पारा 47 डिग्री; पीएचसी का जनरेटर खराब, लाइट कट लगते देख सर्जन बोले- ऑपरेशन कैसे होंगे...6 घंटे देरी से शुरू

भास्कर संवाददाता | श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर दूर गांव ख्यालीवाला के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गुरुवार को नशबंदी शिविर अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया। तापमान 47 डिग्री से ऊपर होने के बावजूद यहां मरीजों और उनके साथ आए परिजनों के लिए बचाव के इंतजाम नाकाफी थे। मरीजों को सुबह साढ़े 8 बजे ही बुला लिया गया जबकि ऑपरेशन दोपहर डेढ़ बजे के करीब शुरू किए गए। ट्रांसफार्मर खराब होने से बिजली के बार-बार कट लग रहे थे। ऐसे में ऑपरेशन करने वाले सर्जन पीएचसी पहुंचे तो हालात देखकर उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। पीएचसी इंचार्ज से बोले-ऐसे हालात में ऑपरेशन कैसे होंगे। इतनी भयंकर गर्मी में मरीज को कुछ हो गया तो जिम्मेदारी किसकी होगी। बिजली के बार-बार कट लग रहे हैं, आपने जनरेटर का इंतजाम क्यों नहीं किया? सर्जन के ऑपरेशन से इंकार करने पर पीएचसी स्टाफ के हाथ पांव फूल गए। आनन-फानन में गांव से जनरेटर मंगवाकर शुरू किया गया। इसके बाद ऑपरेशन किए गए। यहां 25 महिलाओं को नशबंदी ऑपरेशन के लिए बुलाया था। इनके साथ इतने ही परिजन आए हुए थे। आखिरकार साढ़े तीन बजे सभी ऑपरेशन हो पाए। इनमें से दो महिलाओं के पेट पर कट तो लगाया लेकिन नस नहीं मिल पाने के कारण नसबंदी नहीं हो पाई। इनको चार माह बाद जिला अस्पताल में ऑपरेशन करवाने की सलाह दी गई। ^ हमने ऑपरेशन शुरू होने से पहले हमारे अस्पताल के जनरेटर को चलाकर चेक भी किया था। लेकिन जैसे ही ट्रांसफार्मर में दिक्कत के कारण कट लगने लगे तो हमारा जनरेटर भी नहीं चल पाया। इसके बाद हमने सरपंच से बोलकर करीब डेढ़ बजे जनरेटर बाहर से मंगवाकर शुरू करवा दिया था। इसके बाद ऑपरेशन हुए हैं। हमने हमारी तरफ से सभी व्यवस्थाएं अच्छी की थीं। -डॉ अंशुल धींगड़ा, इंचार्ज पीएचसी ख्यालीवाला। ^ मैं जब पीएचसी पहुंचा तो उनके जनरेटर में फॉल्ट आ गया था। ओटी शुरू करने से पहले हर सर्जन की ड्यूटी होती है कि वह बिजली, उपकरण, सर्जरी स्टाफ, मरीज आदि सभी चीजें चेक करें। जनरेटर के बिना तो ऑपरेशन होना संभव ही नहीं था। मेरे कहने पर पीएचसी प्रभारी ने बाहर से जनरेटर मंगवा लिया था। इसके बाद शिविर में ऑपरेशन शुरू किए गए। इसके अलावा अन्य व्यवस्थाओं के बारे में मुझे पता नहीं। -डॉ विनित न्यौल, सर्जन, जिला अस्पताल। श्रीगंगानगर। ख्यालीवाला स्वास्थय केंद्र पर नसबंदी शिविर के दौरान केंद्र पर बिजली नहीं होने पर गर्मी में बैठी महिलाएं । ^आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाए जाने के बाद मैने पीएचसी प्रभारी से जानकारी ली है। जैसा आप बता रहे हैं, वैसी कोई बात नहीं थी। जनरेटर की तार जल जाने के कारण कुछ समय के लिए बिजली बाधित हुई थी। कूलर और टेंट की व्यवस्था की हुई थी। किसी मरीज को कोई दिक्कत नहीं आई। डॉ. अजय सिंगला, सीएमएचओ,श्रीगंगानगर क्यूआर कोड स्कैन कर 13 एलएनपी ख्यालीवाला पीएचसी में नसबंदी शिविर के दौरान महिलाओं को हुई परेशानी का वीडियो देख सकते हैं। 1. पीएचसी में तीन कूलर बाहर से मंगवाए गए थे। इनमें से दो कूलर अस्पताल की गैलरी में लगाए गए। यहां मरीजों को बैठाया गया। एक कूलर बाहर परिजनों के लिए अलग से टेंट में लगाया गया। इनमें सुबह एक बार पानी भरा गया। यह दो घंटे बाद ही खत्म हो गया। इसके बाद दोबारा पानी भरना ही भूल गए। कूलर भी गर्मी में गर्म हवा ही फेंकते रहे। अंदर बाहर मरीज और परिजन फाइल को ही हाथ पंखा बनाकर गर्मी से बचने को हवा लेते रहे। 2. पीएचसी की गैलरी में दरियां बिछाकर गद्दे लगाए गए थे। इतनी भयंकर गर्मी में जमीन का तापमान भी बढ़ा हुआ था। ऊपर से मरीजों को सुबह 8:30 बजे बुला लिया गया। जबकि ऑपरेशन दोपहर 1:30 बजे के बाद शुरू किए गए। लगभग 5 घंटे तक मरीजों और परिजनों ने ऑपरेशन शुरू होने का गद्दों पर ही इंतजार किया। ऊपर से कूलर गर्म हवा फेंक रहे थे। बाहर खुल्ले में 47 डिग्री तापमान था तो अंदर कमरों में भी 40 डिग्री से कम नहीं था। 3. पीएचसी परिसर में ही खुले आसमान के नीचे 15 गुणा 15 फीट का टेंट लगाया गया था। इसमें जमीन पर ही दरियां बिछाई गईं और एक कूलर लगाया हुआ था। इस टेंट में मरीजों के साथ आए परिजन, वाहनों के चालक आदि लोग बैठकर ऑपरेशन होने और मरीज को वापस घर ले जाने का इंतजार करते रहे। पीएचसी के निकट ही ट्रांसफार्मर खराब था। इस कारण बार-बार कट लग रहे थे। ऑपरेशन शुरू करने से पहले डेढ़ बजे जनरेटर मंगवाया गया।