विश्व स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस, जोधपुर में जागरूकता का संदेश:मिथकों को तोड़ने की पहल; विशेषज्ञों ने सुनाई मरीजों की कहानियां

जोधपुर के डॉ. एस.एन. मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग एवं मथुरादास माथुर चिकित्सालय द्वारा विश्व स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। मनोविकार केन्द्र के सेमिनार हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में चिकित्सा विशेषज्ञों, विद्यार्थियों और आमजन ने हिस्सा लिया। इस वर्ष के कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्क्रिजोफ्रेनिया से जुड़े सामाजिक कलंक को दूर करना और रोगियों की वास्तविक कहानियों को सामने लाना था। 'Rethink the Label: Reclaim the Story' थीम के माध्यम से इस बीमारी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया गया। डॉ. एस.एन. मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक डॉ. बी.एस. जोधा ने कार्यक्रम में कहा-मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण है। मानसिक संतुलन से ही व्यक्ति प्रभावी और सार्थक जीवन जी सकता है। डॉ. जोधा ने बताया कि जोधपुर में न्यूरोसाइंस सेंटर प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है, जिससे मानसिक रोगियों को एक ही स्थान पर सभी उपचार सुविधाएं उपलब्ध होंगी। विश्व स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस: जोधपुर मेडिकल कॉलेज में विशेष कार्यक्रम का आयोजन
मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का दिया संदेश
जोधपुर के डॉ. एस.एन. मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग एवं मथुरादास माथुर चिकित्सालय द्वारा विश्व स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। मनोविकार केन्द्र के सेमिनार हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में चिकित्सा विशेषज्ञों, विद्यार्थियों और आमजन ने हिस्सा लिया। स्क्रिजोफ्रेनिया के बारे में विशेषज्ञों की राय
मनोविकार केन्द्र के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय गहलोत ने बताया कि स्क्रिजोफ्रेनिया एक ऐसी मानसिक बीमारी है, जो व्यक्ति के सोचने, समझने और व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित करती है। भारत में हर सौ में से एक व्यक्ति इस बीमारी से प्रभावित हो सकता है और वर्तमान में एक करोड़ से अधिक लोग इससे जूझ रहे हैं। बीमारी के कारण और लक्षण
डॉ. गहलोत ने स्पष्ट किया कि स्क्रिजोफ्रेनिया का कारण अंधविश्वास या जादू-टोना नहीं, बल्कि जैविक, आनुवांशिक और मनोवैज्ञानिक कारण हैं। रोगी को काल्पनिक आवाजें सुनाई देना, अजीब व्यवहार करना और समाज से कटना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। उपचार और परिवार की भूमिका
सहायक आचार्य डॉ. सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि स्क्रिजोफ्रेनिया के उपचार में दवाओं के साथ-साथ सामाजिक पुनर्वास और पारिवारिक सहयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने परिवारजनों से रोगी के प्रति धैर्य और सहानुभूति रखने का आग्रह किया। वैज्ञानिक उपचार का महत्व
कार्यक्रम में यह संदेश दिया गया कि स्क्रिजोफ्रेनिया का इलाज पूरी तरह संभव है। लोगों को झाड़-फूंक और अंधविश्वास से दूर रहकर समय पर विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। कार्यक्रम के समापन पर डॉ. श्रेयांस जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया।