डेढ़ साल में 10 रिटायर्ड IAS-IPS को नियुक्ति:कई अफसरों को अपने नाम की घोषणा का इंतजार, महत्वपूर्ण बोर्ड-आयोग में खाली पड़े पद

भजनलाल सरकार ने डेढ़ साल के कार्यकाल में एक दर्जन के करीब रिटायर्ड IAS और IPS को राजनीतिक नियुक्तियां दी हैं। हालांकि अभी बहुत से संवैधानिक पद खाली हैं, जहां नियुक्ति के लिए कई रिटायर्ड आईएएस-आईपीएस लाइन में लगे हुए हैं। सरकार चाहे किसी भी पार्टी की रहे, अफसर हमेशा दबदबा बनाते आए हैं। वसुंधरा राजे के कार्यकाल में करीब 15 ब्यूरोक्रेट्स को राजनीतिक नियुक्तियां मिली थीं। वहीं, अशोक गहलोत भी ब्यूरोक्रेट्स पर खासे मेहरबान रहे थे। उन्होंने करीब 18 नियुक्तियां दी थीं। मंडे स्पेशल स्टोरी में आज पढ़िए- कौन-कौन से अफसरों को क्या-क्या पद दिए गए, अभी कौन-कौन से पद खाली हैं… बीजेपी सरकार ने डेढ़ साल के कार्यकाल में ही 10 से ज्यादा रिटायर्ड अफसरों को अहम जिम्मेदारियां दी हैं। प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों की रफ्तार पकड़ने की प्रबल संभावना है। इसको लेकर सियासी गलियारों में कई नामों पर चर्चा भी शुरू हो गई है। भजनलाल सरकार में इन अफसरों की हो चुकी है नियुक्तियां पूर्व डीजीपी एमएल लाठर : मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति पूर्व डीजीपी यूआर साहू : आरपीएससी चेयरमैन रिटायर्ड आईएएस महेंद्र पारख : सूचना आयुक्त रिटायर्ड आईएएस सुरेश चंद्र गुप्ता : सूचना आयुक्त रिटायर्ड आईपीएस अशोक गुप्ता : मानवाधिकार आयोग सदस्य रिटायर्ड आईएएस राजेश शर्मा : विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन पूर्व आरपीएस दिनेश शर्मा : सीएम के ओएसडी नियुक्त रिटायर्ड आईएएस रश्मि गुप्ता : RERA में सदस्य रिटायर्ड आईएएस सुधीर शर्मा : RERA में सदस्य लॉ डिपार्टमेंट के पूर्व अफसर टीकाराम शर्मा : सूचना आयुक्त ये ब्यूरोक्रेट्स अपने नाम की घोषणा के इंतजार में
भजनलाल सरकार ने अभी डेढ़ वर्ष का कार्यकाल ही पूरा किया है। ऐसे में एक दर्जन से ज्यादा रिटायर्ड IAS, IPS और RAS अफसर राजनीतिक नियुक्तियों के इंतजार में हैं। सूत्रों के मुताबिक, सेवानिवृत्त आईएएस पीके गोयल, अंतर सिंह नेहरा और एसीबी के पूर्व डीजी आलोक त्रिपाठी तोहफा मिल सकता है। पूर्व गृह सचिव एनएल मीणा लाइन में हैं। वर्तमान में झुंझुनूं के जिला कलेक्टर रामावतार मीणा को सेवानिवृत्ति के बाद पद मिल सकता है। रामावतार मीणा का रिटायरमेंट 31 अगस्त 2025 को होने वाला है। और होंगी नियुक्तियां?
