5 करोड़ की योजना पर लगा ब्रेक, यात्री परेशान:झुंझुनूं बस स्टैंड का डेढ़ साल बाद भी अधूरा प्रोजेक्ट, धूप-बारिश में खड़े होने को मजबूर यात्री

5 करोड़ की योजना पर लगा ब्रेक, यात्री परेशान:झुंझुनूं बस स्टैंड का डेढ़ साल बाद भी अधूरा प्रोजेक्ट, धूप-बारिश में खड़े होने को मजबूर यात्री
झुंझुनूं रोडवेज बस स्टैंड के आधुनिकीकरण का सपना अभी भी अधूरा है। अगस्त 2023 में 5 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुआ यह कार्य एक साल में पूरा होना था। योजना के तहत बस स्टैंड को नई सुविधाओं से लैस कर यात्रियों को बेहतर सेवाएं देने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन जून 2025 में भी बस स्टैंड की तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है। यहां अधूरी दीवारें, बिखरा मलबा, टपकते शेड और मुख्य गेट के बाहर मिट्टी का अंबार यात्रियों का स्वागत कर रहा है। धूप और बारिश से बचने की जगह यात्रियों को इन समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। यात्रियों को उम्मीद थी कि नए साल में उन्हें एक आधुनिक बस स्टैंड की सौगात मिलेगी, लेकिन अधूरे निर्माण कार्य ने उनकी परेशानियां और बढ़ा दी हैं। अब यात्री जल्द से जल्द इस कार्य को पूरा करने की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें बेहतर यात्रा सुविधाएं मिल सकें। अब देखिए, बस स्टैंड से जुड़ी PHOTOS... झुंझुनूं बस स्टैंड: कागजों में दफन 5 करोड़ का सपना उम्मीदों का सफर अधूरा, यात्री परेशान: 2023 की गर्मियों में शुरू हुई इस महत्वाकांक्षी परियोजना में एसी वेटिंग हॉल, शानदार प्रवेश द्वार, मॉड्यूलर शौचालय, एलईडी टिकट विंडो, नई दुकानें, पूछताछ केंद्र और बेहतर पार्किंग जैसी आधुनिक सुविधाओं का वादा किया गया था। लेकिन एक साल नौ महीने बाद भी ये सारी सुविधाएं महज सपना बनकर रह गई हैं। ठेकेदार का दावा: न जगह मिली, न पैसा: परियोजना में देरी का कारण जानने पर ठेकेदार ने बताया कि शुरुआत में रोडवेज प्रशासन ने गेट बनाने के लिए जगह ही नहीं दी। अब तक मात्र 50 लाख रुपए मिले हैं, जबकि 1.5 करोड़ का काम पूरा किया जा चुका है। फंडिंग रुकने और जगह न मिलने से काम पूरी तरह ठप पड़ा है। यात्रियों की जुबानी: रोज की परेशानी बस स्टैंड पर यात्रियों को बदहाल रास्ते, फैला मलबा और अधूरे प्रवेश द्वार का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय यात्री बाबूलाल, कृष्ण और बजरंग लाल ने पीने के पानी की व्यवस्था न होने और कीचड़ भरे रास्तों की समस्या को लेकर अपनी नाराजगी जताई है। प्रशासनिक उदासीनता का खेल: हजारों यात्रियों की दैनिक आवाजाही वाले इस सार्वजनिक सेवा केंद्र की बदहाल स्थिति कई सवाल खड़े करती है। क्या सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं? क्या विकास का मतलब सिर्फ बजट स्वीकृति तक है? जिम्मेदारों के पास नहीं जवाब: कार्यवाहक चीफ मैनेजर बद्री प्रसाद का जवाब और भी चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा, "मुझे कार्यवाहक पद मिले 2 दिन ही हुए हैं। इस प्रोजेक्ट की जानकारी मुझे नहीं है। नया चीफ मैनेजर आने के बाद ही स्थिति साफ होगी।"