ई-स्वराज प्रोजेक्ट पूर्णता के किनारे पर हांफ रहा:प्रदेश में 7 साल बाद भी ई-ग्राम स्वराज सौ फीसदी का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाया

शासन की सबसे छोटी इकाई के कामकाज को पारदर्शी बनाने और स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिहाज से शुरू किया गया ई-स्वराज प्रोजेक्ट पूर्णता के किनारे पर हांफ रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत स्थानीय ग्राम पंचायत प्रशासन को ग्राम सभा में बनाए गए विकास के अपने वार्षिक प्लान को ऑनलाइन करना था। ताकि गांव के लोगों से लेकर उच्चाधिकारी या जनप्रतिनिधि गण यह जान सकें कि पंचायत में क्या-क्या विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। इसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी या भेदभाव तो नहीं हो रहा। केंद्र सरकार इसकी मॉनीटरिंग करती है कि उसकी ओर से भेजे गए फंड का सही में उपयोग हो रहा है या नहीं। योजना की शुरुआत में इसकी रफ्तार धीमी रही, लेकिन बाद में इसने रफ्तार पकड़ी। मगर लक्ष्य अभी भी पूरा नहीं हो पाया है। प्रदेश में 11193 ग्राम पंचायतों में से 18 जिलों की 63 पंचायतें ऐसी हैं, जिनके डेवलपमेंट प्लान ऑनलाइन नहीं कराए जा सके हैं। यही प्लान केंद्र सरकार के पंचायतीराज मंत्रालय के पोर्टल पर भी देखे जा सकते हैं। इसके पीछे सरकार का मकसद था कि प्रत्येक नागरिक अपने क्षेत्र में हो रही प्रगति और विकास की स्थिति के बारे में जाने। ग्राम सभा में स्वीकृत कार्यों को पंचायती राज संस्थाओं द्वारा ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर एक गतिविधि के रूप में दर्ज किया जाता है। ऑनलाइन किए गए प्रस्तावों को प्रशासनिक स्वीकृति देने में भी आसानी रहती है। कोई भी नागरिक यह भी देख सकता है कि किसी प्रस्ताव की प्रक्रिया किस स्तर पर चल रही है। वहीं, इसी फाॅर्मूले से केंद्र सरकार कार्य के प्रोग्रेस को ट्रैक करती है। इससे ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों की निगरानी करना आसान हो गया है। ई-ग्राम स्वराज में विकास योजना के निर्माण से लेकर जियो-टैग की भी व्यवस्था की गई है। 100 फीसदी ऑनलाइन वाले जिलों में भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, धौलपुर, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालोर, झालावाड़, कोटा, नागौर, प्रतापगढ़, सवाई माधोपुर व सिरोही शामिल हैं। नव गठित जिलों की पंचायतों को इसमें मूल जिलों में ही दर्शाया गया है। वहां नई जिला परिषदों के गठन के बाद ही अलग से विकल्प उपलब्ध कराया जा सकेगा। हर जिले की एक-दो पंचायतों से ही बिगड़ रहा रिकॉर्ड केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार 18 जिलों में अधिकांश जिलों की एक–दो पंचायतों की वजह से 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल नहीं हो पाया है। बांसवाड़ा,भरतपुर, चूरू, झुंझुनूं, करौली, पाली, राजसमंद, सीकर जिलों में एक-एक पंचायतों ने अपने विकास प्लान ऑनलाइन नहीं किए। वहीं, अजमेर में दो, बारां, अलवर व जयपुर में तीन-तीन, श्रीगंगानगर, टोंक में चार-चार, जोधपुर, दौसा में नौ-नौ, बाड़मेर में आठ पंचायतें तो उदयपुर की सर्वाधिक 15 पंचायतों के डेवलपमेंट प्लान पोर्टल पर नहीं डाले जा रहे।