‘ओल्यू’ का मतलब सिर्फ मिलना नहीं, याद होना है

फेस्टिवल में ‘प्रयास’ संस्था के 14 बच्चों ने परफॉर्मेंस दी। ‘छोटे-छोटे तमाशे’ गीत पर ग्रुप डांस प्रस्तुति हुई, जिसमें बच्चों की जुगलबंदी और आत्मविश्वास ने दर्शकों को भावुक कर दिया। वहीं तीन सोलो डांस परफॉर्मेंस रहीं। मनीषा मीणा ने ‘खम्मा घणी, खम्मा घणी’ पर राजस्थानी रंग बिखेरा। निशा मीणा ने ‘थाने काजलियो बणालू’ पर नृत्य किया। वहीं डिम्पल सोनी ने ‘मैंने पायल जो छनकाई...’ पर परफॉर्म कर तालियां बटोरीं। सिटी रिपोर्टर | ‘ओल्यू’ सिर्फ एक मुलाकात नहीं है, ये उस मुलाकात की याद का फिर से मन में उतर आना है। राजस्थानी भाषा का शब्द ‘ओल्यू’ असल में रिश्तों की गहराई और जुड़ाव को बयां करता है। राजस्थान रनवे फेस्टिवल के दूसरे दिन जयपुर एयरपोर्ट पर आयोजित भाषा चर्चा सत्र में यह बात राजस्थानी लेखक और भाषा संरक्षक राजवीर सिंह चलकोई ने कही। उन्होंने कहा- हिंदी और अंग्रेजी भाषाएं सीखना जरूरी है, लेकिन जिस जमीन पर बच्चों ने जन्म लिया है उसकी भाषा यानी राजस्थानी भी सीखना और सिखाना उतना ही जरूरी है। मैं खुद हिंदी में पढ़ाता हूं, लेकिन जिस दिन बच्चों की परीक्षा राजस्थानी में ली जाएगी, उस दिन से सिर्फ राजस्थानी में पढ़ाऊंगा। शादी-ब्याह के समय भोमियाजी और खेतरपाल की पूजा तो की जाती है, लेकिन बच्चों को यह नहीं बताया जाता कि ये कौन हैं। भोमियाजी वो है जिन्होंने भूमि की रक्षा की। खेतरपाल वे हैं जिन्होंने पूरे क्षेत्र की रक्षा की। हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को अगली पीढ़ी तक ठोस रूप से पहुंचाना होगा। ‘प्रयास’ के बच्चों ने दी प्रस्तुति