआवजा देती है, लेकिन जानकारी का अभाव और पुलिस की ढिलाई बाधा बन रही है। नियम यह है कि थाने में इस तरह के केस दर्ज हों तो पुलिस पीड़ित को योजना समझाए और अपनी सिफारिश के साथ मुआवजे का आवेदन जिला विधिक सहायता प्राधिकरण को भेजें। लेकिन पुलिस यह काम ही नहीं कर रही। पीड़ित को योजना का पता नहीं चलता और वे आवेदन नहीं कर रहे। वर्ष 2019 से मार्च 2023 तक अलवर और भिवाड़ी एसपी के अधीन थानों में बाल यौन उत्पीड़न के 1325 केस दर्ज हुए। इनमें सिर्फ 400 ने ही मुआवजे के लिए आवेदन किए। इधर, अलवर में 2022 से अप्रैल 2025 तक हत्या के 210, दुष्कर्म के 774 और पोक्सो एक्ट में 291 मुकदमे दर्ज हुए। योजना की जानकारी नहीं होने के कारण महज 149 मामलों में ही पीड़ितों को मुआवजा मिल पाया। केस-1 बहरोड़ क्षेत्र के कानावास गांव में 16 अप्रैल 22 को विमला देवी की हत्या हुई। परिजन मुख्यमंत्री कार्यालय तक चक्कर काट कर थक गए, मगर अपराधी नहीं पकड़े गए। विमला देवी के पुत्र रवि यादव ने बताया कि 3 साल में उन्हें पीड़ित प्रतिकर स्कीम पुलिस ने कभी बताया ही नहीं। जानकारी नहीं होने से हमने आवेदन भी नहीं किया। केस-2 रामगढ़ के कोटा खुर्द गांव में 22 नवंबर 2023 को झगड़े के दौरान गोली लगने से 19 साल के आकिब की मौत हुई थी। आकिब के पिता भोली कहते हैं–मैंने अपना जवान बेटा खोया। पुलिस ने 8 आरोपी पकड़े मगर सरकारी मुआवजे की स्कीम के बारे में कभी नहीं बताया। अगर पता होता तो हम आवेदन जरूर करते। केस-3 बानसूर के भूपसेड़ा गांव में 10 फरवरी 22 को एक 27 वर्षीय महिला की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई। शव भृर्तहरि के जंगल में मिला। मृतका के पति का कहना है कि मैंने छह माह बाद ही पीड़ित प्रतिकर स्कीम का फार्म पुलिस के जरिए भेजा लेकिन तीन साल बाद भी कोई सहायता राशि नहीं मिली। केस-4 कठूमर के गुरुजी मोहल्ले में घनश्याम जाटव की पत्नी केशंता की उनके ही भतीजे ने चाकू घोंपकर 5 नवंबर 23 को हत्या कर दी। घनश्याम जाटव कहते हैं–मेरा बेटा घटना का चश्मदीद गवाह था। जब सरकार की मुआवजा योजना के बारे में पूछा गया तो घनश्याम ने बताया कि पुलिस ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। पीड़ितों के लिए इस तरह निर्धारित है मुआवजा राशि ऐसे व्यक्ति की हत्या जो परिवार का पालन–पोषण कर रहा हो 5 लाख रुपए ऐसे व्यक्ति की हत्या जिस पर परिवार निर्भर नहीं हो 2.5 लाख रुपए परिवार का पालन कर रहे व्यक्ति की 80% विकलांगता 2.5 लाख रुपए परिवार का पालन कर रहे व्यक्ति की 40% विकलांगता 80 हजार रुपए दुष्कर्म अथवा पोक्सो एक्ट के तहत अपराध 5 लाख रुपए एसिड अटैक से पीड़ित 3 लाख रुपए एडीजे ने कहा- पीड़ितों को सहायता दिलाना पुलिस की जिम्मेदारी, गंभीरता की जरूरत "दुष्कर्म, हत्या, पोक्सो और एसिड अटैक जैसे गंभीर अपराधों के मामलों में पुलिस की जिम्मेदारी है कि केस दर्ज होने पर अपनी अनुशंषा के साथ पीड़ित परिवारों के मुआवजा आवेदन हमें भिजवाए। बार–बार कहने के बावजूद पुलिस इस पर गंभीर नहीं है। यही कारण है कि पीड़ित प्रतिकर स्कीम का लाभ लोगों को आशानुरूप नहीं मिल रहा।" -मोहनलाल सोनी, एडीजे व सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अलवर