इलेक्ट्रिफिकेशन का असर; 1 साल में 18 करोड़ किलो कार्बन डाइऑक्साइड कम बनी, 721 करोड़ राजस्व बचा

रेलवे द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए देशभर में डीजल इंजन से ट्रेनों का संचालन लगातार कम कर रहा है। रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार रेलवे द्वारा देशभर में अभी तक 60 फीसदी से अधिक ट्रैक पर बिजली के तार यानी इलेक्ट्रिफिकेशन किया गया है। इससे देश में रेलवे हर साल करीब 12 करोड़ लीटर से अधिक डीजल की बचत कर रहा है। वहीं करीब 32 करोड़ किलो से अधिक कार्बनडाइऑक्साइड कम उत्सर्जित हो रही है। उधर, पिछले दस साल में रेलवे ने राजस्थान में फैले कुल 5613 किलोमीटर ट्रैक में से 5466 किमी ट्रैक पर बिजली के तार यानी इलेक्ट्रिफिकेशन किया जा चुका है, जो कुल का प्रदेश में 97.40% है। रेलवे के सीपीआरओ शशि किरण ने पिछले साल 72 लाख लीटर डीजल की खपत कम हुई है। इससे एक तरफ जहां 18 करोड़ किलो कार्बनडाइऑक्साइड कम उत्सर्जित हुई है। वहीं दूसरी तरफ ₹721 करोड़ का राजस्व भी बचा है। इसी प्रकार उत्तर पश्चिम रेलवे में 199 जोड़ी ट्रेनों का संचालन इलेक्ट्रिक इंजन से किया जा रहा है। जिसमें 79 जोडी उत्तर पश्चिम रेलवे की हैं, जबकि 120 जोड़ी ट्रेनें अन्य रेलवे की हैं, जो उत्तर पश्चिम रेलवे से गुजरती हैं। गौरतलब है कि उत्तर पश्चिम रेलवे के पास कुल 164 इलेक्ट्रिक और 286 डीजल लोकोमोटिव यानी इंजन हैं। रोडवेज में भी इस साल 300 इलेक्ट्रिक बसें शामिल की जाएंगी उधर, राजस्थान रोडवेज द्वारा प्रदेश में रोजाना 12.5 लाख किलोमीटर रूट पर बसों का संचालन किया जाता है। रोडवेज एमडी पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि इस साल के अंत तक रोडवेज में 300 इलेक्ट्रिक बस शामिल होंगी। वहीं वर्ष 2024 में बीएस-VI श्रेणी की 510 बस खरीदी गई हैं। जो पर्यावरण प्रदूषण कम करती हैं। वहीं इस साल के अंत तक 500 बसें और खरीदी जाएंगी।