5.28 रु. ज्यादा वसूलने के खिलाफ 7 साल केस लड़ा:इंदौर में रिलायंस फ्रेश और सांची को 2.64–2.64 रु. लौटाने का आदेश

इंदौर में एक ग्राहक से छाछ के 5 रुपए 28 पैसे ज्यादा लेने के बदले रिलायंस फ्रेश और सांची दुग्ध संघ को 5000 रुपए लौटाने होंगे। जिला उपभोक्त फोरम ने सात साल चले केस का फैसला ग्राहक के पक्ष में सुनाया है। वे कहते हैं लोग इस तरह ज्यादा वसूली को अकसर अनदेखा कर देते हैं। एजेंसियां ये ठगी कई लोगों से करती है। हमें जागरूक होने की जरूरत है। पढ़िए 5.28 रुपए ज्यादा लेने से लेकर फैसला आने तक क्या–क्या हुआ… बात 31 मार्च 2018 की है। एडवोकेट नरेंद्र तिवारी ने ट्रेड सेंटर स्थित रिलायंस फ्रेश के स्टोर से सांधी छाछ के 10–10 रुपए वाले 3 पाउच खरीदे। इसके बदले उनसे 35.28 लिए गए हैं। तिवारी ने तुरंत आपत्ति जताई, लेकिन काउंटर से उनको रुपए नहीं लौटाए गए। बिल दिखाया तो संचालक ने कहा कि यह नियम है। यहां जो ज्यादा रुपए लिए गए हैं, उसका जिक्र है। उनसे सही कीमत ली गई है और 5.28 रुपए लौटाने से इनकार कर दिया। उन्होंने उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज करा दिया। सात साल तक चले मामले में 40 बार सुनवाई हुई। अब फोरम ने आदेश दिया है कि रिलायंस फ्रेश और सांची दुग्ध संघ तिवारी को 2.64-2.64 रुपए लौटाएं। साथ ही मानसिक प्रताड़ना के लिए 3,000 और केस खर्च के 2,000 रुपए भी दें। तिवारी ने बताया कि सवाल 5.28 रुपए का नहीं है। कई स्टोर इस तरह से ग्राहकों से ज्यादा पैसे ले लेते हैं, पर वे ध्यान नहीं देते और ठगे जाते हैं। इस केस के जरिए लोगों में जागरूकता लाना है, ताकि वे अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहें। लैंडलाइन और टोल फ्री नंबर से भी नहीं मिला रिस्पांस तिवारी ने सांची के लैंडलाइन फोन नंबर और टोल फ्री नंबर पर कॉल किए, लेकिन हमेशा व्यस्त रहने से संपर्क नहीं हो सका। फिर उन्होंने इंदौर सहकारी दुग्ध संघ मर्यादित (सांची), इंदौर और रिलायंस फ्रेश को नोटिस जारी किए लेकिन दोनों ने जवाब नहीं दिया। फिर 3 अप्रैल 2018 को नाप तौल विभाग को लिखित शिकायत की। वहां से भी कोई रिस्पांस नहीं मिला। आखिरकार उन्होंने 4 अप्रैल 2018 को उपभोक्ता फोरम की शरण ली। इसमें इंदौर दुग्ध संघ और रिलायंस फ्रेश को पार्टी बनाया। एजेंसी ने तर्क दिया– बिल पर ग्राहक का नाम नहीं तिवारी कहते हैं, रिलायंस फ्रेंश ने फोरम के सामने मुझे झूठा साबित करने की कोशिश की। कहा गया कि बिल पर खरीदने वाले का नाम (नरेंद्र तिवारी) नहीं है। ऐसे में वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते। उन्होंने उलट हमारे आउटलेट की साख को खराब करने का प्रयास किया। यह भी तर्क दिया कि नापतौल विभाग की ओर से वजन की पर्ची, तुलवाई, तारीख आदि संबंधी रसीदें या कार्यवाही के दस्तावेज भी पेश नहीं किए हैं। यह भी तर्क दिए कि इंदौर दुग्ध संघ ने जो कीमत प्रिंट की है वह नीली स्याही से अंकित है। ऐसे में रिलायंस की ओर से सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है। इन तर्कों के साथ दावा खारिज करने की अपील की। आउटलेट यह भी साबित नहीं कर पाया कि 5.28 रुपए किस बात के लिए हैं। कहा कि अलग चार्ज तो लगता है। सांची की ओर से कोई पेश ही नहीं हुआ मामले में फोरम ने इंदौर दुग्ध संघ और रिलायंस फ्रेश को सुनवाई के लिए तलब किया। इसमें इंदौर दुग्ध संघ की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। फोरम ने इसे लेकर एक पक्षीय निर्णय लिया और रिलायंस फ्रेश और पीड़ित पक्ष के बीच सुनवाई शुरू की। इसमें रिलायंस फ्रेश के एडवोकेट की ओर से भी वही तर्क दिए गए जो आउटलेट संचालक ने मौके पर दिए थे। उनका कहना था कि 5.28 रुपए अलग से लगने वाला चार्ज है जो सही लगाया गया है। छाछ के खाली पाउच और बिल संभालकर रखा तिवारी की ओर से खरीदे गए छाछ का बिल, उसके यूज करने के बाद के खाली पाउच, नाप तौल विभाग को की गई शिकायत के दस्तावेज फोरम में पेश किए। उन्होंने तर्क दिए कि छाछ के पाउच पर जो कीमत रखी है वही वसूली जानी था या फिर सांची व रिलायंस आउटलेट ने जो ज्यादा कीमत वसूली है, वह पाउच पर अंकित होनी थी। 40 से ज्यादा बार पेशी, मिला न्याय तिवारी का कहना है कि सात साल में 40 बार पेशी हुई। एक पेशी के बाद दूसरी पेशी में आमतौर पर दो से तीन माह का समय लगता है। दूसरा कारण 2019 से करीब ढाई साल तक कोरोना काल भी रहा। फोरम में ज्यूडिशियल अध्यक्ष और दो सदस्यों की मौजूदगी में सुनवाई होती है। कई बार पोस्ट भी खाली रहती है जिसके चलते सुनवाई आगे बढ़ जाती है। कई बार विरोधी पक्षकार के एडवोकेट भी अलग-अलग कारणों से पेश नहीं हो पाते, यह भी कारण रहता है। यह खबर भी पढ़ें...
11 साल पुराने मामले में मैरिज गार्डन संचालक लौटाएगा राशि इंदौर में शादी के लिए एक परिवार ने 2 लाख रुपए जमा कर गार्डन बुक किया। जिस दिन बाराती गार्डन पहुंचे पता चला कि गार्डन संचालक ने उसी तारीख को किसी अन्य परिवार को शादी के लिए गार्डन बुक कर दिया है। पूरी खबर यहां पढ़ें...