उड़ान योजना पर ब्रेक:9 माह से जिले की 4.5 लाख बालिकाओं को नहीं मिलीं सैनेटरी नैपकिन; वर्क ऑर्डर जारी नहीं होने से खरीद रुकी, महिलाएं परेशान

राज्य सरकार की बहुचर्चित ‘उड़ान योजना’ का जिले में बुरा हाल है। राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लि. ने पिछले 9 माह से इस योजना के तहत सैनेटरी नैपकिन की खरीद ही नहीं की। जिससे महिला एवं बाल विभाग की ओर से सेंटर्स पर फ्री सैनेटरी नैपकिन का वितरण नहीं हो सका। इस योजना के तहत हर तीन महीने में किशोरियों और महिलाओं को मुफ्त सेनेटरी नैपकिन देने का प्रावधान है, लेकिन जिले की करीब 4.5 लाख महिलाएं और बालिकाएं पिछले आठ महीने से इस सुविधा से वंचित हैं। जिले में योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों से 3 लाख 73 हजार महिलाओं को और शिक्षा विभाग की एक लाख बालिकाओं सहित कॉलेज की बालिकाओं को लाभ मिलना था। लेकिन सितंबर 2024 के बाद से किसी को भी नैपकिन नहीं दिए गए। कई महिलाओं ने बताया कि उन्हें नवंबर के बाद से सैनेटरी नैपकिन नहीं मिले हैं। महंगे दामों के चलते कपड़े का इस्तेमाल कर रही हैं। गांवों की महिलाएं बताती हैं कि बाजार से मिलने वाले सेनेटरी नैपकिन महंगे हैं, जिनकी कीमत आमदनी से बाहर है। मजबूरी में उन्हें फिर से कपड़े का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, जिससे संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ने का खतरा है। 1. कच्ची बस्ती आंगनबाड़ी केंद्र क्षेत्र की दो बेटियों की 32 वर्षीय मां मीना(बदला हुआ नाम) कहती हैं "पहले आंगनबाड़ी से हर तीन महीने में पैड मिल जाते थे, तो थोड़ा सुकून था। लेकिन पिछले आठ महीने से कुछ नहीं मिला। अब फिर से पुराने कपड़ों का सहारा लेना पड़ रहा है। बारिश के मौसम में बहुत दिक्कत होती है अर्चना भारद्वाज , स्त्री रोग विशेषज्ञ 2. आंगनबाड़ी केंद्र रेलवे क्षेत्र की रुखसाना(बदला हुआ नाम) बताती हैं पिछले साल तक योजना सही चल रही थी, लेकिन अब हमें भूल ही गए हैं। घर की हालत ऐसी नहीं कि हर महीने 200-250 रुपए पैड पर खर्च करें। पहले गांव की महिलाओं को जो सुविधा मिली, उससे हिम्मत आई थी। मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी नैपकिन का उपयोग महिलाओं के लिए सुरक्षित और स्वच्छ विकल्प है। यह त्वचा को सूखा और संक्रमण से बचाए रखता है। जबकि पुराने कपड़ों का बार-बार उपयोग संक्रमण, रैशेज, यूरीन इंफेक्शन और यहां तक कि प्रजनन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकता है। किशोरियों में इससे आत्मविश्वास की कमी और स्कूल छोड़ने जैसी स्थिति भी बन सकती है। मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखना स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। 3. कविता (बदला हुआ नाम) कहती हैं "स्कूल में जब नैपकिन मिलने लगे थे तो आत्मविश्वास बढ़ा था। डर खत्म हुआ था। अब पिछले कई महीनों से कुछ नहीं मिल रहा। बाजार के सेनेटरी नैपकिन महंगे होते है। जिससे खरीद नहीं सकते है। कई बार स्कूल भी छोड़ना पड़ता है। समझ नहीं आता योजना बंद क्यों हो गई। "सेनेटरी नैपकिन का वितरण टेंडर प्रक्रिया के कारण रुका हुआ है। निदेशालय स्तर पर प्रक्रिया जारी है और जून के अंत तक सप्लाई शुरू हो जाएगी।" -राजेश कुमार, उपनिदेशक, महिला अधिकारिता विभाग