सरकारी बस से मणिपुर नाम हटाने पर विवाद बढ़ा:राज्यपाल को हेलिकॉप्टर से राजभवन पहुंचाया गया; आज मैतेई समूह की गृह मंत्रालय में मीटिंग

मणिपुर में सरकारी बस से राज्य का नाम हटाने के बाद शुरू हुआ विवाद बढ़ता ही जा रहा है। सोमवार को छात्रों और महिलाओं ने इंफाल एयरपोर्ट से लेकर केसम्पात तक 6km की लंबी मानव श्रृंखला बनाकर विरोध किया। यह जगह राजभवन से सिर्फ 200 मीटर दूर है। इसी दौरान राइजिंग नॉर्थईस्ट इन्वेस्टर्स समिट में हिस्सा लेने दिल्ली गए राज्यपाल अजय कुमार भल्ला दोपहर में इंफाल पहुंचे। विरोध-प्रदर्शन के चलते राज्यपाल को सेना के हेलिकॉप्टर से राजभवन पहुंचाया गया। जबकि इंफाल एयरपोर्ट से राजभवन की दूरी केवल 7 किलोमीटर है। मैतेई समूहों से जुड़ा संगठन COCOMI का 7 सदस्यों वाला प्रतिनिधिमंडल आज दिल्ली में गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात करेगा। इस दौरान मणिपुर की मौजूदा स्थिति और सरकारी बस पर राज्य का नाम छिपाने को लेकर विवाद पर चर्चा होगी। दरअसल, 20 मई को इंफाल ईस्ट के ग्वालथाबी चेकपोस्ट पर सुरक्षा बलों ने पत्रकारों को ले जा रही मणिपुर राज्य परिवहन की बस को रोका और बस पर लिखे मणिपुर शब्द को ढकने कहा। इसके बाद से ही विवाद हो रहा है। विरोध-प्रदर्शन की 3 तस्वीरें... राजभवन तक 3 किलोमीटर का मार्च निकालने की प्लानिंग थी
सीनियर ऑफिसर ने बताया कि प्रदर्शनकारी क्वाकेथेल इलाके में टिडिम रोड पर इकट्ठा हुए थे। यहां से राजभवन तक तीन किलोमीटर का मार्च निकालने की प्लानिंग थी। लेकिन पुलिस ने उन्हें वहीं पर रोक दिया। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने मानव श्रृंखला बनाकर विरोध किया। मैतेई समुदाय से जुड़े संगठन कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटेग्रिटी (COCOMI) ने रविवार को ही ऐलान कर दिया था कि वे मशाल रैली और धरना-प्रदर्शन करेंगे। 2 दिन पहले इंफाल में प्रदर्शन के दौरान 7 घायल हुए थे मणिपुर में 13 फरवरी से लागू राष्ट्रपति शासन के खिलाफ इंफाल में रविवार को मैतेई संगठन COCOMI ने राजभवन का घेराव किया। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने राजभवन में घुसने की कोशिश की, जिसके चलते सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को एम सेक्टर गेट के पास रोक दिया। प्रदर्शनकारी मणिपुर के राज्यपाल से ग्वालथाबी की घटना के लिए माफी की मांग कर रहे थे। इस दौरान 7 प्रदर्शनकारियों को चोटें आईं हैं। उन्हें रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बस पर लिखा 'मणिपुर' ढकने से शुरू हुआ विवाद मणिपुर में 20 मई को यह विवाद तब सामने आया। जब इंफाल ईस्ट के ग्वालथाबी चेकपोस्ट पर सुरक्षा बलों ने पत्रकारों को ले जा रही मणिपुर राज्य परिवहन की बस को रोका और बस पर लिखे मणिपुर शब्द को ढकने कहा। यह बस पत्रकारों को उखरुल में चल रहे शिरुई लिली फेस्टिवल की कवरेज के लिए ले जा रही थी। इसे मणिपुर की क्षेत्रीय पहचान पर आघात मानते हुए, मैतेई समुदाय के संगठन कोकोमी ने विरोध दर्ज कराया। COCOMI ने इसके विरोध में 48 घंटे का बंद बुलाया, जिससे इंफाल घाटी के 5 जिलों में जनजीवन प्रभावित हुआ। बैठक के एजेंडे में ग्वालताबी घटना पर राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और मुख्य सचिव, डीजीपी और सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांग शामिल है। औथांग का दावा है कि इन अधिकारियों की नाकामी और राज्य विरोधी निर्णय लेने से स्थिति और बिगड़ गई है। 9 फरवरी को CM बीरेन ने इस्तीफा दिया था मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था। बीरेन सिंह पर राज्य में 21 महीने से जारी हिंसा के चलते काफी दबाव था। विपक्षी पार्टियां भी लगातार NDA से इस मुद्दे पर सवाल पूछ रही थीं। राज्य विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक था, जिसे निलंबित कर दिया गया था। केंद्र ने 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था। ----------------------------------------- मणिपुर से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... राज्य में हिंसा के 2 साल पूरे, 3 महीने से राष्ट्रपति शासन 3 मई 2023 को कुकी-मैतेई समुदाय के बीच संघर्ष शुरू हुआ था, जो आज भी जारी है। इन दो सालों में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। 1500 से ज्यादा घायल हुए। 70 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। 6 हजार से ज्यादा FIR दर्ज हुई हैं। मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन है, लेकिन मौजूदा विधानसभा भंग नहीं हुई है। सिर्फ निलंबित है। इसलिए कई नागरिक संगठन इसके विरोध में हैं। पढ़ें पूरी खबर...