वर्षा जल संरक्षण के लिए खेत तलाई बनवाने पर किसानों को मिलेगा 1.35 लाख तक का अनुदान

वर्षा जल संरक्षण के लिए खेत तलाई बनवाने पर किसानों को मिलेगा 1.35 लाख तक का अनुदान
भास्कर न्यूज | सवाई माधोपुर जिले में मौसम की अनिश्चितता, कभी ज्यादा बारिश तो कभी सूखा, किसानों के लिए चिंता का कारण बन रही है। भूजल स्तर भी लगातार गिर रहा है। इन हालातों से निपटने के लिए सरकार किसानों को खेत में तलाई (फार्म पौंड) बनवाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए अधिकतम 1 लाख 35 हजार रुपए तक का अनुदान दिया जा रहा है। किसान हर साल फार्म पौण्ड के लिए अनुदान ले सकता है। शर्त यह है कि नया पौण्ड पहले से बने पौण्ड की जमीन से अलग चक या खसरे में हो। एक ही जमीन पर दोबारा अनुदान नहीं मिलेगा। किसान के नाम पर कम से कम 0.3 हेक्टेयर कृषि भूमि होना जरूरी है। सह-खातेदारों के मामले में भी यही नियम लागू होगा। यदि किसान के नाम पर नामांतरण नहीं हुआ है, लेकिन भू-स्वामित्व उसके पक्ष में दर्ज है, तो वह भी पात्र माना जाएगा। फार्म पौण्ड की क्षमता कम से कम 400 घन मीटर और अधिकतम 1200 घन मीटर होनी चाहिए। गहराई 3 मीटर रखना अनिवार्य है। किसान अपनी जरूरत के अनुसार लंबाई-चौड़ाई तय कर सकता है। यदि कच्चे पौण्ड को पक्का करवाना हो, तो भी विभागीय नियमों के अनुसार सब्सिडी मिलेगी। आवेदन ऑनलाइन "राज किस साथी" पोर्टल पर किया जा सकता है। इसके लिए जनाधार कार्ड, छह माह से पुरानी नहीं हुई जमाबंदी की नकल, पटवारी से प्रमाणित ट्रेस नक्शा जैसे दस्तावेज अपलोड करने होंगे। कृषि विभाग निर्माण से पहले और बाद में मौका निरीक्षण करेगा। अनुदान की राशि सीधे किसान के बैंक खाते में जमा होगी। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, पर ड्रॉप मोर क्रॉप और मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना के तहत लघु, सीमांत और एससी-एसटी किसानों को कच्चे फार्म पौण्ड के लिए 1 लाख 5 हजार रुपए लागत का 70 फीसदी या अधिकतम 73,500 रुपए, जो भी कम हो, अनुदान मिलेगा। प्लास्टिक लाइनिंग वाले पौण्ड के लिए 1 लाख 50 हजार रुपए लागत का 90 फीसदी या अधिकतम 1 लाख 35 हजार रुपए, जो भी कम हो, मिलेगा। अन्य किसानों को कच्चे पौण्ड के लिए लागत का 60 फीसदी या अधिकतम 63 हजार रुपए, जो भी कम हो, और प्लास्टिक लाइनिंग वाले पौण्ड के लिए लागत का 80 फीसदी या अधिकतम 1 लाख 20 हजार रुपए, जो भी कम हो, अनुदान मिलेगा। किसान इससे सिंचाई की समस्या से राहत पा रहे हैं ^वर्षा जल संरक्षण के लिए खेत तलाई एक आदर्श तकनीक बन रही है। किसान इससे सिंचाई की समस्या से राहत पा रहे हैं। जिले में यह योजना वरदान साबित हो रही है। विजय कुमार जैन, सहायक कृषि अधिकारी