रात 1 बजे मैसेज आया, मुंह-का-छाला कैंसर हो सकता है!:स्टूडेंट्स रहे डॉक्टर ने मदद की, दोस्त महाकाल मन्नत मांग कर आया; पढ़िए लेक्चरर की कहानी

रात 1 बजे मैसेज आया, मुंह-का-छाला कैंसर हो सकता है!:स्टूडेंट्स रहे डॉक्टर ने मदद की, दोस्त महाकाल मन्नत मांग कर आया; पढ़िए लेक्चरर की कहानी
लेक्चरर के मुंह में छाला था, उन्होंने अपने ही पढ़ाए एक दन्त रोग विशेषज्ञ को इसके बारे में बताया तो उन्होंने बायोप्सी टेस्ट करा लेने की सलाह दी। जांच करवाई तो कैंसर निकला। इसके बाद जिंदगी बदल गई, लेकिन लेक्चरर ने हार नहीं मानी और कैंसर को हरा दिया। वे पिछले 7 सालों से स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। कैंसर के दौरान परिजनों ने बहुत हिम्मत दी, एक दोस्त तो महाकाल चला गया। वहां स्वस्थ होने की कामना की। कहानी है कैंसर को हराने वाले पाली के बांगड़ कॉलेज के बायोलॉजी लेक्चरर संजीव शर्मा की। 31 मई कैंसर दिवस पर पढ़िए उनके कैंसर से लड़ने की कहानी… पाली के सूरजपोल क्षेत्र में रहने वाले संजीव शर्मा बताते हैं- वे बांगड़ स्कूल में बायलॉजी के लेक्चरर हैं। जिंदगी अच्छी चल रही थी। पान मसाला खाने का कुछ शौक जरूर था। लेकिन, साल 2017 की शुरुआत में मुंह में छाला हो गया। जो ठीक नहीं हो रहा था। ऐसे में अपने पढ़ाए स्टूडेंट जो बांगड़ हॉस्पिटल में दंत विशेषज्ञ बन गए थे। डॉ. अनिरुद्ध शर्मा से जाकर चेक करवाया। आवश्यक जांचें पाली से ही करवाई। फिर रात 1 बजे उनका मैसेज आया। जिसमें लिखा सर कल स्कूल से छुट्‌टी ले लो और जोधपुर जाकर बायोप्सी टेस्ट जरूर करवाएं। मुझे आशंका है कि कहीं आपको कैंसर तो नहीं है। जोधपुर में कैंसर की पुष्टि हुई लेक्चरर संजीव शर्मा बताते है कि डॉक्टर की सलाह पर दूसरे ही दिन टेस्ट जयपुर के भगवान महावीर कैंसर अस्पताल में जांच करवाई। 9 नवम्बर 2017 रिपोर्ट आई। जिसमें थर्ड स्टेज का कैंसर होने की पुष्टि हुई। इसकी जानकारी होते ही एक बार तो सदमे में आ गया। सोचा मुझे कैंसर कैसे हो सकता है। परिवार के लोग भी सदमे आ गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अच्छे हॉस्पिटल से इलाज लेने का फैसला किया। वर्ष 2017 में हुआ ऑपरेशन डॉक्टर की सलाह पर ऑपरेशन करवाने का फैसला लिया। आखिर 23 नवम्बर 2017 को जयपुर के भगवान महावीर कैंसर अस्पताल में ऑपरेशन करवाया। उसके बाद 07 बार कीमोथेरेपी और 30 बार रेडिएशन करवाए। बीमारी के चलते स्कूल से 4 महीने तक दूर भी रहे। चेहरे का आकार ऑपरेशन के कारण बदल गया। लेकिन, ख़ुशी है कि कैंसर से ठीक हो गया। पत्नी और भाई-भाभी ने हिम्मत बढ़ाई संजीव शर्मा बताते हैं कि उन्हें हर आधे घंटे में तो कभी एक-एक घंटे बाद डाइट देनी होती थी। उस कठिन समय में पत्नी ज्योति पोरवाल ने पूरा साथ दिया। खुद से ज्यादा मेरी डाइट का ख्याल रखा और एक बार भी दवाइयों से लेकर डाइट को उसने मुझे मिस नहीं करने दिया। साथ ही भाई-भाभी रेखा-सुनील शर्मा का भी पूरा सहयोग रहा। उन्होंने इस दुख की घड़ी में मुझे कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि मैं अकेला हूं। उसकी बदौलत ही मैं आज स्वस्थ्य जीवन जी रहा हूं। दोस्त ठीक होने की दुआ करने महाकाल चला गया संजीव शर्मा ने बताया कि उनके एक दोस्त हैं रतनलाल बारूपाल। उन्हें जब पता चला कि उन्हें कैंसर हो गया है तो वे उनके स्वस्थ होने की कामना करने महाकाल चले गए। मेरे स्वस्थ होने की मन्नत मांगी। इसके साथ यह भी बोला कि वे स्वस्थ हो जाएंगे तो एक बार महाकाल लेकर जरूर आऊंगा। कैंसर से डरें नहीं डट कर मुकाबला करें व्याख्याता संजीव शर्मा कहते है कि कैंसर का नाम सुनते ही लोग डर जाते है। उनसे मैं कहूंगा कि भयभीत होने से कुछ नहीं होगा। कैंसर का डटकर मुकाबला करना होगा ताकि सही उपचार लेकर उस पर जीत दर्ज की जा सके। इसके साथ ही उन्होंने आत्मविश्वास रखें, धूम्रपान, तंबाकू सेवन नहीं करने की सलाह दी।