चीनी राजदूत बोले- दलाई लामा उत्तराधिकारी नहीं चुन सकते:यह परंपरा 700 साल से चली आ रही, उन्हें बदलने का अधिकार नहीं

चीनी राजदूत बोले- दलाई लामा उत्तराधिकारी नहीं चुन सकते:यह परंपरा 700 साल से चली आ रही, उन्हें बदलने का अधिकार नहीं
भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने दलाई लामा के पुनर्जन्म और उत्तराधिकार वाले बयान पर प्रतिक्रिया दी है। फेइहोंग ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, 14वें दलाई लामा ने कहा है कि दलाई लामा की परंपरा आगे भी जारी रहेगी। हालांकि तिब्बती बौद्ध धर्म जीवित बुद्ध के पुनर्जन्म की परंपरा 700 साल से चली रही है।फेइहोंग ने कहा 14वें दलाई लामा इस ऐतिहासिक और धार्मिक परंपरा का हिस्सा हैं। दलाई लामाओं का पुनर्जन्म ना तो उनसे शुरू हुआ था, और ना ही उनके कारण खत्म होगा। परंपरा को जारी रखना है या खत्म करने का फैसला सिर्फ 14वें दलाई लामा के हाथ में नहीं है। वे अकेले यह तय नहीं कर सकते कि पुनर्जन्म की परंपरा चलेगी या नहीं। विवाद की शुरुआत 2 जुलाई को हिमाचल में दलाई लामा के बयान से हुई। यहां उन्होंने कहा था कि उनके उत्तराधिकारी को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार तिब्बती बौद्ध गुरुओं को है। भारत बोला-धार्मिक मामले पर बात नहीं करते भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को दलाई लामा के उत्तराधिकार पर कहा- भारत सरकार आस्था और धार्मिक प्रथाओं से जुड़े मामलों पर न तो कोई रुख अपनाती है और न बोलती है। आगे भी ऐसा करती रहेगी। हमने दलाई लामा के बयान से संबंधित रिपोर्ट्स देखी हैं। भारत के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने 3 जुलाई को दलाई लामा के इस बयान का समर्थन किया था। रिजिजू ने कहा था कि दलाई लामा को अपने उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार होना चाहिए। इस बयान पर चीन ने नाराजगी जताई थी। चीन ने शुक्रवार को कहा- तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर भारत को सावधानी बरतनी चाहिए।चीन ने यह भी कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चीन की सरकार की मंजूरी लेनी होगी। चीनी कानूनों, नियमों के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं का भी पालन करना होगा। दलाई लामा बोले- 40 साल और जिंदा रहूंगा दलाई लामा ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि वे 130 साल की उम्र तक यानी अभी 40 साल और जिंदा रहेंगे। लामा ने कहा कि उन्होंने अब तक पूरी मेहनत की है। प्रभु के आशीर्वाद से उम्मीद है कि वे 30-40 साल और जिंदा रहेंगे और बुद्ध धर्म और जीवों की सेवा करते रहेंगे। लामा ने ये बात हाल ही में अपनी मौत के बाद फिर से जन्म लेने (पुनर्जन्म) की इच्छा जाहिर करने के कुछ दिन बाद कही है। उनके इस बयान के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर लंबे समय से चल रही अटकलों पर भी रोक लग गई है। दलाई लामा ने यह बात धर्मशाला में एक दीर्घायु प्रार्थना सभा के दौरान कही, जहां हजारों अनुयायी उन्हें सुनने आए थे। उन्होंने दलाई लामा ने इससे पहले दिसंबर में रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वे 110 साल तक जी सकते हैं। हिमाचल में 3 दिन चला 15वां तिब्बती धार्मिक सम्मेलन​​​​​​ हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में 2 जुलाई को 3 दिवसीय 15वां तिब्बती धार्मिक सम्मेलन शुरू हुआ था। यहां दलाई लामा ने दोटूक कहा था- दलाई लामा की संस्था भविष्य में भी जारी रहेगी। साथ ही उन्होंने यह भी क्लियर किया कि उनके देहांत के बाद उनके उत्तराधिकारी का चयन भी तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार ही होगा। तिब्बत और बौद्ध धर्म में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए दलाई लामा ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा था कि उनके उत्तराधिकारी के चयन में चीन की कोई भूमिका नहीं होगी। अगर चीन ऐसा करने की कोशिश भी करता है तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।