लंदन के बिखरे राजस्थानी संस्कृति के अनूठे रंग:जीमण 2025 का हुआ आयोजन, राजस्थानी पारम्परिक वेशभूषा में पहुंची महिलाएं

राजस्थान की लोक-संस्कृति, परंपराएं और स्वाद सात समंदर पार लंदन के वेम्बली में सजा। हर कोई इसे निहारता और सराहता नजर आया। मौका था लंदन जीमण 2025 का। जहां ब्रिटेन में बसे राजस्थानी समुदाय ने अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का गौरवपूर्ण उत्सव मनाया। राजस्थान एसोसिएशन यूके (RAUK) की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम का यह नवां संस्करण रहा, जो सत्तावीस पाटीदार सेंटर में भव्य रूप से संपन्न हुआ। एक हजार से अधिक लोगों की भागीदारी और 100 से अधिक स्वयंसेवकों की मेहनत ने इस आयोजन को यादगार बना दिया। पारंपरिक रंग, स्वाद और संगीत का संगम कार्यक्रम की शुरुआत भगवान गणेश की आरती और दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसमें गेरार्ड्स क्रॉस की मेयर प्रेरणा भारद्वाज, हाउन्सलो काउंसिल के नेता शंतनु सिंह और RAUK संरक्षक कुलदीप शेखावत सहित अनेक गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में दाल-बाटी-चूरमा के पारंपरिक स्वाद, रंग-बिरंगे राजस्थानी परिधान और लोकनृत्य-लोकसंगीत की प्रस्तुति ने सभी को राजस्थान की मिट्टी की याद दिला दी। इस वर्ष का विशेष आकर्षण राजस्थानी फैशन शो रहा, जिसमें बच्चों, परिजनों और मित्रों के साथ जोड़ी में रैंप वॉक करते प्रतिभागियों ने पारिवारिक एकता और सांस्कृतिक गौरव को मंच पर जीवंत कर दिया। इस अवसर पर RAUK की ओर से 'यूथ एम्बेसडर प्रोग्राम' की शुरुआत भी की गई, जिसमें युवाओं को फोटोग्राफी, मंच संचालन, उद्यमिता और सामुदायिक सेवा जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जा रहा है। आयोजन के फोटोज और वीडियोज भी RAUK के युवा स्वयंसेवकों द्वारा तैयार किए गए। कार्यक्रम में विनीता के गायन, आशना के बांसुरी वादन, तथा अकीरा, अनया, सान्वी, अदिति, सायन, सोनम और सोहम के लोकनृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। “गोवर्धन गिरधारी” थीम पर आधारित विशेष फोटो बूथ और रील मेकिंग व क्विज जैसे सहभागिता आधारित सत्र भी उत्सव का हिस्सा रहे। मुख्य अतिथि के रूप में वेदांता समूह के संस्थापक अनिल अग्रवाल मौजूद रहे। उन्होंने RAUK की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक अस्मिता को संजोने और नई पीढ़ी को जोड़ने का माध्यम है। RAUK पूर्व में राइजिंग राजस्थान, दीवाली मिलन, और कम्युनिटी मीट्स जैसे आयोजन भी कर चुका है जो ब्रिटेन और भारत के राजस्थानी समुदायों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं।