प्रदेश में एक चौथाई सड़कें ही चलने योग्य:5037 सड़कों की जांच में खुलासा; धौलपुर की 50% सड़कें खराब, भीलवाड़ा की सबसे अच्छी

पीडब्लूडी की डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड (डीएलपी) की 5037 सड़कों के 23701 किमी की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। प्रदेश में 28 प्रतिशत यानी एक चौथाई सड़कें ही मोटरेबल यानी चलने लायक हैं जबकि 10 प्रतिशत की खस्ता हालत विचारणीय है। 45 प्रतिशत की स्थिति मध्यम और 18 प्रतिशत में सुधार की जरूरत है। प्रदेश में 23701 किमी लंबाई की सड़कों की गुणवत्ता जांच में 5037 में से 1421 सड़कें उत्तम श्रेणी की पाई गई। 2234 मध्यम और 896 सड़कें ऐसी हैं जिनमें सुधार की जरूरत है, जबकि 486 की हालत दयनीय है। कोटा, सवाई माधोपुर, करौली, पाली, दौसा, चूरू और हनुमानगढ़ में विचारणीय सड़कें ज्यादा हैं। 33 जिलों की सड़कों की जांच में पता चला कि धौलपुर जिले की 50 प्रतिशत सड़कें खराब हैं। मुख्यमंत्री के गृह जिला भरतपुर में 10 प्रतिशत सड़कें विचारणीय हैं। 28 प्रतिशत में सुधार की जरूरत है। अजमेर में 8 प्रतिशत सड़कों में सुधार की जरूरत है 8.10 प्रतिशत विचारणीय हैं। 45 प्रतिशत मध्यम हैं जबकि डीएलपी की 38 प्रतिशत सड़कें ही उत्तम हैं। वहीं भीलवाड़ा की सड़कें सबसे अच्छी पाई गई हैं। पीडब्लूडी और पॉलिटेक्निक छात्रों के समन्वय में की गुणवत्ता जांच राज्य की सड़कों की गुणवत्ता जांचने के लिए पीडब्लूडी और पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों के समन्वय में 30 मार्च 2025 को श्रीगंगानगर से अभियान शुरू किया। इस दौरान सवा दो महीने में ही डीएलपी सड़कों के गुणवत्ता निरीक्षण के लिए 151 खंड कार्यालय के कर्मचारियों ने अधिकतम टेस्टिंग के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया। निरीक्षण निर्माण विभाग के गुणवत्ता नियंत्रण के मुख्य अभियंता जसवंत लाल खत्री के नेतृत्व में हुआ। जिलेवार सड़कों की स्थिति जैसलमेर में 424.04 किमी की 42 सड़कों का निरीक्षण किया गया जिसमें से 28 उत्तम पाई गई। 12 मध्यम एवं 1 सड़क ऐसी पाई गई जहां सुधार की आवश्यकता है, 2 सड़कें विचारणीय पाई गई। बाड़मेर जिले में 600.36 किमी की 69 सड़कों के निरीक्षण में 58 उत्तम 7 मध्य एवं 2-2 सड़कें विचारणीय हैं। राजसमंद में 332.78 किमी की 50 सड़कों में से 27 उत्तम, 16 मध्यम, 6 में सुधार की आवश्यकता एवं । सड़क विचारणीय पाई गई। उदयपुर में 623.55 किमी लंबाई की 95 सड़कों की जांच की गई जिसमें 75 उत्तम, 19 मध्यम एवं 1 सड़क विचारणीय पाई गई। भीलवाड़ा जिले में 311.17 किमी की 51 सड़कों की गुणवत्ता की जांच में 46 उत्तम और 5 सड़कें मध्य पाई गई। इन जिलों में सड़कें की हालत ज्यादा खराब कोटा शहर में 671.33 किलोमीटर लंबाई की कुल 251 सड़कों का निरीक्षण किया गया। 52 सड़कें ऐसी पाई गई जहां की स्थिति दयनीय है। वहीं 106 सड़कें मध्यम प्रकार की एवं केवल 33 सड़कें ही उत्तम पाई गई। सवाई माधोपुर में 774.03 किमी की 143 सड़कों में से 16 सड़क दायनीय, 38 में सुधार की गुंजाइश पाई गई। 74 मध्यम प्रकार की और केवल 15 सड़कें उत्तम पाई गई। करौली में 659.52 किमी की 120 सड़कों में से केवल 6 ही उत्तम पाई गई जबकि 66 की क्वालिटी मध्य, 30 की सुधार की जरूरत एवं 18 की स्थिति दयनीय पाई गई। पाली जिले में 1049 किमी की 231 सड़कों का निरीक्षण किया गया। 62 दयनीय स्थिति में पाई गई तो वहीं 52 सड़कों में सुधार की आवश्यकता जताई गई। 486 सड़कों की स्थिति दयनीय जोधपुर जिले में 62, पाली में 52, कोटा में 1818, अलवर एवं करौली में 16-16, सवाई माधोपुर में 13, चूरू में 21 हनुमानगढ़ 29, झुंझुनूं में 12, नागौर में 10 और अजमेर में 20 सड़कें विचारणीय पाई गई। राज्य में कुल 1421 सड़कों की स्थिति उत्तम है। सर्वाधिक 233 सड़कें जोधपुर में, 131 नागौर, 85, अलवर 58, उदयपुर 75, प्रतापगढ़ 22, भीलवाड़ा 46, अजमेर 96 सड़कों की स्थिति उत्तम है। राजधानी में भी स्थिति अच्छी नहीं जयपुर में 1168.29 किलोमीटर लंबाई की कुल 259 सड़कों की जांच की गई। इनमें 65 सड़कें उत्तम, 143 मध्यम एवं 25 सड़कें विचारणीय पाई गई। 36 सड़कें ऐसी पाई गई कि जहां पर सुधार की आवश्यकता है। अजमेर जिले में कुल 881.96 किलोमीटर की 247 सड़कों की जांच की गई उनमें से 20 सड़कें विचारणीय 20 में सुधार की जरूरत है तथा 111 की स्थिति मध्यम व 96 सड़कों की स्थिति उत्तम है। (रिपोर्ट-भूपेन्द्र सिंह)