शाला दर्पण एप से 62 हजार बच्चों की क्षमता का मूल्यांकन

शाला दर्पण एप से 62 हजार बच्चों की क्षमता का मूल्यांकन
भास्कर न्यूज | प्रतापगढ़ जिले में शाला दर्पण एप के माध्यम से विद्यार्थियों की बौद्धिक और तार्किक क्षमताओं का परीक्षण किया जा रहा है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह है कि प्रत्येक विद्यार्थी की सीखने की क्षमता का विश्लेषण कर यह जाना जा सके कि वह किस शैक्षणिक स्तर पर है, और उसे आगे बढ़ाने के लिए किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता है। प्रतापगढ़ जिले के 1345 स्कूलों में कुल 62,422 बच्चों का इस एप के माध्यम से मूल्यांकन किया गया है। जिला डाइट प्राचार्य कृपानिधि त्रिवेदी ने बताया कि यह एप चार प्रमुख कम्पोनेंट्स पर कार्य करता है, जिनके माध्यम से बच्चों की विभिन्न मानसिक व तार्किक क्षमताओं का परीक्षण होता है। अब तक जिले में 97 प्रतिशत बच्चों का परीक्षण सफलतापूर्वक हो चुका है। चार वर्क बुक के माध्यम से बच्चों का किया परीक्षण: जिला शिक्षा अधिकारी महेश चंद्र आमेटा ने बताया कि शिक्षकों ने बच्चों का शाला दर्पण एप से विद्यार्थियों की बौद्धिक और तार्किक क्षमताओं का परीक्षण किया है। इसके लिए विभाग में चार वर्क बुक तैयार की है, इसमें कक्षा चार की वर्क बुक को पहल, कक्षा 5 की वर्क बुक को प्रयास, कक्षा 6 से 7 की वर्क बुक को प्रवाह, कक्षा 8 की वर्क बुक को प्रखर नाम दिया गया। इन चारों वर्क बुक में हिंदी, गणित और अंग्रेजी से जुड़े हुए बच्चों के अपनी कक्षा स्तर प्रश्न शामिल हैं। विभाग की ओर से विशेष रूप से बच्चों के पढ़ने पर जोर दिया गया। इनमें कुछ सवाल अपनी कक्षा से दो कक्षा निचले स्तर के भी शामिल किए हैं, ताकि वह अगली कक्षा में जाने से पहले पिछली कक्षा में पढ़ा हुआ ना भूले। बच्चों को पहले इन चारों वर्क बुक का अपनी-अपनी कक्षा के हिसाब से अभ्यास करवाया जाता है, इसके बाद इनका परीक्षण किया गया। परीक्षा परिणाम आने के बाद कमजोर से कमजोर बच्चे पर शिक्षक विशेष रूप से ध्यान देकर किस विषय में परेशानी आ रही है, उस पर ध्यान देंगे। {दर्पण एप पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से संचालित है, जो प्रत्येक छात्र की प्रदर्शन रिपोर्ट तैयार करता है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया जाता है कि छात्र को किन क्षेत्रों में कठिनाई हो रही है और उसमें कैसे सुधार किया जा सकता है। इससे शिक्षकों को यह समझने में सहायता मिलती है कि किन छात्रों को अधिक मार्गदर्शन और सहयोग की आवश्यकता है। बच्चों के दृष्टिकोण से यह एप न केवल उनकी क्षमताओं को पहचानने का एक मंच है, बल्कि यह उन्हें आत्ममूल्यांकन का भी अवसर देता है। प्रत्येक विद्यार्थी को दो बार प्रयास करने का अवसर मिलता है, जिससे वे सुधार कर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। इससे उनकी आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। इस तकनीकी प्रक्रिया के दौरान सबसे अधिक समस्या उन दूरदराज के क्षेत्रों में सामने आई जहां इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसी परिस्थिति में शिक्षकों ने स्वयं प्रयास कर बच्चों को इंटरनेट उपलब्ध क्षेत्रों में ले जाकर परीक्षण किया और उनका डेटा एप में अपलोड किया। यह शिक्षकों की लगन और समर्पण को दर्शाता है, जो तकनीकी नवाचार को सफल बनाने में पूरी भूमिका निभा रहे हैं। {शिक्षा विभाग के अनुसार अब तक जिले में 97 प्रतिशत बच्चों का परीक्षण सफलतापूर्वक हो चुका है। इस तकनीकी पहल के माध्यम से कमजोर छात्रों की पहचान कर उनके लिए विशेष शिक्षण व्यवस्था की जाएगी, ताकि वे भी शैक्षणिक स्तर पर सशक्त बन सकें। यह नवाचार केवल एक तकनीकी प्रयोग नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी प्रयास है, जो शिक्षा की गुणवत्ता को नई ऊंचाई देने वाला है। यह प्रणाली पारदर्शी, परिणामोन्मुखी और हर विद्यार्थी को उसकी जरूरत के अनुसार सहयोग देने वाली है। यदि यह मॉडल सफल रहता है, तो यह पूरे राज्य और देशभर के शिक्षा तंत्र के लिए एक उदाहरण बन सकता है। प्रतापगढ़ जिले में यह पहल एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है, जो न सिर्फ वर्तमान को सशक्त बना रही है, बल्कि आने वाले समय में विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की नींव भी रख रही है।