झोपड़ी में एक बल्ब की रोशनी में पढ़ाई की:पेट भर रोटी भी नहीं मिलती, मजदूर मां बोली- मेरा बेटा रात 12 बजे तक पढ़ता था

ईंटों से बनी छोटी सी कच्ची झोपड़ी। खाने को केवल 250 ग्राम आटा और रोशनी के नाम केवल एक बल्व लगा हुआ। गरीबी इतनी कि 10 रुपए की चॉकलेट तक नहीं खा पाए। कभी पेट भर खाना मिलता और कभी नहीं। इसके बाद भी 14 साल के जतिन ने 95.33 प्रतिशत अंक के साथ 10वीं की परीक्षा पास की है। जतिन ने अपने अभावों को ही अपनी ताकत बना लिया। भास्कर ने अलवर में बख्तल की चौकी के पास स्थित उसके घर (झोपड़ी) में जाकर बात की। तब पता चला कि उसके पिता शराब के आदी है। इस कारण मां उसे लेकर अलग रहती है। मजदूर मां अपने बेटे को पाल-पोसकर बड़ा कर रही है। उसे डॉक्टर बनता देखना चाहती है। दसवीं बोर्ड के होनहारों के संघर्ष में आज अलवर के जतिन की कहानी को पढ़िए... जतिन का डॉक्टर बनने का सपना
सूर्य नगर स्थित सक्सेस एकेडमी में पढ़ने वाले जतिन कुमार अटक-अटक कर बोलता है। वह पूरी तरह सही नहीं बोल पाता है लेकिन दिमाग बहुत तेज है। उसका केवल पढ़ाई पर फोकस है। जतिन का कहना है कि वह बाहर घूमने नहीं जाता है। बड़ा होकर डॉक्टर बनना है। उसकी मां का भी डॉक्टर बनाने का सपना है। एग्जाम देने के बाद उसे पूरी उम्मीद हो गई थी कि रिजल्ट अच्छा आएगा। वैसा ही हुआ। सब खुश हैं। मां मंजू देवी को बेलदारी करते हुए बुलाया - बोली बेटा ही सबकुछ बच्चे की मंजू देवी ने कहा- रिजल्ट वाले दिन काम पर गई थी लेकिन मन नहीं लग रहा था। उसका रिजल्ट आया, तब घर आई। उन्होंने बताया- हम मां-बेटा इसी झोपड़ी में गुजारा करते हैं। बेटे ने कभी 10 रुपए की चॉकलेट भी नहीं खाई। न 10 रुपए खर्च किए। 2 से 5 रुपए कभी मिले तो उसका प्रसाद ही लेकर आ जाता है। वह 6 साल की उम्र से मंगलवार का व्रत रखता है। मंदिर में जाकर प्रसाद चढ़ाता है। पति ने कभी सहयोग नहीं किया। बेटा घर के काम भी करता है। वह काम से थक हारकर आती और जल्दी सो जाती हूं। बेटा पढ़ता रात 12 बजते तक पढ़ता रहता था। मामा पड़ोस में रहते
जतिन की मामी का घर सामने है। मामी गुड्डी देवी ने कहा- जतिन पढ़ाई में अच्छा है। वह कभी किसी चीज के लिए जिद नहीं करता। मामा घमंडीराम का कहना है कि हमारी तो मिट्टी के दीपक बनाने का काम है। जतिन कुमार के पिता शराब पीते हैं। अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं। इस कारण जतिन और उसकी मां अलवर में उनके पास सामने झोपड़ी में रहने लग गए। स्कूल ने फीस नहीं ली
जतिन के टीचर का कहना है कि जतिन क्लास में भी सवाल करता था। टेस्ट में उसकी कॉपी देखने पर आभास हो गया था कि रजिल्ट में अच्छे नंबर लेकर आएगा। हमने उसका पूरा सहयोग किया। स्कूल की तरफ से उसकी फीस नहीं ली गई। आगे भी उसका सहयोग करेंगे। राजस्थान बोर्ड 10th के रिजल्ट से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें- एग्जाम से पहले सीने में गांठ, यूट्यूब से नोट्स बनाए:बेटी के नंबर देख रोने लगे पिता; पेट्रोल पंप के कर्मचारी की बेटी लाई 98.33% बेटियों ने परेशानी, अभाव, बीमारी... सबको पछाड़ते हुए लक्ष्य हासिल किया। बुधवार को राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (RBSE) ने 10वीं का रिजल्ट जारी किया तो एक बार फिर लड़कियों का दबदबा दिखा। (पढ़ें पूरी खबर) 10वीं में आसान पेपर पैटर्न से बढ़ा रिजल्ट प्रतिशत:स्टूडेंट्स ने ऑनलाइन स्टडी भी की, शिक्षकों ने अपनाया नया टीचिंग मैथड राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) की 10वीं कक्षा का रिजल्ट इस बार पिछले साल की तुलना में बेहतर रहा है। 2024 में जहां पास प्रतिशत 93.03% था, वह इस साल बढ़कर 93.6% हो गया है। कुल बढ़ोतरी 0.57% रही है। पूरी खबर पढ़िए राजस्थान बोर्ड 10वीं का रिजल्ट पिछले साल से ज्यादा रहा:कारपेंटर की बेटी के 99.67% और किसान के बेटे के आए 99.17% नंबर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) ने बुधवार को 10वीं का रिजल्ट घोषित कर दिया। परिणाम 93.6 प्रतिशत रहा। रिजल्ट में इस बार भी लड़कियों ने बाजी मारी। छात्रों का रिजल्ट 93.16% जबकि छात्राओं का 94.08% रहा। पूरी खबर पढ़िए