तकलीफ देय है ये विकास:रानीबाजार आरओबी के दोनों साइड खोदी सड़क, इसलिए घंटों लगा जाम

तकलीफ देय है ये विकास:रानीबाजार आरओबी के दोनों साइड खोदी सड़क, इसलिए घंटों लगा जाम
अमृत-2 के तहत चल रहा सीवरेज का काम अब तकलीफ देने लगा है। सबसे बड़ी परेशानी अंबेडकर सर्किल और उसके आसपास है। ये वो केन्द्र है जहां से कई रास्ते और कॉलोनियों के लिए लोग जाते हैं। यहां 6 महीने से काम चल रहा है। सोमवार को रानीबाजार आरओबी से उतरते ही मेडिकल कॉलेज चौराहा और अंबेडकर सर्किल दोनों रास्तों पर हैवी जाम लग गया। हैरानी की बात ये कि फर्म ने न तो ट्रैफिक पुलिस को सूचित किया कि यहां कोई मैनेजमेंट करे और न ही भारी वाहनों के आवागमन पर कोई निर्णय हुआ। नतीजा 46 डिग्री तापमान वाली दोपहर में लोगों को घंटों सड़क पर खड़े रहना पड़ा। दरअसल अमृत-2 के कामों में पहले इसी तरह की परेशानी कीर्ति स्तंभ चौराहे से जूनागढ़ और पब्लिक पार्क के बीच थी। पूरे एक साल बाद यहां की कुछ तकलीफ कम जरूर हुई पर पेचवर्क अभी भी यहां का पूरा नहीं हुआ। जूनागढ़ के सामने और फोर्ट डिस्पेंसरी के सामने पेचवर्क का काम बाकी है। अंबेडकर सर्किल से पवनपुरी के बीच सीवरेज का काम चल रहा है। 6 महीने पहले अंबेडकर सर्किल से रानीबाजार आरओबी तक एक साइड पर ट्रैफिक चल रहा है। अब कुछ दिन से आरओबी से मेडिकल कॉलेज चौराहे की ओर भी गड्ढे खोद दिए गए। इससे इस पूरी रोड पर एक तरफ की रोड पर दोनों ओर का ट्रैफिक चल रहा है। ऊपर से नोखा से आने वाली रोडवेज बसों से लेकर नगर निगम और रीको के भारी वाहन इसी राह से गुजरते हैं। सोमवार को रीको के ही भारी वाहन के कारण 3 घंटे जाम लगा रहा। हैरानी की बात ये कि यहां एक पुलिस का कांस्टेबल तक नहीं पहुंचा जो जाम खुलवाने की कोशिश करे। क्योंकि न तो ठेकेदार ने पुलिस को कोई सूचना दी और ट्रैफिक पुलिस को तो चिंता ही नहीं है। मानसून से पहले काम समेटना चाहिए तो और खोद दी मानसून आने से पहले जिस फर्म को काम समेटना चाहिए उसने मानसून से पहले इस इलाके में काम और बढ़ा दिया। अब डीआरएम आफिस से अंबेडकर सर्किल की ओर आ रही सड़क पर भी खुदाई काम शुरू कर दिया। अंबेडकर सर्किल से रानीबाजार पुलिया तक वाली रोड बनी नहीं। मेडिकल कॉलेज चौराहे तक ऐसे ही गडढे हैं। वे बंद नहीं हो रहे। इन हालात की 3 प्रमुख वजह निगम की अनदेखी नगर निगम के अधिकारी तटस्थ बने हुए हैं। चाहिए कि फर्म जहां खुदाई कर रही है पहले उस रूट का प्लान समझें कि जहां खुदाई होने वाली है उससे क्या क्या दिककतें होने वाली हैं। उसका समाधान क्या है। उसे शॉट आउट करने के बाद ही फर्म को खुदाई करने के लिए कहा जाए। काम कर रही फर्म की लापरवाही फर्म जहां खुदाई कर रही उसकी सूचना पहले ट्रैफिक पुलिस, संबंधित क्षेत्र के थाना, नगर निगम के संबंधित जेईएन-एईएन को दी जानी चाहिए, ताकि अगर ट्रैफिक में कोई दिक्कत हो तो तीनों मिलकर उसे सुलझा लें। ऐसा हो नहीं रहा फर्म ने तो एक बार निगम से एमओयू कर लिया उसके बाद जहां मर्जी वहां जेसीबी से खुदाई शुरू कर देती है। ट्रैफिक बिगड़े या जाम लगे फर्म को उससे कोई मतलब नहीं। ट्रैफिक पुलिस की निष्क्रियता चालान काटने के अलावा पूरे शहर में कहीं ट्रैफिक पुलिस नजर नहीं आती। ट्रैफिक पुलिस ने अपना काम सिर्फ चालान करना ही समझा हुआ है जबकि उसका मूल काम पूरे शहर का ट्रैफिक कंट्रोल करना है। म्यूजियम सर्किल और श्रीगंगानगर सर्किल को छोड़ कहीं पुलिस नहीं दिखती। केईएम रोड पर वन-वे समेत कई ट्रैफिक मॉडल पूर्व संभागीय आयुक्त ने लागू किया था जो आज पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। ट्रैफिक पुलिस को उसकी चिंता नहीं।