कानून के लंबे ‘मददगार’ हाथ:देश में पहली बार पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस सिंड्रोम के पीड़ितों का पुनर्वास करवा रही जयपुर कमिश्नरेट पुलिस

कानून के लंबे हाथ अब दोषियों को सजा दिलाने से आगे ‘मददगार’ भी बन रहे हैं। जयपुर कमिश्नरेट की वेस्ट पुलिस अब दुष्कर्म, हत्या और आत्महत्या जैसी वारदात के पीड़ितों और उनके परिवारों को मदद दिलवाने की पहल कर रही है। पुलिस का दावा है कि देश में पहली बार वारदात के बाद ‘पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस सिंड्रोम’ (एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति जो जघन्य घटना के बाद बढ़ती जाती है) पीड़ितों का पुनर्वास किया जा रहा है। पुलिस की अपील पर राजस्थान के व्यापारी समूह फोर्टी और अन्य व्यवसायियों ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। इन्होंने डेढ़ साल में वेस्ट जिले में रेप ट्रॉमा सिंड्रोम और सुसाइड ट्रॉमा सिंड्रोम सहित 7 गंभीर घटनाओं के 17 पीड़ितों को मदद दी है। इसमें बीमार पीड़ितों की दवाई, बच्चों की पढ़ाई, परिवार को रोजगार-स्किल डवलपमेंट के साथ एफडी और आर्थिक सहायता के रूप में मासिक/वार्षिक 1.25 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। व्यापारियों ने हाथ बढ़ाया; पीड़ितों की दवाई, बच्चों की पढ़ाई, परिवार के स्किल डवलपमेंट और नकदी के रूप में 1.25 करोड़ की मदद करेंगे 2016 में सवाई माधोपुर में 7 साल की मासूम से दुष्कर्म
दुष्कर्मी को 20 साल कैद। कथित महिला सामाजिक कार्यकर्ता मां-पिता से बच्ची को जयपुर लाई। मजदूरी करवाई। पुलिस ने महिला को गिरफ्तार किया। व्यवसायी पीडी गोयल ने अग्रवाल कॉलेज में बच्ची के स्किल डवलपमेंट के साथ 2 लाख की एफडी (25 वर्ष की) करवाई। तब तक 5 हजार रु./माह सहायता देंगे। स्किल ट्रेनिंग पूरी होने पर रोजगार भी देंगे। पिता ने दिए जख्म तो खाकी वाले ही अभिभावक बन गए
11 साल की मासूम से पिता ने दुष्कर्म किया। पिता गिरफ्तार हुआ तो मां–बेटी दोनों बेसहारा हो गईं। इनके पुनर्वास के लिए व्यापारी सुरजाराम मील आगे आए। नजदीकी स्कूल में एडमिशन दिलाया। पूरी फीस के अलावा शिक्षा सामग्री के लिए अगले 10 साल तक 20 हजार रुपए प्रतिवर्ष और मां को स्वरोजगार के लिए 2.5 लाख रुपए देने की घोषणा भी की। मां-पिता में अनबन हुई तो बुआ ने मासूम बच्ची को बेचा
मुरलीपुरा में मां-पिता की अनबन में मासूम को बुआ अपने पास ले आई और 11 साल की उम्र में बेच दिया। 13 साल की उम्र में मासूम के दो बच्चे हो गए। डीएनए में ससुर ही पिता निकला। व्यवसायी जुगल किशोर डेरेवाला ने पीड़िता के आत्मनिर्भर होने तक 7 हजार रुपए प्रतिमाह आर्थिक मदद के साथ-साथ दोनों बच्चों की पूरी शिक्षा की जिम्मेदारी ली है। पीड़ितों की मदद करेंगे
"भामाशाहों ने पीड़ितों का दर्द समझा। मदद के लिए आगे आए। इनका आभार।"
-अमित कुमार, डीसीपी, वेस्ट जो बन सकेगा, करेंगे
"जयपुर पुलिस की पहल में हम हरसंभव मदद करेंगे। हमारे व्यापारी सदस्य ऐसे पीड़ित परिवारों के पुनर्वास के लिए तैयार हैं और आगे भी रहेंगे।"
-सुरेश अग्रवाल, अध्यक्ष फोर्टी भांकरोटा अग्निकांड में मृतकों के परिजनों की आर्थिक मदद करवा चुकी है पुलिस। मृतकों या घायलों के बच्चों और भाई-बहनों के लिए फ्री कोचिंग की व्यवस्था करवाई है।