यूआर साहू को आरपीएससी का चेयरमैन बनाने के बाद प्रदेश में कुछ और बोर्ड-निगम, आयोग, मंडल में ऐसी नियुक्तियां सामने आ सकती हैं। इनमें मुख्यत: वित्त आयोग के चेयरमैन और राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) में चार सदस्यों की नियुक्तियां होनी हैं। राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण में आगामी दिनों में संभावनाएं बन सकती हैं। राजस्थान फाउंडेशन, महिला आयोग, समाज कल्याण सलाहकार बोर्ड, खादी बोर्ड, राजस्थान राज्य बीज निगम, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड, जन अभाव अभियोग निराकरण समिति में नियुक्ति होंगी। बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति, वक्फ बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, डांग विकास बोर्ड, राज्य खेल परिषद, मगरा विकास बोर्ड, राज्य हज कमेटी, हस्तशिल्प कला बोर्ड, वरिष्ठ नागरिक बोर्ड, नि:शक्तजन आयोग, गोसवा आयोग, उर्दू अकादमी, भूदान बोर्ड, मेला विकास प्राधिकरण, घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड, ओबीसी आयोग, सिंधी अकादमी में नियुक्ति होनी अभी बाकी हैं। बृजभाषा अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, डेयरी फैडरेशन, भूमि विकास बैंक, बुनकर संघ, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ वॉलेंटरी सेक्टर, ललित कला अकादमी, संस्कृत अकादमी, सार्वजनिक प्रन्यास बोर्ड, अनुसूचित जाति आयोग, लघु उद्योग विकास निगम, अंतरराज्यीय जल विवाद निवारण समिति, प्रन्यास मंडल, जवाहर कला केंद्र और युवा बोर्ड में वरिष्ठ नेताओं को चेयरमैन बनाकर कैबिनेट व राज्यमंत्री स्तर का दर्जा दिया जाएगा। वसुंधरा राजे के समय नियुक्तियां पाने वाले ब्यूरोक्रेट्स रिटायर्ड आईएएस चंद्रमोहन मीणा : मुख्य सूचना आयुक्त पूर्व आईएएस राम खिलाड़ी मीणा : राजस्थान मंत्रालयिक एवं अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड, चेयरमैन पूर्व आईएएस ललित के. पंवार : आरपीएससी चेयरमैन पूर्व आईएएस प्रेम सिंह मेहरा : राज्य निर्वाचन आयुक्त पूर्व आईएएस बीएल जाटावत : राजस्थान मंत्रालयिक एवं अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड पूर्व चीफ सेक्रेटरी एनसी गोयल : RERA चेयरमैन एक ही कार्यकाल में 4 मुख्य सचिव को राजनीतिक नियुक्ति
पूर्व सीएम गहलोत ने अपने कार्यकाल में चार मुख्य सचिवों को रिटायरमेंट के बाद भी कोई ना कोई दमदार नियुक्ति दी। निहाल चंद गोयल को मुख्य सचिव से रिटायरमेंट के बाद वसुंधरा सरकार में RERA का चेयरमैन बनाया गया था। लेकिन वहां से छह महीने पहले रिटायर होने पर गहलोत सरकार ने उन्हें राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (जयपुर) का चेयरमैन बना दिया था। मुख्य सचिव से रिटायर हुए राजीव स्वरूप को पर्यावरण समाधान व निर्धारण प्राधिकरण का चेयरमैन बनाया गया। डी. बी. गुप्ता को मुख्य सचिव पद से रिटायर होने के बाद राजस्थान का मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया। वहीं निरंजन आर्य को गहलोत ने मुख्यमंत्री रहने के दौरान अपना सलाहकार बनाया था। गहलोत ने इन अफसरों को दी थी राजनीतिक नियुक्तियां निरंजन आर्य : मुख्यमंत्री के सलाहकार बीएन शर्मा : चेयरमैन, विद्युत विनियामक आयोग डीबी गुप्ता : मुख्य सूचना आयुक्त गोविंद शर्मा : सीएम के सलाहकार रामलुभाया : चेयरमैन, जवाबदेही कानून कमेटी अरविंद मायाराम : उपाध्यक्ष, सीएम आर्थिक सलाहकार परिषद जी.एस. संधू : चेयरमैन, पट्टा वितरण अभियान की आय कमेटी जगरूप सिंह : सदस्य, सिविल सेवा अपील अधिकरण मातादीन शर्मा : सदस्य, सिविल सेवा अपील अधिकरण संजय क्षोत्रिय : चेयरमैन, आरपीएससी भूपेंद्र सिंह यादव : चेयरमैन, राजस्थान लोक सेवा हरिप्रसाद शर्मा : चेयरमैन, राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड आलोक त्रिपाठी : वीसी, सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय सचिन पायलट ने किया था विरोध
ब्यूरोक्रेट को राजनीतिक नियुक्तियां देने पर सवाल भी उठते रहे हैं। गहलोत सरकार के समय रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को राजनीतिक नियुक्ति देने पर तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने विरोध जताया था। पायलट का कहना था कि आईएएस के सेवानिवृत्ति के दिन ही राज को अगली नियुक्ति आदेश जारी हो जाते हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं में निराशा होती है। पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी ठीक नहीं है। राजनीतिक नियुक्तियां नहीं मिलने से कार्यकर्ताओं में हताशा है। वहीं, बीजेपी के नेता दबे स्वर में कह रहे हैं कि भजनलाल सरकार बनने के बाद सत्ता में भागीदारी की आस लगाकर बैठे कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियों से दूर रखना भारी पड़ सकता है। हालांकि, बीजेपी के नेता खुलकर बोलने से बच रहे हैं। पूर्व IPS ने कहा- रिटायर्ड अफसरों के पास तजुर्बा होता है
रिटायर्ड आईपीएस सत्यवीर सिंह रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को नियुक्तियां देने को गलत नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा- रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को नियुक्तियां देने से उनके अनुभव का लाभ मिलता है। वह लंबे समय तक सरकारी सेवा में रहे होते हैं। ऐसे में यदि सरकार उनको बोर्ड-आयोग का अध्यक्ष बनाती है तो निश्चित तौर पर जनता को लाभ मिलेगा। इसमें किसी तरह की राजनीति जैसी कोई बात मुझे दिखाई नहीं देती है।