हवाई पट्टी मैदान को गैर मुमकिन में बदला:राजसमंद सांसद के पत्र के बाद कलेक्टर ने नागरिक विमानन निदेशालय को पत्र भेजा; आवासीय कॉलोनी के लिए जारी की एनओसी

हवाई पट्टी मैदान को गैर मुमकिन में बदला:राजसमंद सांसद के पत्र के बाद कलेक्टर ने नागरिक विमानन निदेशालय को पत्र भेजा; आवासीय कॉलोनी के लिए जारी की एनओसी
मेड़ता रोड में आजादी से पहले बनी ऐतिहासिक हवाई पट्टी को राजस्व रिकॉर्ड में 'गैर मुमकिन मैदान' बता दिया गया है। यह वही जमीन है जो विश्व वैमानिक नवशे और नेशनल एयरपोर्ट अथॉरिटी की 1989 की सूची में दर्ज है। यह जमीन खसरा नंबर 308, 381 और 345 में दर्ज थी। लेकिन अब सरकारी तंत्र की मिलीभगत से इसे शुद्धि पत्र के जरिये नया खसरा नंबर 102, 161 और 152 दे दिया गया है। दरअसल, राजसमंद सांसद महिमा कुमारी के अभिशंसा पत्र के बाद नागौर कलेक्टर ने 13 जनवरी 2025 को नागरिक विमानन निदेशालय को पत्र भेजा, जिसमें खसरा नंबर 102 की 17.83 हेक्टेयर जमीन में से एक हेक्टेयर मेड़ता रोड नगरपालिका को देने की पेशकश की गई। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार इसका उद्देश्य कार्यालय भवन, अग्निशमन केंद्र और सरकारी आवास निर्माण करना बताया। लेकिन जानकारों का कहना है कि असली मंशा जमीन का टाइटल बदलकर आवासीय कॉलोनियों का रास्ता खोलना है। इसके लिए एनओसी जारी हो चुकी है। कॉलोनियों की प्लानिंग भी शुरू हो गई है बॉर्डर जिलों से जोड़ने वाला क्षेत्र होने के कारण सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सरवारी रिकॉर्ड में हवाई प‌ट्टी मैदान दर्ज है, जबकि शुद्धि फफा में गैर मुमकिन मैदान दर्ज है। यह जमीन सामरिक दृष्टि से अहम मानी जाती है। बाड़मेर और जैसलमेर जैसे बॉर्डर जिलों को जोड़ने वाले इस क्षेत्र में सेना के लिए यह हवाई पट्टी भविष्य में उपयोगी हो सकती है, लेकिन अब टाइटल ही बदल दिया गया है। 2009... सीमांकन के लिए सर्वे, कब्जे चिह्नित किए थे 4 मार्च 2009 को मेड़ता तहसीलदार ने 5 कार्मिकों की टीम के साथ सीमांकन के लिए सर्वे किया था। नाप चोप कर अतिक्रमण भी चिह्नित किए गए। पुलिस विभाग को 2009 में सार संभाल का जिम्मा मिला। 24 नवंबर 2018 को तत्कालीन सीएम को भी सभा के लिए यहीं उतारा गया था। इसलिए... क्योकि कारगिल युद्ध में सेना का पड़ाव यहीं था किसी भी आपदा के आने पर सबसे कम समय में यही एक मार्ग है, जहां से जोधपुर, जैसलमेर, नसीराबाद तक आसानी से पहुंच सकते हैं। इसका सर्वे किया जा चुका है। कारगिल युद्ध के समय सेना ने यहां पर पड़ाव डाला था। भविष्य में भी यह युद्ध के समय उपयोगी साबित हो सकती है। इस संबंध में एसडीएम से रिपोर्ट मांगी है। पहले से जो रिकॉर्ड है वो ही है, फिलहाल हमारे स्तर पर कोई बदलाव नहीं हुआ है। अगर हुआ है तो पुराने समय में ही हुआ। बाकी तो रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा। - अरुण कुमार पुरोहित, कलेक्टर इस भूमि का रूपांतरण नहीं किया गया हैः तहसीलदार मेड़ता तहसीलदार राम सिंह गुर्जर ने फलोदी के पुराना खसरा नंबर 308 जो कि नया खसरा नंबर 102 का शुद्धि पत्र भरे जाने की बात को नकार दिया। उन्होंने कहा कि कोई शुद्धि पत्र भरकर इस भूमिका रूपांतरण नहीं किया है, जबकि नकल के दस्तावेज में स्पष्ट जाहिर हो रहा है कि 26 फरवरी 2024 को इस भूमि का शुद्धिकरण भर कर रूपांतरण किया है।