इजराइली एजेंसी का दावा- ईरानी जासूसी नेटवर्क का खुलासा किया:टेलीग्राम लिंक से पोस्टर लगाने, नारे लिखने जैसे टास्क देते, बदले में पैसे मिलते

इजराइली एजेंसी का दावा- ईरानी जासूसी नेटवर्क का खुलासा किया:टेलीग्राम लिंक से पोस्टर लगाने, नारे लिखने जैसे टास्क देते, बदले में पैसे मिलते
इजराइल की सुरक्षा एजेंसी ने ईरान के लिए जासूसी करने वाले एक नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल में अब तक 30 से ज्यादा नागरिकों पर ईरानी खुफिया एजेंसी के लिए काम करने का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ईरानी एजेंसी ने इजराइली नागरिकों को पैसे का लालच देकर उनसे देश से जुड़ी संवेदनशील जानकारी जुटाने की कोशिश की। इसके लिए लोगों को गुमनाम मैसेज भेजे गए, जिनमें पूछा गया – “क्या आपके पास युद्ध से जुड़ी कोई जानकारी है? हम इसे खरीदने के लिए तैयार हैं।” ये संदेश टेलीग्राम ऐप के जरिए भेजे गए थे। इसके साथ ही लोगों को पोस्टर लगाने और सरकार के खिलाफ नारे लिखने जैसे काम करने के टास्क भी दिए गए। वहीं, दूसरी ओर, ईरान ने भी इजराइल के लिए जासूसी करने के आरोप में अब तक 700 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है। इजराइल ने 13 जून को ईरान पर हमला किया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच 12 दिन तक संघर्ष चला। इसके बाद 24 जून को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने सीजफायर का ऐलान कराया था। इस युद्ध में ईरान में 627 और इजराइल में 28 लोगों की मौत हुई थी। टेलीग्राम लिंक के जरिए जासूसी टास्क दिए जाते टेलीग्राम लिंक के जरिए लोगों को कई तरह के टास्क दिए जाते थे। ईरानी खुफिया एजेंसी के लिए काम करने वाले एक संदिग्ध को पहले पार्क में एक काला बैग ढूंढने का टास्क दिया गया था। इसके बदले 1 हजार अमेरिकी डॉलर (करीब ₹85 हजार) देने का वादा किया गया। हालांकि, वहां कोई बैग नहीं था — यह टास्क लोगों की वफादारी और तत्परता जांचने के लिए था। इसके बाद संदिग्धों को और काम सौंपे जाते थे। इनमें पर्चे बांटना, प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ दीवारों पर नारे लिखना, भड़काऊ पोस्टर लगाना, सार्वजनिक स्थानों की दीवारों पर पेंटिंग बनाना, या सरकारी दफ्तरों और एयरपोर्ट जैसी संवेदनशील जगहों की तस्वीरें लेना शामिल था। इन कामों के बदले पैसों का लालच दिया जाता था। जैसे-जैसे लोग ये छोटे टास्क पूरे करते, उन्हें और ज्यादा पैसों का ऑफर दिया जाता। संदिग्धों को इजराइली वैज्ञानिकों की हत्या करने या उनके घर जलाने के लिए 60 हजार अमेरिकी डॉलर (करीब ₹51 लाख) तक की रकम देने की पेशकश भी की गई थी। ईरान का दावा- 700 जासूसी को पकड़ा दूसरी ओर, फार्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान में जासूसी की। 13 जुलाई की सुबह मोसाद ने ईरान के कई शीर्ष सैन्य और न्यूक्लियर साइंटिस्ट को निशाना बनाकर उनकी हत्या कर दी। वहीं, ईरान ने दावा किया कि उसने इजराइल के लिए जासूसी करने वाले 700 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से 6 को सुनवाई के बाद फांसी दी गई। हालांकि, ये सुनवाइयां गुप्त रूप से हुई थी, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि ये नेटवर्क वास्तविक थे या नहीं। इजराइल-ईरान जंग 12 दिनों तक चली ईरानी राष्ट्रपति मसूद पजशकियान ने कहा कि अगर इजराइल के हमलों का जवाब नहीं दिया जाता, तो इससे पूरे क्षेत्र में बड़ा और बेकाबू युद्ध शुरू हो सकता था। पजशकियान ने यह बात बेलारूस के मिन्स्क में चल रहे चौथे यूरेशियन आर्थिक मंच में ऑनलाइन जुड़कर कही। उन्होंने बताया कि इजराइल ने ईरान की जमीन पर हमला किया था और ईरान की सेना ने संयुक्त राष्ट्र के नियमों के मुताबिक इसका सही जवाब दिया। पजशकियान ने कहा कि उस वक्त ईरान और अमेरिका के बीच ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अप्रत्यक्ष बातचीत चल रही थी, तभी इजराइल ने ईरान पर हवाई हमला कर दिया। पजशकियान ने कहा कि ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं पर अमेरिका और इजराइल का हमला अंतरराष्ट्रीय नियमों का गंभीर उल्लंघन है, क्योंकि ये परमाणु सुविधाएं IAEA की पूरी निगरानी में हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देश द्वारा इस तरह का हमला परमाणु हथियारों के फैलाव को रोकने की कोशिशों के लिए बड़ा नुकसान है। ट्रम्प बोले थे- मैंने खामेनेई को भयानक मौत से बचाया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरानी सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के उस दावे को झूठा करार दिया, जिसमें उन्होंने इजराइल के खिलाफ जंग में जीत की ऐलान किया था। ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर कहा, 'मैंने खामेनेई को एक भयानक और अपमानजनक मौत से बचाया। मुझे यह भी उम्मीद नहीं है कि वे मुझे शुक्रिया कहेंगे।' अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि वह खामेनेई के ठिकाने से वाकिफ थे, लेकिन उन्होंने इजराइल और अमेरिकी सेना को उनकी हत्या से रोका, जिससे उनकी जान बच गई। उन्होंने आगे कहा, 'ईरान ग्लोबल सिस्टम में शामिल होने की जगह गुस्सा और दुश्मनी दिखा रहा है, जिसकी वजह से उनकी सेना, इकोनॉमी और भविष्य बर्बाद हो चुका है।