44 ब्राह्मण बटुकों का करवाया यज्ञोपवीत संस्कार, अभिजीत मुहूर्त में धारण किए जनेऊ

44 ब्राह्मण बटुकों का करवाया यज्ञोपवीत संस्कार, अभिजीत मुहूर्त में धारण किए जनेऊ
गंगा दशमी पर्व पर गुरुवार को रामगंज चौपड़ स्थित मुरली मनोहर मंदिर में यज्ञोपवीत संस्कार महोत्सव मनाया गया। इस दौरान 44 ब्राह्मण बटुकों का निशुल्क यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न करवाया गया। यह यज्ञोपवीत संस्कार कार्यक्रम श्री गोविंद देवजी मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में हुआ। डॉ. प्रशांत शर्मा ने बताया कि गंगा दशमी के पावन मौके पर प्रातः 7 बजे विद्वानजनों द्वारा ग्रह शांति कराई गई। बटुकों को तैयार किया गया। अभिजीत मुहूर्त में संत-महंतों व परिजनों के द्वारा वैदिक पद्धति अनुसार बटुकों को यज्ञोपवीत धारण कराई गई। इस अवसर पर अलबेली माधुरी शरण महाराज, अवधेशाचार्य महाराज, सुदर्शनाचार्य महाराज, परकोटा गणेश मंदिर के अमित शर्मा, गीता गायत्री मंदिर के राजकुमार चतुर्वेदी, महंत रामरज दास त्यागी की उपस्थिति में यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न हुआ। बटुकों के अलावा परिजनों को प्रसादी कराई गई। गुरु मंत्र दीक्षा के दौरान बटुकों ने अपने-अपने गुरुओं को गुरु दक्षिणा में श्रीफल भेंट किया। जगद्गुरु रामानंदाचार्य विश्वविद्यालय के दर्शन विभागाध्यक्ष शास्त्री कोसलेन्द्रदास ने बताया कि उपनयन संस्कार का संबंध आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक उद्देश्यों से है। इससे गुणसंपन्न व्यक्तियों से संपर्क स्थापित होता है और वेदाध्ययन का मार्ग खुलता है। इसका मनोवैज्ञानिक महत्त्व भी है। संस्कार करने वाला व्यक्ति नए जीवन का आरंभ करता था, जिसके लिए वह नियमों के पालन के लिए प्रतिज्ञा करता है। ‘उपनयन’ का अर्थ है पास ले जाना अर्थात विद्यार्थी को आचार्य के समीप शिक्षा हेतु ले जाना। आदित्यदर्शन ने कहा है कि उपानय, उपनयन, मौंजीबंधन, बटुकरण, व्रतबंध शब्द समानार्थक हैं। यह संस्कार केवल भारतीय परंपरा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका उल्लेख प्राचीन ईरानी (पारसी) धर्मग्रंथों में भी मिलता है, जहां मेखला और अधोवस्त्र का धार्मिक महत्व बताया गया है। यज्ञोपवीत का सबसे प्राचीन उल्लेख तैत्तिरीय संहिता में है, जहां मनुष्यों, पितरों और देवताओं के कृत्यों के लिए अलग-अलग ढंग से पहनने की बात है।यह नाभि तक ही पहनी जाती है। प्राय: 8 वर्ष की आयु तक या अधिकतम 16 वर्ष तक यज्ञोपवीत संस्कार कर देना चाहिए। ऐसा न होने पर ‘व्रात्य’ दोष लगता है।