21 हजार लीटर के जल कुंड में ठाकुरजी को कराया जल विहार, कई तरह के दही चिड़ा का लगाया भोग

21 हजार लीटर के जल कुंड में ठाकुरजी को कराया जल विहार, कई तरह के दही चिड़ा का लगाया भोग
जयपुर के गुप्त वृंदावन धाम में सोमवार को पानीहाटी चिड़ा दही उत्सव का महा आयोजन किया गया। आयोजित में शामिल होने के लिए पूरे शहर से श्रद्धालु उमड़ पड़े। भगवान के दर्शन कर उनका शुभाशीष लिया। इस त्योहार को दंड महोत्सव यानी सजा का त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। उत्सव में सर्वप्रथम श्री गौर नितई का महाभिषेक किया गया। ऋतु पुष्पों और विदेशी फूलों से कृष्ण-बलराम का शृंगार किया गया। अलग-अलग प्रकार के चिड़ा दही का भोग लगाया गया। इसके बाद मंदिर परिसर में स्थित मथुरा उद्यान में एक बड़ा कुंड बनाया गया। इसमें 21 हजार लीटर जल में ठाकुरजी को जल विहार कराया गया। कुंड को 108 किलो पुष्प पत्तियों से सजाया गया। मंदिर सेवायत श्री कृष्ण (गौरांग) व बलराम (नृत्यानंद) के विग्रह को हाथों में लेकर जल में उतरे और भगवान को जल में विहार कराया। जल विहार से पूर्व भक्त ठाकुरजी को पालकी में मंदिर गर्भगृह से कुंड तक संकीर्तन करते हुए लाए। यहां पहले पंचामृत अभिषेक किया गया। इसके बाद जल विहार कराया। फिर भगवान को पालकी से मंदिर गर्भगृह तक संकीर्तन करते हुए लाया गया और वापस यथास्थान पर विराजमान किया गया। कार्यक्रम में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ सहित बड़ी संख्या में गणमान्य शामिल हुए। इसे सजा त्योहार के रूप में भी जाना जाता है मंदिर अध्यक्ष अमितासना दास ने बताया कि पश्चिम बंगाल में कोलकाता के पास पानीहाटी नामक गांव है। इस गांव में 15वीं शताब्दी में श्री नित्यानंद प्रभु के साथ श्रील रघुनाथ दास गोस्वामी की पहली बार मुलाकात हुई थी। इस दिन श्रील रघुनाथ दास गोस्वामी ने श्री नित्यानंद प्रभु के आदेश का पालन करते हुए सभी भक्तों को दही के साथ मिश्रित चावल वितरित किए थे। कारण कि घर-गृहस्थी में फंसे होने के कारण रघुनाथ दास गोस्वामी प्रभु नित्यानंद प्रभु से मिलने नहीं आ रहे थे। तब दंड स्वरूप नित्यानंद प्रभु ने उन्हें चिड़ा दही भक्तों को वितरित करने को कहा था। इसके बाद ही गोस्वामी प्रभु भगवान चैतन्य महाप्रभु की शरण में आए। जगन्नाथ मंदिर में चैतन्य महाप्रभु के साथ रहे। इसके बाद वृंदावन में छह प्रमुख प्राचीन मंदिरों के गोस्वामियों में से एक बने। उन्होंने गोवर्धन में राधाकुंड भी बनवाया। उसी दिन से यह उत्सव मनाया जा रहा है। इसे सजा त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। इसी उपलक्ष्य में हर साल गुप्त वृंदावन धाम में भी पानीहाटी चिड़ा दही उत्सव का आयोजन होता है। गुप्त वृंदावन धाम के मथुरा उद्यान में बने जल के कुंड में ठाकुरजी को जल विहार कराते हुए।