​​​​​​​JEE एग्जाम से 4 दिन पहले मां की मौत:अस्थि विसर्जन से पहले पेपर दिया; तैयारी के लिए बहनों की शादी में नहीं गया

​​​​​​​JEE एग्जाम से 4 दिन पहले मां की मौत:अस्थि विसर्जन से पहले पेपर दिया; तैयारी के लिए बहनों की शादी में नहीं गया
'24 जनवरी को पेपर था, चार दिन पहले 20 जनवरी को मां का निधन हो गया। पहले पेपर दिया। उसके बाद 25 जनवरी को मां की अस्थियों को विसर्जित करने हरिद्वार पहुंचा।' - शिवांश अग्रवाल, जिन्होंने जेईई में 1032 रैंक हासिल की। 'रात में पढ़ाई की और दिन में खेती कर पिता का हाथ बंटाया। मेरे लिए पिता ने मजदूरी तक की। ताकि पढ़ाई में रुकावट न आए।' - रितिक सिंह, जिन्होंने जेईई में 2830वीं रैंक हासिल की। 'परिवार ने तमाम परेशानियों के बाद भी मेरे सपनों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई।' - भव्य जेठानंदानी, जिन्होंने जेईई में 46वीं रैंक हासिल की। जेईई एडवांस्ड 2025 के परिणामों में राजस्थान के स्टूडेंट्स का प्रदर्शन अच्छा रहा। टॉप रैंक कोटा से रही। वहीं, प्रदेशभर से स्टूडेंट्स का सिलेक्शन आईआईटी के लिए हुआ है, लेकिन इनमें कुछ स्टूडेंट्स ऐसे भी थे, जिन्होंने तमाम मुश्किलों के बावजूद परीक्षा पास की। आगे पढ़िए राजस्थान के होनहार बच्चों की कहानी... भरतपुर में किसान के बेटे ने क्रेक किया जेईई का एग्जाम भरतपुर में किसान के बेटे रितिक ने ऑल इंडिया 2830वीं रैंक हासिल की है। रितिक भरतपुर के वैर इलाके के खोरी गांव के रहने वाले हैं। उसके पिता राधेश्याम खेती करते हैं। रितिक ने रात में पढ़ाई की और दिन में पिता का हाथ बंटाया। इसके साथ ही जेईई क्रेक किया। रितिक ने बताया- मैं सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करता था। पढ़ाई के लिए दो बहनों की शादी में जाना कैंसिल कर दिया था। मैं किसी भी प्रोग्राम में शामिल नहीं हुआ। छोटी बहन निशा कुमारी 12वीं कक्षा में पढ़ती है। बड़ी बहन पूजा कुमारी गुड़गांव में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती है। बड़ी बहन और पिता ने मुझे पढ़ाने के लिए काफी सपोर्ट किया। पिता ने खेती के साथ मजदूरी भी की उन्होंने कहा- खेती-बाड़ी से फ्री होकर पिता मजदूरी करते थे। ताकि घर की जरूरतें पूरी कर सकें और मेरी पढ़ाई में पैसे के कारण किसी तरह की रुकावट न आए। रितिक ने बताया- मैंने भरतपुर शहर में रहकर ही पढ़ाई की। पापा और बड़ी बहन मुझे कोचिंग की फीस और दूसरे खर्चों के लिए पैसे देते थे। चचेरी बहनों की शादी में नहीं गया रितिक ने बताया- 18 मई को मेरा पेपर था। इससे पहले 20 अप्रैल को मेरे चाचा हरगोविंद की बेटी सोनम की शादी थी। मैंने शादी का कोई फंक्शन अटैंड नहीं किया। इसके बाद 30 अप्रैल मेरे दूसरे चाचा रामरूप सिंह की बेटी अंजना कुमारी की शादी थी। मैंने वह शादी भी अटैंड नहीं की। दोनों बहनों ने मुझे फोन कर खूब बुलाया, लेकिन मैं अपने रूम से नहीं निकला। रितिक ने बताया- मेरी मां विमलेश हाउस वाइफ हैं। मेरी 2830वीं रैंक है, इसलिए IIT B.TECH में एडमिशन मिल सकता है। बाकी का परिजन मिलकर तय करेंगे आगे क्या करना है? आगे पढ़िए जयपुर के शिवांश की कहानी, जिन्होंने एग्जाम देने से मना कर दिया था... एग्जाम से 4 दिन पहले मां का निधन हुआ जयपुर के रामनगर (सोडाला) के रहने वाले शिवांश अग्रवाल ने जेईई एडवांस्ड 2025 में AIR 1032 हासिल की है। शिवांश के पिता गोविंद अग्रवाल सोलर कंपनी में रीजनल मैनेजर है। शिवांश ने बताया- जेईई की तैयारी 2 साल पहले क्लास 11 से शुरू की थी। 