यूडीए की मिलीभगत:रजिस्ट्री होने से पहले ही प्लानिंग का आवेदन, तय सात दिन से पहले ही अफसरों ने अप्रूव भी कर दिया

उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) में 12 भूमाफियाओं के साथ मिलकर 530 करोड़ के घोटाले की जांच अभी जारी है। इस बीच यूडीए अफसरों और भूमाफियाओं की मिलीभगत का एक और मामला सामने आया है। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस भूमि की भूमाफियाओं के नाम पर रजिस्ट्री ही नहीं हुई, उसके लिए उन्होंने दो दिन पहले ही प्लानिंग का आवेदन कर दिया। इसका अनुमोदन भी आपत्ति मांगने के बाद 7 दिन में होना था, लेकिन यूडीए अफसरों ने 5 दिन में ही इसे अप्रूव कर दिया। हैरानी की बात यह है कि प्लानिंग अप्रूव होने के बाद संशोधित आम सूचना प्रकाशित कराई गई। मामला गोवर्धन विलास में शिकारबाड़ी स्थित 6.124 हेक्टेयर की चार जमीनों से जुड़ा है। ये जमीनें आराजी संख्या 1106/121, 123, 125 से 130, 1098/132, 1099/132, 1100/132, 1101/132, 133 की हैं। इन्हें शांतिलाल मारू, पीयूष मारू और चिराग मारू ने पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ से खरीदा था। नियम तोड़े...प्लान में सुविधाओं के लिए जमीन नहीं छोड़ी समिति ने भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए सभी नियम-कायदे ताक में रख दिए। चारों जमीनें राजस्व रिकॉर्ड में गैर मुमकिन आबादी में दर्ज थी। इसे लेकर आम सूचना में संशोधन किया गया। उसे 20 सितंबर को समाचार पत्र में प्रकाशित कराया, जबकि एक दिन पहले प्लान ही अप्रूव हो गए थे। प्लान में अन्य खातेदारों से मंजूरी लिए बिना उनकी जमीनों पर सड़क दिखा दी। 2-2 हेक्टेयर से कम जमीनों के प्लान अप्रूव किए, जबकि टाउनशिप पॉलिसी के अनुसार इससे ज्यादा की जमीन पर ही अप्रूव किए जा सकते हैं। सार्वजनिक सुविधाओं के लिए भी जमीन नहीं छोड़ी। अफसर यह कर चुके रूपनगर, नला फला व वाड़ा ढीकली में भूमाफियाओं को नियम विरुद्ध जमीनें दीं। 530 करोड़ की राजस्व हानि। दो पूर्व सचिव व उप नगर नियोजक निलंबित। विशेषाधिकारी को 16 सीसीए का नोटिस। गड़बड़ी ऐसे...राजस्व रिकॉर्ड में भी नहीं चढ़ी थी जमीनें चारों जमीनों की रजिस्ट्री 16 सितंबर 2023 को हुई, लेकिन इससे पहले ही भूमाफियाओं ने लेआउट प्लान समिति में प्लानिंग के लिए आवेदन कर दिया। चार प्लानों में सैकड़ों प्लॉट काटने प्रस्तावित थे। इसके लिए 16 सितंबर को समाचार पत्र में आम सूचना प्रकाशित करवाई गई और आपत्ति मांगी गई। तहसीलदार गिर्वा को भी जमीनें यूडीए के नाम दर्ज करने पत्र लिखा। आपत्ति पेश करने के 7 दिन भी नहीं हुए। इसके बावजूद लेआउट प्लान समिति ने 19 सितंबर को चारों प्लान अप्रूव कर दिए। इस दिन तक भी जमीन राजस्व रिकॉर्ड में तीनों के नाम दर्ज नहीं थी। मुसीबत में... 244 प्लॉट मालिक, दस्तावेज मांगे घोटाले का खुलासा भी तब हुआ, जब कपिल जैन नाम के किसी व्यक्ति ने शिकायत की। इसके बाद यूडीए ने जांच कराई तो माना कि प्लान अनुमोदन में नियमों की पालना नहीं की गई। आवेदनकर्ताओं ने तोड़-मरोड़ कर तथ्य पेश किए और अधिकारियों के साथ साजिश रचकर प्लान अप्रूव करवाए और पट्टे जारी करवा लिए। भूफियाओं ने कुछ जमीन खुद रखी है, जबकि कुछ परिजनों के नाम भी है। बाकी प्लॉट काटकर बेच दी है। अब यूडीए ने इन भूमियों पर काटी गई प्लानिंग में प्लॉट लेने वाले 244 लोगों को नोटिस दिए हैं। इनसे 13 जून तक जमीन के मूल दस्तावेज पेश करने को कहा है। ऐसा नहीं करने पर इनके पट्टे निरस्त करने की कार्रवाई होगी।