सरकारी नौकरी छोड़ रेगिस्तान में उगाए चीकू-अनार:ऑर्गेनिक तरीके से बागवानी, दुबई तक जा रहे फल; सालाना 25 लाख इनकम

सरकारी नौकरी छोड़ रेगिस्तान में उगाए चीकू-अनार:ऑर्गेनिक तरीके से बागवानी, दुबई तक जा रहे फल; सालाना 25 लाख इनकम
रेगिस्तानी जिले बालोतरा में 71 साल के किसान माधोसिंह राजपुरोहित ने चीकू और अनार समेत कई फलों की ऑर्गेनिक खेती कर इलाके के दूसरे किसानों को प्रेरित किया है। माधोसिंह बालोतरा से 30 किलोमीटर दूर सिलोर गांव के रहने वाले हैं। गांव में ही उनका 2 बीघा का बगीचा है। माधोसिंह ने बताया- मैंने 10वीं क्लास तक पढ़ाई की। खेती में मेरी खास रुचि थी। पढ़ाई के बाद 1982 में राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम में कंडक्टर की नौकरी मिल गई। 2 साल तक नौकरी की। लेकिन, मन खेती में ही रमता था। कंडक्टरी रास नहीं आ रही थी। यह बात मां मथुरा देवी को बताई। मां ने मुझे नौकरी छोड़कर वह काम करने को कहा, जिसमें मन लगता है। मैंने 1984 में नौकरी छोड़ दी और गांव सिलोर आकर खेती करने लगा। 1991 से मैं अनार, चीकू, संतरा समेत कई फलों की जैविक खेती कर रहा हूं। म्हारे देस की खेती में इस बार बात बालोतरा के किसान माधोसिंह राजपुरोहित की.... किसान माधोसिंह राजपुरोहित ने बताया- 2010 से 2015 तक मैं सिवाना ब्लॉक का सरपंच भी रहा। खेती मेरा पैशन था। पढ़ाई के साथ ही सरकारी नौकरी मिल गई थी। सरकारी नौकरी से पैसा और सब कुछ मिलता है, लेकिन जो सुकून खेती से मिल सकता है, वह न सरकारी नौकरी में है और न ही राजनीति में। मैं 1991 से खेती कर रहा हूं। पांच साल सरपंच रहने के दौरान बगीचे की तरफ ध्यान कम दे पाता था। लेकिन, 2015 के बाद से पूरी तरह खेती में ही रम गया हूं। यहां चीकू के 25, सिंदूरी अनार के 350 और मौसमी के 10 पेड़ हैं। मैंने कभी पौधों में केमिकल, यूरिया या किसी भी तरह का पेस्टीसाइड इस्तेमाल नहीं किया। खुद अपने स्तर पर जैविक खाद बनाता हूं। जैविक खाद ही पौधों में इस्तेमाल करता हूं। इसी का असर है कि यहां बालोतरा में चीकू का साइज बहुत अच्छा मिल रहा है। उन्होंने कहा- जैविक फलों की अलग से मंडी नहीं है। बस इसी बात का कभी-कभी अफसोस होता है। फल मंडी में सभी तरह के फल होते हैं। ऑर्गेनिक मंडी अलग होनी चाहिए। उन्होंने कहा- व्यापारी मेरे पास दिल्ली-गुजरात से आते हैं। मेरे खेत में आकर फलों का सौदा करते हैं। यहां से अनार गुजरात के अहमदाबाद और राजकोट, राजस्थान में जोधपुर, महाराष्ट्र और दिल्ली तक जा रहे हैं। ऑर्गेनिक फल व्यापारी मेरे खेत के अनार और चीकू दुबई तक सप्लाई करते हैं। अनार से सालाना इनकम 4 लाख हो रही है। चीकू और बाकी फलों से 20 लाख के करीब इनकम हो जाती है। पूरी खेती मिलाकर सालाना 20 से 25 लाख तक की इनकम हो जाती है। उन्होंने बताया- शुरू में अनार की खेती की थी। अनार के लिए बालोतरा की मिट्‌टी उपयुक्त है। 5 साल पहले 2020 में प्रयोग के तौर पर चीकू और संतरे के पौधे लगाए। यह प्रयोग भी सफल रहा। चीकू के 25 पेड़ लगे हैं। इनसे सालाना 20 क्विंटल तक उत्पादन मिल जाता है। चीकू का साइज अच्छा है। साल में दो बार फल आते हैं। इलाके के कई किसान चीकू की खेती के बारे में जानकारी लेने आते हैं। माधोसिंह ने बताया- अनार के फलों को पक्षियों से बहुत नुकसान होता है। कच्चे फलों को पक्षी गिरा देते हैं। ऐसे में बगीचे को पक्षियों से बचाने के लिए नेट से कवर किया है। बगीचे की सिंचाई, खाद डालना, फलों की तुड़ाई और पैकिंग का सारा काम मैं परिवार के सहयोग से करता हूं। बागवानी का शौक, करते रहे हैं प्रयोग माधोसिंह ने कहा- बागवानी बचपन से मेरा शौक रहा है। मैंने पांच साल पहले मौसमी के भी पौधे लगाए थे। यह प्रयोग भी सफल रहा था। मौसमी के ग्राफ्टेड पौधे लगाए थे। ग्राफ्टेड पौधा एक साल में ही तैयार हो जाता है और इसमें फ्लॉवरिंग व फ्रूटिंग शुरू हो जाती है। मौसमी के 10 पौधों से मैंने 30 क्विंटल तक उत्पादन लिया और मौसमी बेची। यह उपज भी पूरी तरह जैविक तरीके से ली थी। अब मेरा फोकस चीकू और सिंदूरी किस्म के अनार पर ही है। हालांकि खेत में नींबू, आम, अंजीर, ड्रैगन फ्रूट, किन्नू और एशियन खेजड़ी के पौधे भी लगा रखे हैं। मौसमी का उत्पादन अब कम हो गया है। किसान ने कहा- मैं खेती से संतुष्ट हूं। परिवार में पत्नी, दो बेटे, दो बेटियां और चार पोते-पोतियां हैं। ------------------- खेती-किसानी से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें जालोर के बांकली बांध एरिया में 300 परिवार खरबूजा किसान:आंध्र प्रदेश में बिजनेस छोड़ गांव लौटकर खेती की; अब 3 राज्यों में सप्लाई जालोर के बांकली बांध इलाके में होने वाले खरबूजे की मिठास लाजवाब है। यहां धारीदार देसी खरबूजे का बंपर उत्पादन होता है। इसे कजली खरबूजा कहा जाता है। राजस्थान के अलावा इसकी डिमांड गुजरात और महाराष्ट्र में भी है। गर्मी के सीजन में किसान खरबूजे की खेती कर एक्स्ट्रा इनकम करते हैं। (पढ़ें पूरी खबर)