बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बोले- गुर्जर आंदोलन उग्र होना प्रायोजित था:3 दिन पहले गहलोत-पायलट मिले थे, यदि उनके मिलने से ऐसा हुआ है तो दुर्भाग्यपूर्ण है

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बोले- गुर्जर आंदोलन उग्र होना प्रायोजित था:3 दिन पहले गहलोत-पायलट मिले थे, यदि उनके मिलने से ऐसा हुआ है तो दुर्भाग्यपूर्ण है
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने गुर्जर आंदोलन के उग्र होने को प्रायोजित बताया। उन्होंने कहा- यह आंदोलन हमारे समय में ही उग्र क्यों होता है। पहली बार जब वसुंधरा राजे का शासन था, तब आंदोलन उग्र हुआ। कांग्रेस के समय में शांत बैठे रहे। राठौड़ ने कहा- फिर राजे सरकार आई तो चालू हो गया। कांग्रेस का शासन आया तो फिर चुप रहे। अभी फिर से हमारी सरकार आई है तो फिर से चालू हो गया है। तीन दिन पहले सचिन पायलट और अशोक गहलोत मिले थे। पता नहीं उनकी क्या रणनीति तय हुई। यदि यह उसी का परिणाम है तो ठीक बात नहीं है। मदन राठौड़ ने कहा- मैं यदि शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। मैं फिर से साफ कह रहा हूं, यदि इन दोनों के मिलने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है तो दुर्भाग्यपूर्ण है। मदन राठौड़ सोमवार को जयपुर बीजेपी ऑफिस में मीडिया से बात कर रहे थे। पायलट को अपने भाइयों से प्रार्थना करनी चाहिए थी मदन राठौड़ ने कहा- कल अप्रिय घटना हो सकती थी। कांग्रेस नेताओं को भी अपने भाइयों से प्रार्थना करनी चाहिए थी। सचिन पायलट को प्रार्थना करनी चाहिए थी कि ऐसा कोई भी काम मत करो। रेल रोकने जैसा काम मत करो। लेकिन उन्होंने कोई स्टेटमेंट नहीं दिया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा- विजय बैंसला शांतिपूर्वक समझौता करके वहां से निकल गए थे। उनके निकलने के बाद रेल रोकने की घटना हुई। यह ठीक बात नहीं है। मैं फिर से निवेदन करूंगा कि मांग करने का सभी को अधिकार है, लेकिन उचित माध्यम से अपनी मांग रखनी चाहिए। आम नागरिक को परेशान करने का काम नहीं करें। किसी ने आंदोलन को उग्र करने की कोशिश की है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। डोटासरा अपनी विधानसभा में भी प्रत्याशी नहीं जीता पाए बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने कहा- प्रदेश में नगर निकायों और पंचायतीराज संस्थाओं के उपचुनावों में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिली है। पार्टी ने 36 में से 28 सीटें जीती है। उन्होंने कहा- नगर निकाय चुनावों में लक्ष्मणगढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी की करारी हार इस बात का सबूत है कि जनता कांग्रेस के झूठ और ढकोसले को अब बर्दाश्त नहीं करेगी। डोटासरा अपनी ही सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार को जिताने में नाकाम रहे, जो कांग्रेस नेतृत्व की जमीनी हकीकत को उजागर करता है।