शहर के 4 चौराहों पर गुजरते हैं 15 लाख वाहन:सालाना 35 लाख लीटर फ्यूल की खपत, समय की बर्बादी के साथ पर्यावरण भी दूषित

शहर के 4 चौराहों पर गुजरते हैं 15 लाख वाहन:सालाना 35 लाख लीटर फ्यूल की खपत, समय की बर्बादी के साथ पर्यावरण भी दूषित
शहर में वाहनों की संख्या में हाे रही बढ़ोतरी, संकरी सड़क और चौराहों पर अव्यवस्थित ट्रैफिक सिग्नल के चलते रोजाना मुख्य मार्गों पर सुबह से शाम तक कई बार जाम की स्थिति पैदा हो रही है। अव्यवस्थित ट्रैफिक सिग्नल के चलते रोजाना लगने वालें जाम से निकलना वाहन चालकों के लिए किसी चैलेंज से कम नहीं है। शहर की मुख्य सड़कें टोंक रोड, गोपालपुरा बाईपास, जेएलएन मार्ग, एमआई रोड, मानसरोवर, जगतपुरा, आगरा रोड से रोजाना लाखों वाहन निकलते हैं। जेडीए की एक रिपोर्ट के मुताबिक ओटीएस, गोपालपुरा पुलिया, सिविल लाइंस फाटक, रामबाग सर्किल से वर्किंग-डे पर रोजाना 15-20 लाख वाहन गुजरते हैं। जेडीए ने यह रिपोर्ट मुख्य चौराहों काे सिग्नल फ्री करने और आरओबी निर्माण के लिए करवाई थी। इन वाहनों में 40-45 लाख लीटर फ्यूल ताे जाम, ट्रैफिक लाइट्स काे पार करने में खप जाता है। इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव शहर के पर्यावरण पर पड़ता है। स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक शहर की हवा में मिलने वाले पॉल्यूशन में 72 फीसदी नाइट्रोजन डाइऑसाइड, 85 फीसदी कार्बन मोनोक्साइड फैलाने में वाहनों से निकलने वाला धुआं ही है। इसके अलावा 8 फीसदी पीएम-10 और 20 फीसदी पीएम-2 के कण भी धुएं से ही फैलते हैं। ओटीएस चौराहा मार्ग जेएलएन पर सबसे ज्यादा वाहनों का रश ओटीएस पर ही रहता है। बोटल नेक हाेने से सबसे ज्यादा जाम इसी रूट पर लगता है। यहां दिनभर में 8 से 10 बार जाम लगता ही है। इससे यहां 7 लाख लीटर फ्यूल धुएं में खप जाता है।इस चौराहे पर रोजाना 2 लाख वाहन निकलते हैं। लालकोठी तिराहा इस रूट पर पीक आवर्स में जाम रहता है। इस चौराहे पर जाम की वजह से 6 से 7 लाख लीटर फ्यूल अतिरिक्त खपत हाे रहा है।इस चौराहे पर रोजाना 2 लाख वाहन निकलते हैं। गोपालपुरा चौराहा टोंक रोड पर गोपालपुरा पुलिया के गुर्जर की थड़ी, सांगानेर, मानसरोवर, जेएलएन मार्ग और टोंक रोड की तरफ जाने के लिए यह सबसे मुख्य चौराहा है। सालाना 6 से 7 लाख लीटर फ्यूल इस जाम काे पार करने में खप जाता है। इस चौराहे पर 2.25 लाख वाहन निकलते हैं। रामबाग सर्किल चौराहा यही स्थिति रामबाग सर्किल की है। दिन में एक से दाे बार वीआईपी मूमेंट हाे जाता है, इससे ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है।10 लाख ली. फ्यूल लाल बत्ती पर धुआं बन उड़ रहा । हर साल बढ़ रहे वाहन, लेकिन पार्किंग क्षमता वही 1 लाख दुपहिया, 50 हजार कारों का रजिस्ट्रेशन हाे रहा है, राजधानी में हर साल औसतन। 2009-10 में 10.34 लाख दुपहिया और 1.60 लाख कारों की संख्या थी। 2020-21 में दुपहिया वाहनों का आंकड़ा 23.72 और कारों की संख्या 4.76 लाख पहुंच गई। 2023 दुपहिया वाहनों का आंकड़ा सालाना 1.31 लाख और कारों का 50 हजार तक पहुंच गया है। 2030 तक दुपहिया और कारों का आंकड़ा 50 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार शहर में हर साल एक से डेढ़ लाख वाहन बढ़ रहे है, लेकिन इन्हें खड़ा करने के लिए पार्किंग स्पेस नहीं है। शहर के मुख्य बाजारों में स्थित निगम पार्किंग की क्षमता केवल 10 हजार है।