लैंड फॉर जॉब केस, लालू यादव के खिलाफ फैसला सुरक्षित:अगली सुनवाई 3 जून को होगी; राष्ट्रपति ने दी थी मंजूरी; ED कर रही जांच

लैंड फॉर जॉब केस में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की है। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को इस चार्जशीट पर सुनवाई के दौरान फैसला सुरक्षित रख लिया है। स्पेशल जज विशाल गोगने की बेंच ने इस मामले में अगली सुनवाई 3 जून को तय की है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लैंड फॉर जॉब केस में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर आज सुनवाई हुई। 9 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसकी मंजूरी दे दी थी। राष्ट्रपति ने CRPC की धारा 197(1) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। लैंड फॉर जॉब की जांच ED कर रही है। ED ने पिछले साल अगस्त में लालू यादव, उनके बेटे तेजस्वी यादव और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। एजेंसी ने CBI की ओर से दर्ज एक FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। ED ने चार्जशीट में लालू प्रसाद पर आय को छिपाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया था। 7 पॉइंट में जानिए लैंड फॉर जॉब डील का पूरा खेल डील 1: CBI ने शुरुआती जांच में पाया कि 6 फरवरी 2008 को पटना के किशुन देव राय ने अपनी 3,375 वर्ग फीट जमीन सिर्फ 3.75 लाख रुपए में राबड़ी देवी को बेच दी। साथ ही इसी साल परिवार के 3 मेंबर्स राज कुमार सिंह, मिथिलेश कुमार और अजय कुमार को मध्य रेलवे मुंबई में ग्रुप डी के पद पर नौकरी मिल गई। डील 2: फरवरी 2008 में पटना के महुआ बाग के संजय राय ने भी सिर्फ 3.75 लाख रुपए में 3,375 वर्ग फीट जमीन राबड़ी देवी को बेच दी। CBI ने अपनी जांच में पाया कि संजय राय के अलावा परिवार के 2 अन्य मेंबर्स को रेलवे में नौकरी मिल गई। डील 3: पटना की रहने वाली किरण देवी ने नवंबर 2007 में सिर्फ 3.70 लाख रुपए में अपनी 80,905 वर्ग फीट जमीन लालू यादव की बेटी मीसा भारती को बेच दी। इसके बाद 2008 में सेंट्रल रेलवे मुंबई में किरण देवी के बेटे अभिषेक कुमार को नौकरी मिल गई। डील 4: फरवरी 2007 में पटना निवासी हजारी राय ने अपनी 9,527 स्क्वायर फीट जमीन दिल्ली की कंपनी एके इंफो सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को 10.83 लाख रुपए में बेच दी। बाद में हजारी राय के 2 भतीजे दिलचंद कुमार और प्रेम चंद कुमार को वेस्ट-सेंट्रल रेलवे जबलपुर और साउथ-ईस्टर्न रेलवे कोलकाता में नौकरी मिल गई। CBI ने पाया कि एके इंफोसिस्टम्स के सभी अधिकार और संपत्ति साल 2014 में लालू प्रसाद यादव की बेटी और पत्नी को दे दिए गए थे। राबड़ी देवी ने 2014 में कंपनी के ज्यादातर शेयर खरीद लिए और बाद में कंपनी की डायरेक्टर बन गईं। डील 5: पटना के लाल बाबू राय ने मई 2015 में मात्र 13 लाख रुपए में अपनी 1,360 वर्ग फीट जमीन राबड़ी देवी के नाम कर दी। CBI ने जांच किया तो पता चला कि लाल बाबू राय के बेटे लाल चंद कुमार को 2006 में नॉर्थ-वेस्टर्न रेलवे जयपुर में नौकरी मिली थी। डील 6: बृज नंदन राय ने मार्च 2008 में अपनी 3,375 वर्ग फीट जमीन गोपालगंज निवासी हृदयानंद चौधरी को 4.21 लाख रुपए में बेच दी। हृदयानंद चौधरी को साल 2005 में ईस्ट-सेंट्रल रेलवे हाजीपुर में नौकरी मिल गई। 2014 में हृदयानंद चौधरी ने गिफ्ट डीड के जरिए इस जमीन को लालू प्रसाद यादव की बेटी हेमा को ट्रांसफर कर दिया। CBI ने जांच की तो पाया कि हृदयानंद चौधरी और लालू प्रसाद यादव दूर के भी रिश्तेदार नहीं हैं। साथ ही जिस जमीन को गिफ्ट के रूप में दिया गया, उस वक्त सर्कल रेट के अनुसार उसका मूल्य 62 लाख रुपए था। डील 7: विशुन देव राय ने मार्च 2008 में अपनी 3,375 वर्ग फीट की जमीन सीवान निवासी ललन चौधरी को दे दी। ललन के पोते पिंटू कुमार की साल 2008 में वेस्टर्न रेलवे मुंबई में नौकरी लग गई। इसके बाद ललन चौधरी ने फरवरी 2014 में इस जमीन को हेमा यादव को दे दी।