11वीं से पहले यह भी नहीं पता था कि आईआईटी क्या होता है? न उन्हें फिजिक्स की जानकारी थी, न ही केमिस्ट्री की। मुझे शुरुआत से ही मैथ्स में इंटरेस्ट था। ऐसे में अखबारों में पढ़ने के बाद और परिवार के लोगों की राय पर इंजीनियरिंग करने की सोची। जैसे ही जेईई की तैयारी शुरू की तो फिजिक्स सब्जेक्ट को देखते ही सिर पकड़ने का मन करता था। उन्होंने बताया- उनका फिजिक्स पिछले साल दिसंबर तक खराब था। मैंने मॉक टेस्ट के माध्यम से फिजिक्स पर पकड़ बनाई। मेरा जेईई एडवांस्ड में सबसे बेहतर परिणाम फिजिक्स में ही रहा। शिवांश के पिता गोविंद अग्रवाल ने बताया- परीक्षा से 4 दिन पहले 20 जनवरी 2025 को ही शिवांश की मां सोनू अग्रवाल का कैंसर से निधन हो गया था। पूरा परिवार टूट गया था। 24 जनवरी को पेपर था। पेपर के बाद ही 25 जनवरी को मैं और बेटा अस्थियां विसर्जित करने हरिद्वार पहुंचे। शिवांश ने पेपर देने से कर दिया था मना गोविंद अग्रवाल ने बताया- मां के निधन पर बेटा खूब रोया, लेकिन मैंने उसे टूटने नहीं दिया। उसे हमेशा मोटिवेट करता रहा। एक बार के लिए शिवांश ने तय कर लिया था कि वह पेपर नहीं देगा। परिवार का दबाव था कि तीये की बैठक के बाद अस्थियां विसर्जित करने हरिद्वार जाना था, लेकिन मेरा कड़ा फैसला था कि मेरे बेटे का पेपर है। इसके चलते हम अस्थियां विसर्जित करने एक दिन बाद पहुंचे। मां ने निधन से 10 दिन पहले सुनाई थी कहानी शिवांश ने कहा- निधन से 10 दिन पहले मेरी मां ने एक बच्चे की कहानी मुझे सुनाई थी। इसमें बच्चा अपनी मां के निधन के बाद भी परीक्षा देने जाता है। शायद मां की यहीं इच्छा थी, इसलिए उन्होंने अपने अंतिम समय में मुझे यह कहानी सुनाई थी। भले ही मेरी AIR इतनी खास न रही हो, लेकिन आज मैं जो भी हूं मां की बदौलत ही हूं। आगे पढ़िए जयपुर के भव्य ने मोबाइल की लत को छोड़ कैसे 46वीं रैंक हासिल की... केमेस्ट्री से लगता था डर, अब 46वीं रैंक हासिल की जयपुर के दुर्गापुरा में रहने वाले भव्य जेठानंदानी ने 46 वीं रैंक हासिल की है। भव्य जेठानंदानी ने बताया- कक्षा 11 से ही तैयारी शुरू कर दी थी। शुरुआती दौर में केमिस्ट्री से डर लगता था, लेकिन नियमित अभ्यास और पढ़ाई से इस सब्जेक्ट पर पकड़ बनाई। उन्होंने बताया- मैं मध्यम वर्ग परिवार से हूं। पापा दैनिक भास्कर पुलिया के पास स्थित स्कूल में कार्यरत हैं। पापा ने तमाम परेशानियों के बाद भी मेरे सपनों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई है। मां हाउस वाइफ है, हालांकि वे होम ट्यूशन भी करती हैं। मैं जब भी अच्छे नंबर लाने की होड़ में रहता तो मां ने मुझे समझाया कि नंबर से नहीं सब्जेक्ट पर कमांड से सक्सेस पाई जाती है। मेरी मां ने मुझे कई मर्तबा जेईई से पहले पढ़ाया है। इसकी बदौलत ही मैं आगे के गोल तय कर पाया था। 11वीं से शुरू कर दी थी तैयारी भव्य ने कहा- मैंने आईआईटी जेईई की तैयारी कक्षा 11 से ही शुरू कर दी थी। मेरी कक्षा 10वीं में 96.4% रही थी। जेईई के शुरुआती सफर में मुझे केमेस्ट्री से डर लगता था। केमेस्ट्री में मुझे काफी दिक्कत आती थी। इसके लिए मैंने एनसीआरटी पर फोकस किया। मोबाइल गेमिंग की लत लग गई थी उन्होंने बताया- कोरोना के समय मुझे सोशल मीडिया और मोबाइल गेमिंग की लत लग गई थी, लेकिन 10वीं में पढ़ते समय पेरेंट्स और टीचर्स के कहने पर इनसे दूरी बना ली। मैं मोबाइल इस्तेमाल करना बंद कर दिया। अब भी नहीं करता। जरूरत होने पर मां की मोबाइल यूज किया करता हूं। ......................... जेईई एडवांस्ड से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... डॉक्टर-क्रिकेटर बनना चाहते थे, जेईई एडवांस्ड टॉप किया:पहली रैंक वाले राजित गुप्ता के पिता को आरपीईटी में मिली थी 48वीं रैंक मैंने कभी पढ़ाई का शेड्यूल नहीं बनाया। जब भी इच्छा हुई पढ़ाई की। एग्जाम को लेकर टेंशन नहीं ली। न तो ये सोचा कि टॉप करना है, न ही ये सोचा कि एग्जाम क्रेक नहीं किया तो क्या होगा? यह कहना है जेईई एडवांस्ड में देश में पहली रैंक हासिल करने वाले कोटा के राजित गुप्ता का। पढ़ें पूरी खबर...