इस पर चीन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। चीन का कहना है कि धर्मशाला स्थित दलाई लामा लाइब्रेरी एंड आर्काइव में 3 दिवसीय धार्मिक सम्मेलन शुरू हुआ था, जिसमें तिब्बती बौद्ध धर्म की विभिन्न परंपराओं के प्रमुख लामाओं, तिब्बती संसद, सिविल सोसाइटी, संगठनों और दुनिया भर से आए तिब्बती समुदाय के प्रतिनिधि ने भाग लिया था। गादेन फोडंग ट्रस्ट को सौंपी जिम्मेदारी 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने वीडियो संदेश के माध्यम से बताया था उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के चयन की जिम्मेदारी 'गादेन फोडंग ट्रस्ट' को सौंपी है। दलाई लामा ने स्थापना 2015 में दलाई लामा की संस्था से संबंधित मामलों की देखरेख के लिए इस ट्रस्ट की स्थापना की थी। तेनजिन ग्यात्सो ने कहा था कि अगले दलाई लामा की पहचान और मान्यता की पूरी प्रक्रिया का अधिकार केवल ट्रस्ट को है। कोई अन्य व्यक्ति, संगठन या सरकार इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। चीन भी नहीं कर सकता नियुक्ति दलाई लामा ने कहा था कि ट्रस्ट के अलावा कोई और अगले दलाई लामा की नियुक्ति नहीं कर सकता है। इस घोषणा ने उन चर्चाओं पर विराम लगा दिया, जिनमें कहा जा रहा था कि चीन मौजूदा दलाई लामा की मौत के बाद खुद 15वें दलाई लामा की नियुक्ति कर देगा। दलाई लामा ने अपने वीडियो संदेश में कहा था कि 1969 में ही हमने यह स्पष्ट कर दिया था कि संस्था को जारी रखने का निर्णय संबंधित लोगों को करना चाहिए। पिछले 14 सालों में हमें दुनिया भर से, विशेषकर तिब्बत से, संस्था को जारी रखने के आग्रह मिले हैं। उन्होंने कहा कि 24 सितंबर 2011 को भी उन्होंने कहा था कि जब वह 90 वर्ष के आसपास हो जाएंगे, तब इस विषय पर निर्णय लेंगे। CTA नेता बोले- चीन इस परंपरा का फायदा उठाना चाह रहा है कार्यक्रम के दौरान सेंट्रल तिब्बतियन एडमिनिस्ट्रेशन (CTA) के नेता पेन्पा शेरिंग ने धर्मशाला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन पर आरोप लगाया कि वह दलाई लामा के उत्तराधिकार को राजनीतिक हथियार बना रहा है। उन्होंने कहा था- चीन इस परंपरा को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है, जो पूरी तरह निंदनीय है। यह आध्यात्मिक प्रक्रिया है और हम इसमें किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेंगे। पेन्पा शेरिंग ने यह भी कहा कि वर्तमान में चीन सरकार की नीतियां तिब्बती पहचान, भाषा और धर्म को मिटाने की कोशिश कर रही हैं। शी जिनपिंग की सरकार तिब्बती लोगों की सांस्कृतिक और धार्मिक जड़ों को निशाना बना रही है। दलाई लामा किताब में भी ये बातें कह चुके मौजूदा दलाई लामा 6 जुलाई को 90 साल के हो जाएंगे। इसके बाद उनके उत्तराधिकारी पर निर्णय संभव है। इस साल मार्च में प्रकाशित हुई दलाई लामा की किताब वॉयस फॉर द डायसलेस में भी उन्होंने लिखा है कि उनका पुनर्जन्म चीन के बाहर एक स्वतंत्र दुनिया में होगा, जहां तिब्बती बौद्ध धर्म की स्वतंत्रता बनी रहे। उन्होंने लिखा है कि उनके पुनर्जन्म का उद्देश्य उनके कार्य को आगे बढ़ाना है। इसलिए, नया दलाई लामा एक स्वतंत्र दुनिया में जन्म लेगा, ताकि वह तिब्बती बौद्ध धर्म का नेतृत्व और तिब्बती लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक बन सके। चीन ने दलाई लामा का बयान खारिज किया किताब में कही बात पर चीन की ओर से भी प्रतिक्रिया आई थी। चीनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने दलाई लामा के किताब में लिखे बयान को खारिज किया। साथ ही कहा कि दलाई लामा को तिब्बती लोगों का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं है। प्रवक्ता ने कहा कि बुद्ध की वंशावली चीन के तिब्बत में विकसित हुई। इस हिसाब से उनके उत्तराधिकारी का चयन भी चीनी कानून और परंपराओं के अनुसार ही होगा। उन्होंने दावा किया कि साल 1793 में किंग राजवंश ने गोल्डन अर्न प्रक्रिया शुरू की थी। उसके तहत चीन को ही दलाई लामा के उत्तराधिकारी को मंजूरी देने का अधिकार है। दलाई लामा बोले- यह प्रक्रिया उपयोग में नहीं हालांकि, तिब्बती समुदाय और दलाई लामा ने चीन के इस दावे को खारिज किया। उन्होंने कहा कि गोल्डन अर्न प्रक्रिया केवल 11वें और 12वें दलाई लामा के लिए उपयोग की गई थी। 9वें, 13वें, और 14वें दलाई लामा के चयन में इसका उपयोग नहीं किया गया। ........................ दलाई लामा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... अरुणाचल प्रदेश के सीएम धर्मशाला पहुंचे: दलाई लामा के जन्मदिवस समारोह में शामिल होंगे, 6 जुलाई को कार्यक्रम अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू शुक्रवार को धर्मशाला पहुंचे। वे तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिवस और दीर्घायु प्रार्थना कार्यक्रम में विशेष अतिथि होंगे। धर्मशाला के होटल हयात में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की सुरक्षा मंत्री कालोन डोलमा ग्यारी ने उनका स्वागत किया। पूरी खबर पढ़ें...